एकीकृत कमान गठित कर नक्सली समस्या से निपटेंगे-राजनाथ

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संवाददाता.नयी दिल्ली/रांची.केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सल प्रभावित दस राज्यों में एकीकृत कमान के गठन की पहल करते हुये सभी राज्यों से साझा रणनीति बनाकर नक्सली समस्या से निपटने के लिये स्थायी समाधान का सूत्र बताया।

उन्होंने सोमवार नई दिल्ली में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और संबद्ध केन्द्रीय एजेंसियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुये आठ सूत्रीय समाधान सिद्धांत के तहत कुशल नेतृत्व, आक्रामक रणनीति, प्रोत्साहन एवं प्रशिक्षण, कारगर खुफिया तंत्र, कार्ययोजना के मानक, कारगर प्रौद्योगिकी, प्रत्येक रणनीति की कार्ययोजनाऔर नक्सलियों के वित्तपोषण को विफल करने की रणनीति को शामिल करने की जरूरत बतायी। श्री सिंह ने इस सिद्धांत को कार्यरूप में लागू करने के लिये समस्याग्रस्त  राज्यों के बीच एकीकृत कमान के गठन की पहल की।

झारखण्ड में विकास से नक्सलियों पर प्रहार- रघुवर दास

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को नई दिल्ली में उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड सरकार की योजनाओं और रणनीति के बारे में बैठक में जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार की जन कल्याणकारी एवं सर्वांगीण विकास की रणनीतियों ने इस घोर उग्रवाद प्रभावित राज्य में बड़े पैमाने पर नक्सलवाद के विरूद्ध लड़ाई को जीत लिया। श्री दास ने कहा कि नक्सल विरोधी अभियान के लिए प्रतिनियुक्त केन्द्रीय सुरक्षा बलों के लिए जो राशि की मांग की गई है, उसे राज्य की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुये माफ किया जाय, क्योंकि नक्सलवाद एक राष्ट्रीय समस्या है।

उन्होंने रांची में एक हवाई निगरानी इकाई की स्थापना, रांची में अफीम की खेती में खतरनाक वृद्धि को देखते हुए मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्ण विकसित विभाग की स्थापना, पीएफआई से प्रभावित पाकुड़ और साहेबगंज जिलों में मदरसों का आधुनिकीकरण, नक्सलियों की सम्पति की जब्ती को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना की मांग की है।उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 से वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2015-16  में होने वाली नक्सल घटनाओं में काफी कमी हुई है। वर्ष 2001-14 के बीच जहां नक्सली घटनाओं की औसत संख्या प्रतिवर्ष करीब 400 थीं, वहीं वर्ष 2015 एवं वर्ष 2016 में यह औसतन 200 से भी कम हुई है। वर्ष 2001-14 की बीच नक्सल हमलों, और मुठभेड़ में शहीद होने वाले पुलिसकर्मी की औसत संख्या प्रतिवर्ष 35 एवं मृतक आम नगरिकों की संख्या 115 रही, जो दो वर्षों में घटकर क्रमशः 05 एवं 50 के करीब है। पहले नक्सलियों द्वारा पुलिस हथियार लूटे जाने की औसत संख्या 39 रही, जबकि विगत दो वर्षों में यह संख्या शून्य हो गयी है।

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