संवाददाता.पटना.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को जल संसाधन, योजना एवं विकास विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षात्मक बैठक की जबकि गुरूवार अपराह्न में समाज कल्याण विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षात्मक बैठक की थी।समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री द्वारा संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये।
बैठक की जानकारी देते हुए मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि समाज कल्याण विभाग की समीक्षा के क्रम में निर्देश दिया गया कि सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न पेंशन योजना के लाभार्थियों को आधार संख्या से जोड़ते हुये प्रत्येक लाभार्थी तक पेंशन योजना का त्वरित लाभ पहुंचाया जाय। साथ ही जिन लाभार्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन कर लिया गया है, उनके लंबित अवधि का पेंशन का भुगतान एकमुश्त कर दिया जाय। पेंशन भुगतान की अवधि तत्काल त्रैमासिक किया जायेगा तथा यथाशीघ्र इसे मासिक अवधि पर भुगतान करने हेतु संस्थागत व्यवस्था को सुदृढ़ कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत तीन जिलों में पैरेंट चाईल्ड एकाउंट सिस्टम तथा विकसित ऐप का पायलट कार्यक्रम शीघ्र आरंभ किया जा रहा है ताकि योजना का लाभ तत्क्षण मिल सके और उसका रियल टाइम में उचित अनुश्रवण भी हो सके। तत्पश्चात शीघ्र ही इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि वृद्धजनों के लिये संचालित सभी ओल्ड ऐज होम (सहारा) का संचालन यथासंभव स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से ही कराया जायेगा।एड्स पीड़ित कल्याण योजना को डीबीटी से जोड़ा जायेगा ताकि पीड़ितों के सम्पूर्ण ब्योरा को संधारित करते हुये उसका सतत् अनुश्रवण किया जा सके। उन्होंने कहा कि निःशक्तों के लिये बुनियाद केन्द्र 27 जिलों में स्थापित कर लिया गया है। साथ ही 11 मोबाइल थेरेपी वैन का भी क्रय किया जा चुका है। शीघ्र ही इन केन्द्रों एवं मोबाइल थेरेपी वैन से बुनियाद संजीवनी सेवा राज्य में चालू हो जायेगा, जिसे चरणबद्ध तरीके से अनुमण्डल स्तर तक विस्तारित किया जायेगा।
मुख्य सचिव ने बताया कि समेकित बाल विकास कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों की गतिविधियों यथा बच्चों की उपस्थिति, पोषाहार का वितरण आदि के अनुश्रवण हेतु मोबाइल ऐप ‘आंगन’ को विकसित कर लिया गया है। आंगनबाड़ी कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसके उपरांत शीघ्र ही इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि गर्भवती/धातृ महिलाओं को दिये जा रहे पूरक पोषाहार में कोई योग्य महिला वंचित न रह जाय, इसके उचित अनुश्रवण हेतु स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय कर डाटा शेयरिंग किया जायेगा ताकि इस योजना का लाभ अधिक से अधिक गर्भवती/धातृ महिलाओं को ससमय पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना एवं कन्या सुरक्षा योजना के लक्षित समूह के जीवन चक्र एवं प्रत्येक चक्र की समस्याओं/अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुये नई परिष्कृत योजना तैयार करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नारीशक्ति योजना की समीक्षा के क्रम में महिला हेल्पलाइन एवं अल्पावास गृह के संचालन पर संतोष व्यक्त किया गया। साथ ही योजना के अन्तर्गत लाभुकों की संख्या बढ़ाने का निदेश दिया गया।
मुख्य सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा स्पष्ट किया गया कि महिला सशक्तिकरण के प्रति राज्य सरकार प्रतिबद्ध है तथा महिला सशक्तिकरण नीति का कार्यान्वयन राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसी क्रम में आगामी 2 अक्टूबर 2017 से बाल विवाह एवं दहेज उन्मूलन हेतु राज्यव्यापी अभियान आरंभ करने का निर्णय लिया गया है।
जल संसाधन विभाग की समीक्षा के संबंध में मुख्य सचिव ने बताया कि जल संसाधन विभाग को निर्देश दिया गया है कि सिंचाई योजनाओं के लिय अनुरक्षण नीति के अन्तर्गत वाटर कोर्स को प्राथमिकता देते हुये मुख्य नहर, शाखा नहर, वितरणी, उप वितरणी, लघु नहर के साथ इसका भी अनुरक्षण जल संसाधन विभाग अपने स्तर से करे, साथ ही फील्ड चैनेल निर्माण के कार्य को भी अनुरक्षण नीति के अन्तर्गत सम्मिलित करें। उन्होंने बताया कि जल संसाधन विभाग को निर्देश दिया गया है कि मलई बराज योजना का शीघ्र कार्यान्वयन कर पूर्ण करने की कार्रवाई की जाय। उन्होंने बताया कि जमींदारी बांध के गश्ती कार्य में मजदूरों हेतु निर्धारित 15 किलोमीटर को कम कर 5 किलोमीटर किया जायेगा। इस हेतु विभाग बांध के निकटस्थ गांव के निवासियों तथा पंच एवं सरपंचों की अपने बाढ़ नियंत्रण कक्ष के साथ सहभागिता सुनिश्चित कराने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि वीरपुर में फीजिकल माडलिंग सेंटर की स्थापना की जायेगी ताकि धीरे-धीरे राज्य की सभी प्रमुख नदियों के लिये फीजिकल माडलिंग किया जा सके। इसे सेंटर ऑफ एक्सेलेंस बनाया जायेगा ताकि अन्य राज्य भी इसका लाभ उठा सके। उन्होंने कहा कि पटना स्थित आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में रिभर बिहेभीरियल स्टडी सेंटर की स्थापना की गयी है। उन्होंने बताया कि गाद प्रबंधन के लिये भारत सरकार द्वारा भेजे गये ड्राफ्ट रिपोर्ट एवं समिति की संरचना पर बिहार सरकार के दृष्टिकोण के आलोक में शीघ्र कार्यान्वित कराने की कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।
योजना एवं विकास विभाग की समीक्षा के संबंध में मुख्य सचिव ने बताया कि योजना एवं विकास विभाग के योजना उदव्यय की समीक्षा की गयी। 2005-06 से 2016-17 तक लगातार योजना उदव्यय में बढ़ोतरी हुयी है। मुख्य सचिव ने बताया कि 2012-17 में 2,28,452 करोड़ के विरूद्ध राज्य सरकार द्वारा 2,21,245 करोड़ रूपये खर्च किया गया, जो कि कुल का 97 प्रतिशत है। मुख्य सचिव ने बताया कि सबसे ज्यादा व्यय आधारभूत संरचना (कृषि सहित) पर की गयी है। मुख्य सचिव ने बताया कि वर्ष 2016-17 में बिहार का विकास दर करेंट रेट (चालू दर) के आधार पर 14.8 प्रतिशत है तथा कास्टेंट रेट (स्थिर दर) के आधार पर 10.32 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि बिहार में डबल डिजिट विकास दर है, यह खुशी की बात है।
समीक्षा के दौरान उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, संबंधित विभागों के मंत्री-समाज कल्याण मंत्री कुमारी मंजू वर्मा/जल संसाधन तथा योजना एवं विकास मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, संबंधित विभागों के प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित संबंधित विभागों के अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।