जानिए…आपका भाग्य उदय कब होगा ?

3011
0
SHARE

download

मुकेशश्री.
यूं तो ज्योतिष एक रहस्यमय विद्या माना जाता रहा है.आज बहुत से ज्योतिष भी
नहीं जान पाते हैं कि इसके फलित के सही होने के आधार क्या है लेकिन ये सही
होता है.और शायद यही कारण है कि यह रहस्यमयी माना जाता है.आज आपको भाग्योदय
का रहस्य समझाने की कोशिश की जा रही है.
कुंडली में लग्न से नवां भाव भाग्य स्थान होता है.भाग्य स्थान से नवां भाव
अर्थात भाग्य का भी भाग्य स्थान पंचम भाव होता है.द्वितीय व एकादश धन को
कण्ट्रोल करने वाले भाव होते हैं.तृतीय भाव पराक्रम का भाव है.अतः कुंडली में
जब भी गोचरवश  पंचम भाव से धनेश,आएश,भाग्येश व पराक्रमेश का सम्बन्ध बनता
है तब भाग्योदय होता है.ये सम्बन्ध चाहे ग्रहों की युति से भी बन सकता है
अथवा आपसी दृष्टि से भी.
भाग्योदय के लिए ज्योतिष में एक और सिद्वांत की होती रही है.किसी भी कुंडली
में जब भी तृतीयेश अर्थात पराक्रमेश अपने से भाग्य भाव में अर्थात कुंडली के
ग्यारहवें भाव से गोचर  विचरण  करे  तो यह समय भी भाग्योदय का समय माना गया
है.एक अन्य मान्यता के अनुसार जब पराक्रमेश अपने से दशम यानि लग्न से द्वादश
भाव में जाएगा ,तब भी भाग्योदय कराता है.ऐसे समय में जरा सी भी मेहनत जातक को
बरकत पहुँचाता है.

और इन सबसे महत्वपूर्ण भाग्येश का प्रभाव समय.अगर भाग्येश अथवा भाग्यस्थ सूर्य हो तो  12-14 वें वर्ष में, चंद्रमा हो तो 20 वें, मंगल हो तो 28 वें,बुध हो तो 32 वें, शुक्र हो तो 24 -25 वें,शनि हो तो 36वें, राहु हो तो 41 वें,केतु हो तो 46वें साल पर और गुरु हो तो 16 वें वर्ष भाग्योदय माना जाता है.
(लेखक ज्योतिष के जानकार हैं.मो..9097342912 पर संपर्क किया जा सकता है.)

 

LEAVE A REPLY