सावधान…बचत का जुनून कहीं आपको मनोरोगी न बना दे

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डा.मनोज कुमार.

अशरफ ने बड़े चाव से पनीर की सब्जी मुंह में लिया।उनकी पत्नी जोया सामने पानी लिए खड़ी थी।इनके ससुर अभी हाल मे पटना सचिवालय से रिटायर हुए हैं।बड़े पोस्ट थे।रूतबा,शानो-शौकत में कमी नहीं थी।एक वरीय आइ.एफ.एस।न जाने कितने विभाग देखे।इनकी पत्नी शबनम बेगम काफी सालो से खुद को बदलने की जदोजेहद लिए जी रही है।लाख समझाने के बावजूद वह बदलना नही चाहती।

अशरफ को इसी बात से परेशानी है कि ससुराल में पैसे व शान में कोई कमी नही,फिर सासू मां हमेशा चिथङो में क्यों लिपटी रहती है।वह घर के साज समान को बेचती है परंतु ज्यादातर वह उन चीजो को वापस जमा कर लेती है जिनकी कोई जरूरत नही।एक-एक पैसे का हिसाब रखना।कभी कुछ खाने का मन करे फिर भी दिल को मारना यह उनके आदत मे शुमार था।

जोया एक पढी लिखी आजाद ख्याल की महिला थी।उनके बायें गाल पर तील था जो उनकी खूबसूरती मे चार चांद लगाती थी।पेशे से इंजिनियर अशरफ को इन खूबियो से भरी जोया पसंद आयी थी।लेकिन जब परिवार में आया तो उनकी सास की यह हरकत रास नहीं आ रही थी।पति के इतने बड़े पद पर और उनकी पत्नी की बचत या चीजों को इकट्ठा करने की यह आदत।जीवन भर कंजूस मक्खीचूस कहकर तस्लली करते रहे‌।परिवार के सभी सदस्यों ने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब अशरफ ने अपनी पत्नी जोया को मां को लेकर ताने दिये तो जोया का माथा ठनका।बात बिगड़ती इससे पहले अपनी मां का पटना में मेरे पास काउंसलिंग के लिए लाना शुरू किया।अब वो पहले से बेहतर है।

दरअसल,आम जीवन मे हम बचत कर भविष्य को सुरक्षित बनाने का प्रयास करते हैं।यह आदत अच्छी है। लेकिन आपके दिमाग में हमेशा बचत की ही बात आए तो यह मनोरोग के संकेत हो सकते है।इस समस्या से पीड़ित इंसान वर्तमान की नही बल्कि भविष्य की चिंता में डूबा रहता है।वह हर पल अपनी जरूरत के साजो समान में कमी करता है।पैसे की बचत के लिए हम सक्षम होते हुए फटे कपड़े पहने,टुटी चप्पल पर काम चलाएं या घर में टूटे व बेकार चीजें जमा करते रहें तो समझ लिजिए यह बीमारी है।हर पल दिमाग में कुछ बचाने की बात चलती रहती है।आपने भी देखा होगा- कार से जायेगे सब्जी लेने और वहां मात्र एक रूपया कम कराने के लिए विनती करेंगे। दुकानदार अगर कम कर दिया तो इनकी खुशी लांटरी निकलने जैसी होगी।हैरानी भी तब होगी जब आप देखेगे कि संपन्न लोग भी रिक्शे वाले से भाड़ा देने में उलझ जाते है।कुछेक मामले मेरे पास ऐसे आते है जिनमें बचत करने की मनोवृति लिए इंसान किसी कारणवश बचत नहीं कर पाता तब उनको भूख व नींद भी नही आती।स्वाभाविक है अगर भूख व नींद नहीं आएगी तो बहुत सी बीमारियों को आप न्योता ही देंगे।

(लेखक-डा.मनोज कुमार,पटना मॆं काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट है।इनका संपर्क नं-298929114,9835498113)

 

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