नील सरस्वती मंदिर: कटिहार के बेलवा में महाकवि कालिदास की उपासना स्थली

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कटिहार, बिहार: बिहार के कटिहार जिले के बेलवा गांव में स्थित नील सरस्वती मंदिर, धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का एक अद्भुत केंद्र है। यह मंदिर महाकवि कालिदास की साधना स्थली के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की थी। मंदिर में मुख्य रूप से मां सरस्वती, मां काली और दुर्गा माता की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

विशेष पूजा का आयोजन मगध में वसंत पंचमी के दिन होता है, और लोग दूर-दूर से उसी को विशेष पूजा के लिए यहाँ आते हैं। मगध की पूजा मेले में कई लोग बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, और नेपाल के हिसाब से मंदिर परिसर में आते हैं। यह दिन मंदिर की धार्मिक महिमा को और भी विशेष ठहरा देता है।

नील सरस्वती मंदिर की स्थापना महाकवि कालिदास द्वारा की गई मानी जाती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, कालिदास ने अपनी पत्नी से नाराज होकर यहाँ आकर साधना की थी, और यहीं पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। इस स्थान पर कालिदास की उपासना से जुड़ी कई कथाएँ प्रचलित हैं, जो श्रद्धालुओं की आस्था को और प्रगाढ़ करती हैं।

1983 में मंदिर में चोरों द्वारा मूर्तियों की चोरी के बाद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई। बाद में उसी आकार की नई मूर्तियाँ स्थापित की गईं, और आज भी लोग यहाँ पूजा करने के लिए आते हैं।

नील सरस्वती मंदिर का महत्व ना हीं सिर्फ धार्मिक महत्व का केंद्र है, बल्कि यह बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है, जो महाकवि कालिदास की उपासना और उनकी काव्य रचनाओं से जुड़ी मान्यताओं को संजोए हुए हैं।

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