स्वतंत्रता सेनानियों को राष्ट्रपति ने किया गया सम्मानित

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निशिकांत सिंह.पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अभिनंदन किया। उसके बाद महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के सभी राज्यों से आये स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया। सम्मान स्वरूप उन्हें शॉल, प्रतीक चिह्न के रूप में गांधी जी की मूर्ति भेंट की गयी।

इसके पूर्व समारोह का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया गया। गांधी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न भेंट किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति  प्रणब मुखर्जी, राज्यपाल रामनाथ कोविंद, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह, राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव,शिक्षा मंत्री अशोक चैधरी, सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी संघ के सचिव सत्यानंद याजी, विधायकगण, विधान पार्षदगण व वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे।

इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से सौ वर्ष पूर्व महात्मा गांधी 10 अप्रैल को मुजफ्फरपुर पहुंचे थे। राजकुमार शुक्ल जी के निरंतर प्रयास के बाद गांधी जी चम्पारण आये थे और राजकुमार शुक्ल जी से उन्होंने कहा था कि स्वयं आकर किसानों की स्थिति का अध्ययन करने पर ही मैं अपनी बात रखूंगा। तब बिहार के चम्पारण जिले में नील की खेती करने वाले किसानों पर बगान मालिकों एवं नीलहों का अत्याचार अनवरत जारी था। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ सत्याग्रह का सफर तय कर चुके गांधी जी के सत्याग्रह से लोग परिचित थे। तब के दौर में पत्रकारिता राष्ट्रीय और अंग्रेजी मानसिकता के दो खेमों में बॅटे हुये थे। राष्ट्रवादी सोच वाले समाचार पत्रों में गांधी जी की सत्याग्रह और उनके गतिविधियों को प्रकाशित की जाने लगी। मोतिहारी में एसडीओ कोर्ट में 18 अप्रैल 1917 को गांधी जी ने अपना जुर्म कबूल किया और बाहर न जाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि यह उनकी अंतर्रात्मा की आवाज है। उनकी अटल दृढ़निश्चय, विश्वास और लोकप्रियता के कारण गांधी जी को बिना जमानत के छोड़ना पड़ा और मुकदमा भी वापस लेना पड़ा। बाद में एक जांच कमिटी बनायी गयी। गांधी जी इसमें एक सदस्य के रूप में थे और तमाम दस्तावेज के आधार पर अंततोगत्वा घृणित तीनकठिया प्रथा की समाप्ति हुयी। सफल सत्याग्रह की नींव बिहार के चम्पारण में रखी जा चुकी थी। नीलहों के अत्याचार से किसानों को मुक्ति मिली। 1917 के चम्पारण सत्याग्रह ने जन आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया। आगे आने वाले असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन को बल मिला। चम्पारण सत्याग्रह से आजादी की लड़ाई को नई गति तथा नई दिशा मिली और महज 30 साल के अंदर ही देश आजाद हो गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 एवं 11 अप्रैल को पटना में नवनिर्मित ज्ञान भवन में राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया गया, जिसमें पूरे देश के गांधी विचारक शामिल हुये और अपने-अपने विचार रखे। दो दिन तक चले इस राष्ट्रीय विमर्श में आये विचारकों के विचारों का संकलन कर मुद्रित किया जायेगा, जो आज की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी के लिए ज्ञानवर्द्धक और प्रेरणादायी होगा। टकराव और असहिष्णुता के माहौल में गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। चम्पारण सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने पर आजादी के लिये लड़ने वाले देष के कोने-कोने से आये स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करना गौरव की बात है, इसके लिये हम अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी के सचिव सत्यानंद याजी को धन्यवाद देते हैं। आपलोग सभी बापू की कर्मभूमि में पधारे हैं। शताब्दी समारोह कार्यक्रम को लेकर मैंने गांधीवादी विचार संगठनों से परामर्श किया, सर्वदलीय बैठक बुलायी। यह कार्यक्रम राजनीतिक उद्देश्य से आयेाजित कार्यक्रम नहीं है बल्कि राज्य सरकार का यह दायित्वपूर्ण कार्य है। हमारा कर्तव्य है कि उन स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित कर कृतज्ञ हों, जो जंगे आजादी की लड़ाई में भागीदार बने।सौ वर्ष बाद बापू को याद करने का एक अच्छा अवसर है। 12 अप्रैल से प्रचार वाहन ‘गांधी रथ‘ प्रत्येक पंचायतों में घूम-घूमकर फिल्म, गीत, वृत्तचित्र के माध्यम से गांधी जी के विचारों को जन-जन तक पहॅुचायेगी। हमारा मानना है कि अगर नई पीढ़ी का दस प्रतिशत भी गांधी जी के विचारों के प्रति आकर्षित हो जाय तो आने वाले 10 से 15 साल में समाज बदल जायेगा।

उन्होंने घोषणा की कि गांधी जी से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों को पुनर्जीवित किया जायेगा। कुछ लोगों द्वारा बिहार के बाहर गलत छवि पेश की जाती है। यहां प्रकाश पर्व, शराबबंदी और चम्पारण सत्याग्रह का आयोजन सौहार्दपूर्ण वातावरण का परिचायक है। समाज सुधार के अन्य पहलुओं बाल विवाह, दहेज प्रथा के विरूद्ध भी अभियान चलाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर राष्ट्रपति एवं देश के कोने-कोने से आये स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति आभार प्रकट किया।

पटना पहुंचने पर हवाई अड्डा पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का राज्यपाल रामनाथ कोविंद एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फूलों का गुलदस्ता भेंटकर स्वागत किया।

 

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