अंडर19 विश्वकप कप्तान तक का,ईशान का सफर

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अभिषेक.

पटना के रहने वाले ईशान किशन अब भारतीय क्रिकेट की अंडर 19 विश्वकप में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. पढ़ाई में  सामान्य छात्र रहे ईशान ने क्रिकेट में ऐसा ध्यान केंद्रित किया कि अब वे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं. 18 जुलाई 1998 को जन्में ईशान को तीन साल की उम्र से ही क्रिकेट से जुड़ाव हो गया था. हमउम्र बच्चों के साथ-साथ वे बड़ो के साथ भी इस खेल का लुत्फ उठाने में पीछे नहीं रहते थे.

ईशान के बिल्डर पिता प्रणव कुमार पांडेय और मां सुचित्रा सिंह चाहती थी कि वे बड़े होकर डॉक्टर बने. लेकिन ईशान को शरीर के चिर-फाड़ से ज्यादा गेंद की चिर-फाड़ में मन लगता था. शायद इसलिए उनकी क्लास की कॉपियां सिलेबस से ज्यादा क्रिकेट ग्राउंड और खिलाड़ियों के चित्रों से भर जाती. इसके लिए कई बार उन्हें मां-पापा की डांट भी खानी पड़ती लेकिन उनके बुलंद इरादों के सामने माता-पिता को भी झुकना पड़ा. उनके माता-पिता ने उनका साल 2005 में बिहार क्रिकेट संघ की एकेडमी में दाखिला करवाया. उनके पहले कोच उत्पल मजुमदार और फिर संतोष सिंह थे. किशन दोपहर ढ़ाई बजे स्कूल से घर आते थे और फिर सीधे ग्राउंड पर जाकर पसीना बहाते. उनके साथ उनके माता-पिता जाते थे, और वे तब तक बैठे रहते थे जबतक बेटे की प्रैक्टिस पूरी नहीं हो जाए. साल 2005-06 में देहरादून में एसआईएस क्रिकेट टूर्नामेंट में उन्हें बेस्ट विकेटकीपर का अवार्ड मिला.

बिहार में क्रिकेट को मान्यता नहीं होने के कारण किशन राज्य से बाहर जाना चाहते थे, लेकिन जान-पहचान नहीं होने के कारण उनके माता-पिता इस बाबत तैयार नहीं थे. इसी दौरान झारखंड में खेलने वाले बाबुल का फोन आया उन्होंने ईशान को सेल की ओर से खेलने के लिए बुलाया. सेल के कोच अशोक विद्यार्थी और अरूण विद्यार्थी से संपर्क किया और खेलने की अनुमति मिल गई. झारखंड में ईशान को उनकी मां अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी इसलिए वे भी साथ हो गई. हालांकि किशन नहीं चाहते थे कि वे मां के साथ रहे, काफी नाराज भी होते थे लेकिन फिर मां नहीं मानी. वे उनके लिए खाना लेकर मैदान में इंतजार करती थी और जबतक वे खाते नहीं थे तबतक वो वापस नहीं आती थी.

झारखंड में किशन की क्रिकेट में प्रतिभा को देख कर मां-पापा ने भी उनपर पढ़ाई के लिए बोझ डालना कम कर दिया, और वे भी मान लिये कि क्रिकेट में ही उनका कैरियर बनने दिया जाए. वह जिला स्तरीय क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करते गए. अचानक एक दिन सेल के कोच अशोक विद्यार्थी ने फोन कर कहा कि झारखंड अंडर 16 क्रिकेट टीम के लिए ओपन ट्रायल होने वाला है, आ जाओ. ईशान उसी रात अपने पिता के साथ बस से रांची के लिए कूच कर गये और सेलेक्ट भी हो गए. इसके बाद किशन ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उनका चयन झारखंड अंडर 19, अंडर 19 भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अब हो गया. बिहार-झारखंड वासियों के साथ तमाम देशवासी भी अब यही दुआ कर रहे हैं कि जनवरी में बांग्लादेश में होने वाले अंडर 19 विश्वकप में ईशान के साथ-साथ पूरी टीम बढ़िया प्रदर्शन करे और जीत कर वापस आये.

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