पढें…जान जोखिम में डालकर दूसरे राज्य में इंटर पढने जाते हैं बच्चे

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अनूप नारायण सिंह.

जिस धारा को पार करने में बड़े -बड़ों के छक्के छूट जाते हैं उसे नौनिहाल हर दिन छोटी नाव से पार करते हैं किताबी ज्ञान के पहले इन्हें कर्मनाशा नदी की बलखाती लहरों पर अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है भविष्य तो इन बच्चों को नहीं पता किंतु वर्तमान इनके सिर मंडराते खतरे से माता-पिता की भी सांसें अटकी रहती है।

मानसून आने से लेकर शरद ऋतु के जाने तक ये समस्या सामने मुंह बाए खड़ी रहती है।जी हां हम बात कर रहे हैं दुर्गावती प्रखंड के धडहर पंचायत के एक दर्जन से अधिक गांव के छात्र- छात्राओं की जो हर रोज बलखाती कर्मनाशा नदी को नाव से पार कर यूपी के भुजना इंटर कॉलेज में किताबी ज्ञान लेने जाते हैं। इस पंचायत में प्राथमिक और मध्य विद्यालय है लिहाजा आठवीं तक की तालीम बच्चे अपने गांव गिराव में ही ले लेते हैं। लेकिन मैट्रिक और इंटर तक की पढ़ाई करने के लिए इन्हें उफनती कर्मनाशा नदी को छोटी नाव से पार कर उत्तर प्रदेश के भुजना इंटर कॉलेज में जाना पड़ता है।

पंचायत के पूर्व मुखिया योगेंद्र यादव ने बताया कि दो-तीन पंचायतों के 2 दर्जन से अधिक गांवों के सैकड़ों बच्चे रोजाना कानपुर गांव के समीप छोटी नाव से नदी उस पार उत्तर प्रदेश के भुजना गांव जाते हैं बच्चों की तादाद काफी है जिसमें बच्चियां भी हैं जिनकी संख्या 200 से कम नहीं है। ऐसे गांव हैं धडहर,पिपरी,कानपुर,बेलखुरी,नौबाट,भानपुर धनसराय,बडौरी जैसे गांव हैं। इस पंचायत के गांव से बिहार (कैमूर) जिले में स्थित इंटर स्तरीय विद्यालयों की दूरी 15 से 20 किलोमीटर है।

एक तरफ चांद प्रखंड में इंटर स्तरीय विद्यालय गांधी स्मारक तो दूसरा इंटर स्तरीय विद्यालय दुर्गावती का धनेछा इन गाँवों से दोनो विद्यालयों की दूरी 15 से 20 किलोमीटर है। और यही कारण है कि इतनी लंबी दूरी तय करने के बजाए एक दर्जन गाँव के सौ अधिक बच्चे नदी पार कर यूपी में जाते हैं। यानी बच्चे गुणवत्तापरक शिक्षा की आस में उफनती कर्मनाशा नदी की धारा पार कर दो-तीन किलोमीटर दूर दूसरे राज्य में इंटर की पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

इसके लिए इन्हें हर रोज दिन में दो बार कर्मनाशा नदी को नाव से पार करना पड़ता है। पानी की अग्निपरीक्षा के दौर से गुजरने के बाद इन छात्रों को 10वीं और 12वीं डिग्री नसीब हो पाती है।साहस की बात तो यह है कि कभी-कभार जब नाविक नहीं होता तो खुद ही नाव पार लगाते हैं। बहरहाल दुर्गावती में पांच हाई स्कूल पुराने हैं जबकि दो तीन मध्य विद्यालयों को टेन प्लस टू में उत्क्रमित किया गया है। यह सभी विद्यालय पुराने हाईस्कूल के इर्द-गिर्द के हैं। सरकार को जब विद्यालयों को उत्क्रमित करना ही है तो क्यों नहीं वैसे विद्यालयों को टेन प्लस टू में उत्क्रमित किया जाए जहां कई किलोमीटर तक इंटर स्तरीय विद्यालय नहीं है।

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