लखनऊ.योगी आदित्यनाथ यूपी के नये मुख्यमंत्री होंगे.बीजेपी विधायकों ने योगी आदित्यनाथ को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया.केशव मौर्य और दिनेश शर्मा होंगे डिप्टी सीएम. कल लखनऊ में योगी आदित्यनाथ का शपथ ग्रहण समारोह होगा.योगी के समर्थक प्रदेश भर में नारेबाजी कर रहे हैं. उनका एक आज ही नारा है ‘देश में मोदी और प्रदेश में योगी’.
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री चुन लिये गये हैं. विधायक दल की बैठक में उन्होंने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, विकास के रास्ते पर उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाना है. उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है. इसको आगे ले जाने के लिए मुझे सभी विधायकों का साथ चाहिए. साथ ही मुझे दो सहयोगी भी चाहिए जो मेरे साथ मिलकर काम कर सकें.
मोदी मैजिक के सहारे यूपी में प्रचंड बहुमत से जीतकर सत्ता में आई बीजेपी ने सीएम के नाम पर फैसला करने में एक हफ्ता लगाया. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक खूब मंथन हुआ. तमाम दावेदारों के नामों पर चर्चा हुई और अब योगी आदित्यनाथ के नाम पर मुहर लग गई है. आखिर कौन सी ऐसी वजहें रहीं जिससे योगी आदित्यनाथ यूपी की कुर्सी की रेस में सबसे आगे हो गए.
- प्रचंड बहुमत से BJP की हिचकिचाहट खत्म
403 में 325 सीटों पर जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ यूपी की सत्ता में आई बीजेपी के सामने सीएम के नाम को लेकर कोई दुविधा नहीं दिखी. कारण है बहुमत इतना बड़ा मिला कि मोदी और अमित शाह के सामने किसी के पक्ष में भी फैसले लेने की आजादी थी. सबसे बड़े दावेदार राजनाथ सिंह ने अपना नाम वापस ले लिया और इसके बाद योगी आदित्यनाथ केशव मौर्य और मनोज सिन्हा जैसे दावेदारों के पीछे छोड़ते हुए सीएम की रेस में सबसे आगे हो गए.
- कट्टर हिंदुत्ववादी की छवि
योगी आदित्यनाथ संघ के भी करीबी माने जाते हैं. गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं और हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं. लव जेहाद और राम मंदिर जैसे मुद्दों को लेकर वे अपना कट्टर रुख अक्सर दिखाते रहे हैं. हिंदू वाहिनी के जरिए आदित्यनाथ हिन्दू युवाओं को एकजुट कर सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी मुद्दों पर पूर्वांचल में माहौल अपने पक्ष में रखने में कामयाब रहे हैं. राम मंदिर निर्माण के वादे के साथ यूपी की सत्ता में आई बीजेपी के लिए योगी आदित्यनाथ की ये छवि काफी काम आ सकती है.
- तगड़ी जमीनी पकड़ और लंबा राजनीतिक अनुभव
योगी आदित्यनाथ पांच बार से लगातार गोरखपुर के सांसद रहे हैं. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर लोकसभा सीट से 2014 में तीन लाख से भी अधिक सीटों से चुनाव जीते थे. 2009 में दो लाख से भी अधिक वोटों से जीत हासिल की थी. पूर्वांचल की 60 से अधिक सीटों पर योगी आदित्यनाथ की पकड़ मानी जाती है. बाकी के दावेदार यहीं योगी से पीछे छूट गए.
- पूर्वांचल पर मोदी का फोकस
2014 में जब नरेंद्र मोदी वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ने उतरे थे तभी संकेत मिल गया था कि यूपी की जंग जीतने के लिए बीजेपी पूर्वांचल पर पूरा फोकस रखेगी. लोकसभा की 80 में से 73 सीटें बीजेपी और सहयोगियों ने जीत ली. अब विधानसभा चुनाव में भी पूर्वांचल की अधिकांश सीटें बीजेपी के खाते में गई हैं. ऐसे में सीएम पूर्वांचल से होगा इसके बारे में लंबे समय से कयास लग रहे थे. हालांकि, पहले मनोज सिन्हा का नाम आगे चल रहा था लेकिन आखिरी रेस में योगी उड़ान भरते दिखे.
- अन्य दावेदारों का कोई जमीनी आधार नहीं
यूपी सीएम की रेस में शामिल अन्य दावेदारों का कोई जमीनी आधार नहीं होना भी योगी के पक्ष में गया. योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल की 60 से अधिक विधानसभा सीटों और कई लोकसभा क्षेत्रों में असर रखते हैं. जबकि केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ आरोपों और मनोज सिन्हा की क्षेत्र में जमीनी पकड़ नहीं होना उनके खिलाफ गया. योगी आदित्यनाथ पांच बार के सांसद हैं. गोरखपुर की लोकसभा सीट से उनके इस्तीफे के बाद भी बीजेपी के उम्मीदवार की जीत लगभग पक्की है.
जीवनी व परिचय
योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह है. अजय सिंह का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में हुआ था. उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी किया. वो गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं. आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं. वो हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो कि हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है.योगी आदित्यनाथ 1998 से लगातार गोरखपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. योगी यूपी बीजेपी के बड़े चेहरे माने जाते थे. 2014 में पांचवी बार योगी सांसद बने. उनके गुरु अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई. 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने.