विशेष संवाददाता.पटना.माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान केन्द्र सरकार के तीन साल पूरे होने पर बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने विगत तीन वर्षों में केन्द्र द्वारा किये गये कार्यों को जनता के सामने रखा और कहा, ‘‘सबका साथ सबका विकास’’ के मूल मंत्र के साथ वर्तमान केन्द्र सरकार अपने कार्यों से जनता का विश्वास जीतने में सफल रही है।
उन्होंने कहा कि अपने किये गये विकास कार्यों से वर्तमान केन्द्र सरकार जनता के सामने एक निर्णायक, ईमानदार तथा संवेदनशील सरकार बनकर उभरी है, जो विकास कार्यों में जनता के सभी तबकों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए देश से गरीबी हटाने को कृतसंकल्पित है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने आंकड़ों के आधार पर केन्द्र सरकार की उपलब्धियां बताते हुए कहा कि बिहार को दिये गये केन्द्रीय कर के अलावा केन्द्र सरकार ने 94,906 हजार करोड़ रूपए बिहार सरकार को दिया. 2015-16 में19,566 करोड़, 2016-17 में 38,376 करोड़ और 2017-18में दिए 36,996 करोड़. वर्ष 2015-16 के बाल रिपोर्ट आंख खोलने वाली है। यह रिपोर्ट इस वर्ष मार्च महीने में बिहार विधान सभा के पटल पर रखा गया। इसके अनुसार, 182 योजनाएं ऐसी थी जिनमें एक पैसे का उपयोग नहीं हो सका और राज्य सरकार को राशि सरेन्डर करना पड़ा।
केन्द्र के विकास कार्यों की चर्चा करते हुए श्री राय ने कहा ‘‘देश में व्याप्त बेरोजगारी तथा गरीबी को प्राथमिकता देते हुए केन्द्र ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना के अंतर्गत अभी तक लगभग 7 करोड़ लोगों को रूपया 50 हजार से 10 लाख तक के लोन उपलब्ध कराए गए हैं, रोजगार सृजन के लिए आजादी के बाद से यह सबसे बड़ा तथा महत्वपूर्ण कदम है। अभी तक इसके अंतर्गत लगभग 4 लाख करोड़ रूपये का लोन स्वीकृत किया गया। ’’ इससे सात करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
मनमोहन जी की सरकार में विकास दर 4.8 प्रतिषत थी जिसको वर्तमान सरकार ने अपने शासन के प्रथम चरण में ही अपनी योजनाओं एवं निवेश से 7.4 प्रतिशत तक पहुंच गया जो वर्तमान में विश्व में एक सफल विकास दर मानी जा रही है। बिहार के सन्दर्भ में केन्द्र द्वारा किये कार्यों की जानकारी देते हुए श्री राय ने कहा ‘‘यूपीए सरकार ने 13वें वित्त आयोग की अनुषंसा पर 2010-15 के लिए रू0 1,60,742 करोड़ की राषि दी, जबकि मोदी सरकार ने 2015-20 के 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर इसे लगभग ढाई गुणा बढ़ा कर रू. 3,83,071 करोड़ का आवंटन किया है। अगर राज्य आपदा अनुक्रिया कोष को देखें तो यहां भी 2015-20 के लिए केन्द्र ने यूपीए के 2010-15 के 1848.25 करोड़ रूपए के आवंटन को बढ़ाकर 2,591 करोड़ रूपए कर दिया है, जो पिछले से 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी है ।
केन्द्र की योजनाओं के बारे में चर्चा करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री राय ने कहा कि ‘‘ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर आवागमन की सुविधा के लिए केन्द्र सरकार बिहार में ग्रामीण क्षेत्रों की सड़क निर्माण के आवंटन को लगातार बढ़ाती रही है। जहां वर्ष 2015-16 में केन्द्र ने इस मद में बिहार के लिए 1854 करोड़ रूपए का आवंटन किया था, वहीं वर्ष 2016-17 में केन्द्र ने 2000 करोड़ रूपए इस मद में आवंटित किए । वर्तमान वित्त वर्ष 2017-18 में इस मद में प्रस्तावित राशि 2728 करोड़ रूपये है । केन्द्र के इतने सहयोग करने के बाद भी बिहार सरकार द्वारा इसे पूरी तरह खर्च न कर पाना दुखद है। इसके अलावा गरीबों को रोजगार मुहैया कराने के लिए मनरेगा के तहत वर्ष 2016-17 में केन्द्र ने 1443.61 करोड़ रूपए मजदूरी के मद में बिहार को आवंटित किए जो गत वर्ष की आवंटित राशि 1028.40 करोड़ से अधिक थी। वर्ष 2016-17 में इस योजना पर कुल खर्च 2204.02 करोड़ रूपए था जबकि वर्ष 2015-16 में इसी मद में केन्द्र ने 1625.97 करोड़ रूपए खर्च किये थे । वर्ष 2016-17 में बिहार के 23.33 लाख परिवार इस योजना से लाभान्वित हुए ।
रेल विभाग ने बिहार में चल रही रेल परियोजनाओं के लिए कई गुणा राशि बढ़ा दी है। 2009-10 से 2013-14 तक लगभग प्रति वर्ष रू01133 करोड़ मिलता था। जिसे मोदी सरकार ने 2016-17 में बढ़ाकर रू0 3171 करोड़ और 2017-18 के लिए रू0 3696 करोड़ का प्रावधान किया जो पहले से लगभग 3.5 गुणा अधिक है।दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई)के तहत हर गांव के हर घर में 2018 तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है । इस योजना में केन्द्र सरकार ने 5856 करोड़ रूपया का प्रावधान किया जिसमें से 1000 हजार करोड़ रूपया बिहार सरकार को दे दिया। बिहार में पिछले तीन सालों में इस योजना के तहत 2351 गांवों को विद्युतिकृत किया गया । बिहार में 319 गांव विद्युतीकृत करने बाकी हैं । वहीं उजाला योजना के अंतर्गत 2019 तक केन्द्र ने 77 करोड़ एलईडी के बल्ब बांटने का लक्ष्य रखा है, जिससे 40 हजार करोड़ रूपये का बिजली बिल की बचत होगी। अभी तक 18 करोड़ एलईडी बल्ब बांटे जा चुके हैं। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत बीपीएल परिवार के महिलाओं को पांच करोड़ एलपीजी कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अब तक दो करोड़ गैस कनेक्शन गरीबों को दिया जा चुका है।
मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी को दुगुना करने का लक्ष्य रखा है। किसानों की आमदनी तभी बढ़ेगी जब कम लागत में कृषि उपलब्धता बढ़े । अभी बिहार के पैदावार प्रति एकड़ आधे से भी कम है । आमदनी दुगुनी करने के लिए केन्द्र सरकार ने महत्वपूर्ण योजनायें लायी हैं, चाहे वह स्वायल हेल्थ कार्ड हो, नीम कोटेड यूरिया, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हो । इसके अलावा किसान टीवी, कृषि ऋण प्रवाह, प्रति बूंद अधिक फसल, राष्ट्रीय कृषि बाजार, ई-ट्रेडिंग, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन, पशुपालन आदि कई ऐसे क्षेत्र हैं जो किसानों के विकास के प्रति केन्द्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है । प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत बिहार में 2017-18 में 4036 करोड़ का प्रावधान किया है जिससे 5,38,959 गरीबों को घर मुहैया कराया जायेगा । 2018-19 में 4594 करोड़ का प्रावधान किये जाने का प्रस्ताव है जिससे 6,13,496 गरीब लाभान्वित होंगे । ये घर शौचालय और गैस कनेक्शन से युक्त रहेंगे । शिक्षा क्षेत्र में केन्द्र सरकार ने महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी, बिहार एवं दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय गया, बिहार की स्थापना को मंजूरी दी है तथा साथ में 6 नए आईटीआई को मंजूरी दी है । इसके अलावा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत बिहार में 119 कौशल विकास केन्द्र खोले गए हैं। वहीं सर्व शिक्षा अभियान के तहत बिहार सरकार को वर्ष 2016-17 में 1665.35 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध करायी गयी है । डिजिटल इंडिया के तहत 2018 तक 2.5 लाख गांवों को इंटरनेट से जोड़ने के अपने लक्ष्य के तहत अब तक 55 हजार गांव इस योजना का लाभ उठा रहे हैं ।इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) हो, स्वच्छता अभियान हो या स्मार्ट सिटी योजना, पुल निर्माण हो या सड़क निर्माण, केन्द्र सरकार बिहार की जनता से किये अपने वादों को पूरा करने के लिए पूरी तरह कृतसंकल्पित है ।मोदी सरकार स्वच्छ सरकार – अब तक तीन साल में एक भी घोटाला नजर नहीं आया । कांग्रेस के दस सालों के शासन में कई लाख करोड़ रूपये के घोटाले उजागर हुए । कांग्रेस सरकार में बिचैलियों और दलालों की अहम भूमिका होती थी। मोदी जी की सरकार में अब कोई बिचैलियों या दलालों की भूमिका समाप्त हो गई है।
श्री राय ने बताया‘‘ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की बात करें तो वर्ष 2014-15 में केन्द्र ने इस मद में 35 करोड़ रूपए बिहार सरकार को आवंटित किए लेकिन बिहार सरकार इसमें से महज 5.62 करोड़ रूपए खर्च किये। वहीं 2015-16 में इसी मद में केन्द्र द्वारा आवंटित 10 करोड़ रूपए में से बिहार सरकार ने केवल 6.6 करोड़ ही खर्च किए।अभी फिलहाल इस मद में राज्य सरकार के पास केन्द्र के 31.71 करोड़ रूपये शेष है जो राज्य को वर्ष 2017-18 में खर्च करने हैं , इसके बावजूद केन्द्र ने इस मद में बिहार को 16 करोड़ रूपये और आवंटित किये हैं। बिहार सरकार को निशाने पर लेते हुए श्री राय ने कहा‘‘ एक तरफ केन्द्र बिहार के विकास के लिए अनेक मदों में राशि आवंटित कर रहा है, दूसरी तरफ राज्य सरकार उन्हें खर्च भी नहीं कर पा रही । राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत बिहार सरकार के पास 2014-15 में 101.24 करोड़ रूपए उपलब्ध थे, जिसमें से 7.99 करोड़ रूपया बिहार सरकार खर्च नहीं कर पायी। वहीं 2015-16 में आवंटित 63.78 करोड़ रूपये में से बिहार सरकार 49.61 करोड़ रूपया खर्च नहीं कर सकी । इनका यही हाल 2016-17 में भी रहा जब इसी मद में आवंटित 85.23 करोड़ रूपए में से 61.74 बचा रह गया । अगर अन्य क्रियाकलापों के मद को देखें तो 2015-16 में केन्द्र के 18.60 करोड़ निर्गत किए जिसके खर्च का बिहार सरकार ने कोई ब्यौरा नहीं दिया । इसी तरह 2016-17 में राज्य को 21.60 करोड़ निर्गत किये गये जिसका ब्यौरा मिलना भी अभी तक बाकी है। बिहार के हर नागरिक को स्वच्छ पेयजल मिले, इसके लिए केन्द्र सरकार ने वर्ष 2016-17 में 131.86 करोड़ रूपये की राशि बिहार सरकार को उपलब्ध करायी, लेकिन बिहार सरकार ने अभी तक इसका कोई हिसाब तक नहीं दिया, जिसके कारण अगले बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं किया जा सका’’ ।