केन्द्र को गंगा के गाद प्रबंधन के लिये अच्छी नीति बनानी चाहिए-नीतीश

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नई दिल्ली.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि गंगा की अविरलता सुनिश्चित किये बिना इसकी निर्मलता सम्भव नहीं है। वे दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘‘गंगा की अविरलता में बाधक गाद: समस्या एवं समाधान‘‘ विषय पर आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के पश्चात बड़ी संख्या में उपस्थित पर्यावरणविदों, विशेषज्ञों, गणमान्य व्यक्तियों एवं अन्य को सम्बोधित कर रहे थे।

इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज गंगा नदी की स्थिति देखकर रोना आता है। नदी के तल में जमा गाद पानी के प्रवाह में अवरोध पैदा करता है। गाद से जटिल समस्याएँ उत्पन्न होती है। इसका प्रतिकूल प्रभाव बिहार के साथ-साथ अन्य राज्यों पर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता मेरे लिये कोई राजनैतिक मुद्दा नही है। यह बिहार के स्वार्थ से जुड़ा मुद्दा भी नही है। यह राष्ट्र से जुडा हुआ मुद्दा है। यह प्रकृति एवं पर्यावरण से जुडा मुद्दा है। गंगा की अविरलता को कायम रखने के लिए कदम उठाना ही पड़ेगा।

मुख्यमंत्री ने इस सम्मेलन एवं विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका आयोजन दिनांक 25-26 फरवरी 2017 को पटना में गंगा की अविरलता विषय पर आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में आए विशेषज्ञों के द्वारा प्रस्तुत शोध पत्रों के निष्कर्ष के पश्चात् आगे के कारवाई हेतु रूपरेखा तय करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक पर्यावरणविद एवं नदी के विशेषज्ञ गाद से उत्पन्न जटिल समस्याओं के समाधान के तरीको को ढूँढेंगे ताकि नदी अविरलता के लिए कार्यक्रम तय किया जा सके। मुख्यमंत्री श्री कुमार ने कहा कि अपने बचपन के दिनों में वे गंगा नदी से पानी भरकर लाया करते थे। उस समय गंगा जल काफी स्वच्छ था। आज स्थिति बदल गयी है। गंगा का प्रवाह मार्ग गाद से पट गया है। फरक्का बराज के बनने के पष्चात् इसके उध्र्व भाग में निरंतर गाद सालों साल जमा होता रहा है, जिसके कारण बाढ़ का पानी बक्सर, पटना तथा भागलपुर तक काफी देर तक रूका रहता है। यह बाढ़ बिहार में जलजमाव एवं काफी तबाही मचाता है, जिससे राज्य को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रत्येक साल काफी नुकसान होता है। 2016 में बिहार में आयी बाढ़ की विभीषिका इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। उन्होंने कहा कि बिहार जैसे गरीब राज्य को 05 (पाँच) वर्षों में कटाव-निरोधक कार्यों पर 1058 (एक हजार अन्ठावन) करोड़ रूपया खर्च करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि गंगा नदी की निर्मलता एवं डॉल्फिन में सीधा सम्बन्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार को गाद प्रबंधन के लिये एक अच्छी नीति बनानी चाहिए। गाद प्रबंधन नीति को व्यावहारिक रूप से सभी समस्याओं के अध्ययन एवं क्षेत्र भ्रमण के बाद तैयार करना अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि चितले कमिटि ने भी गाद को रास्ता देने की बात कही है। यही बात हम लगातार कहते आ रहे है।  गंगा के अविरल प्रवाह को सुनिष्चित करना जनहित एवं राष्ट्रहित में है।

कार्यक्रम की शुरूआत भारत गान से की गयी। जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरूण कुमार सिंह ने स्वागत भाषण दिया। माननीय मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर सम्मेलन का उद्धाटन किया। आगंतुकों को गंगा नदी के सामाजिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्व पर एक फिल्म दिखाया गया। जल संसाधन मंत्री, बिहार सरकार राजीव रंजन सिंह ने कहा कि गंगा नदी में गाद की समस्या राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनना चाहिए। गाद की समस्या को आज बिहार झेल रहा है, कल उत्तर-प्रदेश, उतराखंड एवं अन्य राज्य भी झेल सकता है। कान्फ्रेंस को सांसद जयराम रमेश, सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश वी गोपाल गौडा, स्वामी अभिमुक्तेश्वरानन्द जी, प्रो0 जी0डी अग्रवाल,सांसद हरिवंश, जलपुरूष राजेंद्र सिंह, एस0एन सुब्बाराव सहित अन्य ने सम्बोधित किया। सभी वक्ताओं ने गाद की समस्या उठाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

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