संवाददाता.मुजफ्फरपुर. निषाद विकास संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी के आह्वान पर हजारों की संख्या में निषादों ने जुब्बा सहनी यात्रा में भाग लेकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया. रविवार को मुजफ्फरपुर में करीब 20 हजार बाइक के साथ एक महारैली निकालकर सन ऑफ़ मल्लाह अपनी ताकत का एहसास करवाया. हजारों मोटरसाइकिल के साथ बोचहां से कुढ़नी तक महारैली निकाली गई.
महारैली के दौरान सन ऑफ़ मल्लाह ने कहा कि कि पश्चिम बंगाल तथा दिल्ली जैसे राज्यों में निषाद समाज को आरक्षण प्राप्त है. अगर हमारा देश एक है तथा देश में सबके लिए एक संविधान तथा एक टैक्स है तो बिहार में निषादों को आरक्षण क्यों नहीं ? अगर किसी कारणवश 2018 की छमाही तक निषाद समाज को आरक्षण नहीं मिलता है तो अक्टूबर में पटना के गाँधी मैदान में विशाल जनसभा कर संगठन के द्वारा पार्टी के नाम की घोषणा की जाएगी. साथ ही अगले लोकसभा चुनाव में बिहार में सभी 40 सीटों पर अपनी पार्टी के बैनर तले उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा जाएगा.
सन ऑफ़ मल्लाह का कहना है कि कई राजनीतिक दल उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण पद देने का वादा कर रहे हैं, मगर वे किसी भी तरीके का समझौता नहीं करेंगे. वे हर हाल में बिहार में निषाद समाज के लिए नंबर एक की कुर्सी चाहते हैं.उन्होंने कहा कि आज जुब्बा सहनी के शहादत दिवस के अवसर पर महामुकाबले में हमारी ताकत और एकजुटता देखकर कुछ राजनैतिक पार्टियां हतप्रभ हैं.
उल्लेखनीय है कि सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी निषाद विकास संघ के बैनर तले निषादों के आरक्षण की मांग विगत तीन वर्षों से कर रहे हैं. विगत विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा निषादों को आरक्षण देने के वादे के पश्चात सन ऑफ़ मल्लाह ने चुनाव में बीजेपी का साथ दिया था.उनका आरोप है कि ढाई साल से अधिक समय हो जाने के बाद भी राज्य तथा केंद्र सरकार द्वारा निषाद आरक्षण को लेकर कार्य नहीं किया जा रहा. राज्य तथा केंद्र सरकार बिहार में निषादों के साथ छल करती प्रतीत हो रही है. ऐसे में सन ऑफ़ मल्लाह के नेतृत्व में बिहार के निषादों में सरकार के खिलाफ भयंकर आक्रोश व्याप्त है.
मुकेश सहनी का कहना है कि निषाद आरक्षण के लिए जरुरी एथ्नोग्रफिक रिपोर्ट राज्य सरकार जल्द-से-जल्द केंद्र को भेजे. इससे पहले सितंबर 2015 में सन ऑफ़ मल्लाह के नेतृत्व में बिहार के लाखों निषादों ने आरक्षण के लिए प्रदर्शन किया था. फलस्वरूप महज 12 घंटों के अंदर ही बिहार कैबिनेट ने राज्य में निषादों को आरक्षण देने की अनुशंसा कर दी थी. मगर उसके बाद राज्य सरकार इसके प्रति उदासीन हो गई.