नयी दिल्ली.संसद में पेश 2018-19 के आम बजट में गांव,किसान और कृषि के साथ साथ मेक इन इंडिया पर विशेष ध्यान दिया गया लेकिन मध्यम वर्गीय वेतनभोगी लोगों को बजट ने निराशा किया है.
मोदी सरकार के अंतिम फुल आम बजट की मुख्य बातें-
-सरकार का ढांचागत सुधार, विनिर्माण, सेवा और निर्यात क्षेत्रों में विकास के पटरी पर वापस आ जाने से देश की अर्थव्यवस्था के 8 प्रतिशत से भी अधिक वृद्धि दर हासिल करने का प्रयास किया गया।
-अधिकतर रबी फसलों की ही तरह सभी अघोषित खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उनकी उत्पादन लागत से डेढ़ गुना किया गया।
-कृषि क्षेत्र को दिया गया संस्थागत ऋण वर्ष 2014-15 के 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 11 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य किया गया।
-86 प्रतिशत छोटे एवं सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिए 22,000 ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजारों के रूप में विकसित एवं उन्नत करने की घोषणा।
-किसानों एवं उपभोक्ताओं के हित में आलू, टमाटर और प्याज की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव की समस्या से निपटने के लिए ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ पेश।
-मत्स्य पालन और पशुपालन क्षेत्रों के लिए 10,000 करोड़ रुपये के दो नए कोष की घोषणा; पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन के लिए 1,290 करोड़ रुपये का आवंटन।
-महिला स्वयं सहायता समूहों को मिलने वाली ऋण राशि को पिछले साल के 42,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2019 में 75,000 करोड़ रुपये करने की घोषणा।
-निम्न एवं मध्यम वर्ग को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन, बिजली और शौचालय सुलभ कराने हेतु उज्ज्वला, सौभाग्य और स्वच्छ मिशन के लिए अधिक लक्ष्य तय।
-स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक संरक्षण के लिए परिव्यय 1.38 लाख करोड़ रुपये होगा। जनजातीय समुदाय के विद्यार्थियों के लिए वर्ष 2022 तक हर जनजातीय ब्लॉक में एकलव्य आवासीय स्कूल होगा।
– इलाज के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक की सीमा के साथ दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संरक्षण योजना शुरू की गई है। इसके दायरे में 10 करोड़ से भी अधिक गरीब एवं कमजोर परिवारों को लाने की घोषणा।
-राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत तय किया गया, यह 2018-19 में 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान।
-दस प्रमुख स्थलों को प्रतीक पर्यटन गंतव्यों के रूप में विकसित किया जाएगा।
-नीति आयोग कृत्रिम समझ (एआई) पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करेगा।
-रोबोटिक्स, एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स इत्यादि पर उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किए जाएंगे।
-विनिवेश 72,500 करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार कर 1,00,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचा।
-पीली धातु को एक परिसंपत्ति श्रेणी के रूप में विकसित करने के लिए व्यापक स्वर्ण नीति बनाने की तैयारी।
-सौ करोड़ रुपये तक के वार्षिक कारोबार वाली किसान उत्पादक कंपनियों के रूप में पंजीकृत कंपनियों को इस तरह की गतिविधियों पर प्राप्त लाभ पर 2018-19 से लेकर पांच वर्षों तक 100 प्रतिशत कर कटौती का प्रस्ताव।
-धारा 80-जेजेएए के तहत नए कर्मचारियों को अदा किए जाने वाले कुल वेतन पर 30 प्रतिशत कटौती में ढील देकर इसे फुटवियर एवं चमड़ा उद्योग के लिए 150 दिन किया जाएगा, ताकि ज्यादा रोजगार सृजित हो सके।
-ऐसी अचल संपत्ति में लेन-देन के संबंध में कोई समायोजन नहीं होगा जिसमें सर्किल रेट मूल्य कुल राशि के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। -50 करोड़ रुपये से कम के कारोबार (वित्त वर्ष 2015-16 में) वाली कंपनियों के लिए फिलहाल उपलब्ध 25 प्रतिशत की घटी हुई कंपनी कर का लाभ वित्त वर्ष 2016-17 में 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार की जानकारी देने वाली कंपनियों को भी देने का प्रस्ताव रखा गया है, ताकि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम लाभान्वित हो सकें।
-परिवहन भत्ते के लिए मौजूदा छूट और विविध चिकित्सा खर्चों की प्रतिपूर्ति के स्थान पर 40,000 रुपये की मानक कटौती। इससे 2.5 करोड़ नौकरीपेशा कर्मचारी एवं पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे।
-वरिष्ठ नागरिकों को बैंकों और डाकघरों में जमाराशियों पर ब्याज आमदनी संबंधी छूट 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये की जाएगी। -प्रधानमंत्री वय वंदना योजना की अवधि मार्च 2020 तक बढ़ाने का प्रस्ताव। वर्तमान निवेश सीमा को प्रति वरिष्ठ नागरिक के लिए 7.5 लाख रुपये की मौजूदा सीमा से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने का प्रस्ताव।
– नकदी की अर्थव्यवस्था को नियंत्रण में रखने के लिए न्यासों और संस्थानों को 10,000 रुपये से अधिक का नकद भुगतान करने की अनुमति नहीं होगी और इस पर कर लगेगा।
-एक लाख रुपये से अधिक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर 10 प्रतिशत की दर से कर लगेगा जिसमें कोई भी सूचीकरण लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि 31 जनवरी 2018 तक हुए सभी लाभ को संरक्षित किया जाएगा। -इक्विटी उन्मुख म्यूचुअल फंडों द्वारा वितरित आय पर 10 प्रतिशत की दर से कर लगाने का प्रस्ताव।
-व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेशन कर पर देय उपकर को मौजूदा 3% से बढ़ाकर 4% करने का प्रस्ताव।
-प्रत्यक्ष कर संग्रह में और अधिक दक्षता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आपसी संपर्क लगभग पूरी तरह समाप्त करने के लिए देश भर में ई-निर्धारण शुरू करने का प्रस्ताव।
-देश में और ज्यादा रोजगारों के सृजन को बढ़ावा देने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहनों के कलपुर्जों, फुटवियर और फर्नीचर में ‘मेक इन इंडिया’ तथा घरेलू मूल्यवर्द्धन को भी प्रोत्साहित करने के लिए सीमा शुल्क में फेरबदल करने का प्रस्ताव।