भोजपुरी लोक गीतों पर झूमे संगीत प्रेमी

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संवाददाता.रांची.रांची के आड्रै हाउस परिसर में आयोजित शनिपरब कार्यक्रम में एक साथ कला की तीन विधाओं-लोक नृत्य, लोक गीत और नाटक का आनंद उठाने का अवसर दर्शकों को मिला। इस साप्ताहिक कार्यक्रम में सबसे  पहले बेड़ो के कलाकार सुदामा सिंह ने बांसुरी पर मतवाली तान छेड़ी । उसके बाद उन्होंने अपने साथियों के साथ उल्लास और आपसी तालमेल के साथ अद्भुत जनजातीय नृत्य पेश किया और सब को अपनी ओर आकृष्ट किया । मांदर की थाप और बांसुरी की धुन पर कलाकारों के साथ साथ दर्शक भी थिरके ।

बिहार के मशहूर लोक गायिका डॉ नीतू नवगीत ने भोजपुरी गीतों के माध्यम से दर्शकों के दिलों-दिमाग पर जादुई असर डाला ।उन्होंने सबसे पहले भक्ति के रस में सरोबार  झूला झूलेला निमिया के डार, झुलेली माई झूम-झूम के गीत प्रस्तुत किया । उसके बाद उन्होंने जबले बाजूबंद सैंया ने दिलाई देहब, कोयल बिना बगिया ना शोभे राजा, रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे, मोरा पीछवरिया निमिया के गछिया, हमारा आम अमरईया बड़ा नीक लागेला सहित अनेक लोक गीत पेश किए ।  सबसे अंत में उन्होंने सूफी गीत छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिलाइके गीत पेश किया जिसे उपस्थित श्रोताओं ने बहुत ही सराहा । उनके साथ प्रेमचंद लाल ने हरमोनियम पर, रविशंकर मिश्रा ने तबला पर, मुकुल राय ने को कैसियो पर और अतुल चटर्जी ने ऑक्टोपैड पर संगत किया ।

उसके बाद जमशेदपुर की नाट्य संस्था पत्र द्वारा सुदामा का चावल नाटक पेश किया गया जिसमें पुरुषवादी मानसिकता की विद्रूपताओं और भारत में नारियों की बदतर स्थिति का मार्मिक चित्रण किया गया । नाटक का निर्देशन मोहम्मद निजाम ने किया । इस अवसर पर डॉ कमल कुमार बोस, हरेंद्र सिन्हा राज, श्रीनिवास, मधुकर, मृदुला , मोहम्मद परवेज, निराला बिदेसिया,  प्रिया संकल्प सहित अनेक कलाप्रेमी मौजूद थे ।

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