मां जयमंगला की कृपा भक्तों पर,कोविन्द ने भी टेका था मत्था

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Begusarai-Jai Mangla Temple-1

अभिजीत पाण्डेय.पटना.इसे महज इतफाक कहे या फिर मां जयमंगला की कृपा लेकिन यह हकीकत है कि बिहार के बेगूसराय स्थित मां जयमंगला के दरबार में आने वाले भक्तों की मुरादें पूरी हो जाती हैं।
देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इसका जीता जागता उदाहरण हैं।

केवल रामनाथ कोविंद ही नहीं, बल्कि इससे पहले डॉ जाकिर हुसैन भी मां जयमंगला के दर्शन के बाद देश के राष्ट्रपति बन चुके हैं।
विदित हो कि बिहार के राज्यपाल के तौर पर रामनाथ कोविंद 18 मई 2017 को मंझौल में जयमंगला काबर महोत्सव के उद्घाटन के लिए मंझौल आये थे।इस महोत्सव में शिरकत करते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा था कि ये रामधारी सिंह दिनकर की धरती है और श्रीबाबू की कर्मभूमि है।
18 मई को रामनाथ कोविंद मंझौल आये और एक महीने के अंदर वो देश के राष्ट्रपति निर्वाचित हो गए हैं। इससे पहले 1956  मे देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन भी बिहार के राज्यपाल के रुप में बेगूसराय के मंझौल आये थे और तब उन्होंने मंझौल में वेटनरी अस्पताल का उद्घाटन किया था।
मंझौल में 1400 वीघे का काबर झील हैं और यहा्ँ 52 शत्तिपीठों में से एक मां जयमंगला की शक्तिपीठ है। सातवीं-आठवीं सदी में यह पालवंश की राजधानी हुआ करती थी। मां जयमंगला को विजय की देवी माना जाता था और शायद यही कारण है कि माता के दर्शन के बाद लोग देश के सर्वोच्च पद को सुशोभित करते हैं।बेगूसराय के सासंद भोला सिंह ने कहा कि 1956 में बिहार के राज्यपाल के रुप में जाकिर हुसैन मंझौल आए थे और एक महीने बाद ही वो देश के राष्ट्रपति बन गए थे।इसी तरह रामनाथ कोविंद भी मां जयमंगला के दर्शन के बाद सर्वोच्च पद पर आसीन हो गए हैं।ये माता जयमंगला की कृपा है और मंझौल की महान धरती का कमाल है कि यहां आने वाले लोग देश के महापुरूषों की कतार में खड़े हो जाते हैं।पूर्व सांसद रामजीवन सिंह ने भी बताया कि 1956 में जाकिर हुसैन और 2017 में रामनाथ कोविंद मंझौल आये और दोनों देश के राष्ट्रपति बन गए।

 

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