विशेष योग बनाता है समलैंगिक

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आजकल समलैंगिकता को लेकर चारों तरफ जोर-शोर से चर्चा हो रही है .कुछ देशों में इसे सामाजिक और कानूनी मान्यता है तो कुछ में इसकी मान्यता को लेकर लड़ाई चल रही है.ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में भी इसके विशेष योगों की तलाश जरुरी है .हमारी रिसर्च टीम ने कुछ ऐसे ही योग पर अध्ययन किया और पाया कि भारतीय ज्योतिष में जो योग व्यभिचार की श्रेणी में है और अलग से किसी भी तरह से पीड़ित है तो लोग समलैंगिकता की ओर आकर्षित होते हैं .ऐसे ही कुछ योग की चर्चा यहां की जारही है.

समलैंगिकता के लिए कुछ विशेष योग ……

1 कुंडली में अगर मंगल और शुक्र एक साथ हो और किसी भी पाप ग्रह से युक्त या दृष्ट हो तो कुंडली वाला इंसान निश्चित रुप से व्यभिचारी होता है और अगर माहौल या परिवेश पक्ष में रहता है (मसलन हॉस्टल में साथ साथ रहना) तो जातक समलैंगिकता का शिकार हो सकता है .

2 इसी तरह मंगल और शुक्र के साथ-साथ राहु भी  हो तो यह योग जातक को समलैंगिक बना सकता है .

3 सप्तमेश अगर राहु के साथ हो और कोई अन्य नीच का ग्रह भी साथ में हो तो भी इंसान समलैंगिक हो सकता है.

4 सप्तमेश अगर नीच का होकर किसी पाप ग्रह के साथ अवस्थित हो तो भी इंसान समलैंगिक हो सकता है .

5 सप्तमेश अगर किसी नीच के पापी ग्रह के साथ हो तो समलैंगिकता की आशंका बनी रहती है.

6 सप्तमेश और पंचमेश का योग हो और इनमें से कोई एक नीच का हो ,साथ ही कोई पाप ग्रह युत या दृष्ट हो तो भी इंसान समलैंगिक हो सकता है.

  1. सप्तमेश दो या दो से अधिक पापग्रह के साथ कहीं भी खास कर पंचम भावगत हो तो भी समलैंगिकता की संभावना बनती है.

8 सप्तम भाव अगर दो या दो से अधिक पापग्रह से पीड़ित हो और सप्मेश भी कहीं पापाक्रांत हो तो भी इंसान समलैंगिक हो सकता है .

9 सप्तमेश पापाक्रांत हो कर या नीच का होकर अगर पंचम भाव में अवस्थित हो और पंचमेश  भी कहीं पापग्रह से युत या दृष्ट हो तो भी समलैंगिक होने के आसार बढ़ जाते हैं

10 पंचमेश पापाक्रांत होकर सप्तम भाव में  अगर अवस्थित हो और सप्तमेश भी कहीं पापाक्रांत होकर अवस्थित हो तो भी समलैंगिक होने की संभावना बढ़ जाती है.

खासबात ये है कि समलैंगिकता के लिए जरुरी है कि आवश्यक योग वाले दो पुरुष या स्त्री साथ साथ हों अन्यथा यह योग कारगर या असरकारक नहीं हो पाते हैं.

 

 

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