निशिकांत सिंह.पटना.देश के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों की सुनवाई के लिए पहली बार की जा रही संवैधानिक व्यवस्था की राह में विपक्ष ने रोड़ा अटका दिया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग के आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया जिसे लोकसभा ने पारित भी किया. लेकिन राज्य सभा में कांग्रेस एवं विपक्षी सदस्यों ने एकजुट होकर इसे प्रवर समिति को सौंपने की मांग कर दी जिससे यह राज्य सभा में पारित न हो सका.
प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में सांसद व प्रदेश उपाध्यक्ष संजय जायसवाल ने यह सवाल उठाते हुए कहा कि सोमवार को इस विधेयक को लोक सभा में पेश किया गया और तुरन्त ही पारित हो गया. आश्चर्य है कि दस वर्षों तक केन्द्र में यूपीए सरकार रही जिसके लालू प्रसाद यादव अभिन्न अंग रहे. अब तो नीतीश कुमार की पार्टी जदयू भी यूपीए के साथ है. सदन के बाहर दोनों नेता करते हैं पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण की बात और सदन के भीतर करते हैं विरोध.
उन्होंने कहा कि देश में पिछड़े वर्गों की पहचान और उनकी शिकायतों की सुनवाई के लिए नये आयोग का गठन नरेन्द्र मोदी सरकार का एक बड़ा कदम होगा. इसे संवैधानिक दर्जा हासिल होगा. इसके साथ ही पहले से चल रही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को समाप्त कर दिया जायेगा. पिछड़ा वर्ग आयोग को कांग्रेस ने कभी भी संवैधानिक दर्जा देने का काम ही नहीं किया. 1993 में संसद में पारित कानून के तहत ही मौजूदा आयोग का गठन किया गया था. यह ऐतिहासिक सत्य है कि देश की आजादी के बाद संविधान के उद्धेश्य एवं अनुच्छेद के अनुरूप कांग्रेस ने अपने शासनकाल में पिछड़े वर्ग के लिए कोई कार्य नहीं किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक लंबे समय से अपेक्षित मांग को पूरा किया गया है. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा देश के सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए यह एक ऐतिहासिक, न्यायपूर्ण एवं सामाजिक न्याय का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. इस ऐतिहासिक फैसले से समाज के सभी पिछड़े वर्ग को न्याय मिलेगा. राष्ट्रीय सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़े वर्ग को अब इस आयोग के द्वारा संविधान में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के समकक्ष ही अधिकार इस आयोग को मिलेंगे. एक लंबे समय से पिछड़े वर्गों की समस्याओं के समाधान हेतु अपेक्षित मंच सरकार के इस निर्णय से उनको प्राप्त होगा. यह आयोग संविधान के अनुच्छेद 16-4 एवं अनुच्छेद 15-4 के निहित अधिकारों का उपयोग करते हुए सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग को न्याय देगा. समाज में गरीबी एवं पिछड़े वर्गों के समतामूलक व्यवस्था देने में यह एक अभूतपूर्व कदम है जो न्यायपूर्ण भारत का निर्माण करेगा.
जायसवाल ने आरोप लगाया कि राज्यसभा में इसे सर्वसम्मति से पारित न होने देने से साफ है कि विपक्ष पिछड़े वर्ग को आरक्षण की सुविधा देने से वंचित रखना चाहता है. कांग्रेस, राजद और जदयू सहित तमाम विपक्षी सदस्यों की कलई खुल गयी है. भारतीय जनता पार्टी विपक्ष की इस आरक्षण विरोधी नीति की घोर भर्त्सना करती है. आगामी 26 मई से 26 जून 2017 तक प्रत्येक सांसद के अपने क्षेत्र में तीन दिनों के प्रवास कार्यक्रम में इस मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाया जायेगा. इसके साथ ही केन्द्र सरकार के जनोपयोगी कार्यक्रम की जानकारी लेंगे और लाभ से मिली जानकारी लेंगे.