समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों के कल्याण लिए सीएनटी-एसपीटी एक्ट में बदलाव-रघुवर दास

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5 march 1

हिमांशु शेखर.रांची.झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन किये जाने का विरोध कर रहे लोगों और संगठनों को करारा जवाब देते हुए कहा कि समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों के कल्याण के लिये सरकार ने दृढ इच्छाशक्ति दिखाते हुए मुआवजा के आधार पर भूमि हस्तांतरण के प्रावधान को समाप्त किया। रैयत अपनी जमीन का कृषि कार्य के अलावा अन्य उपयोग भी कर सके, इसके लिये सीएनटी व एसपीटी के प्रावधानों का सरलीकरण किया गया। विकास की दौड़ में सबको समान अवसर मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आदिवासी, गरीब एवं पिछड़े बच्चों की पढाई बाधित न हो इसके लिये अलग से पचास करोड़ रुपये का कोष स्थापित किया गया है। साथ ही गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा ग्रहण करने में गरीब बच्चों को कठिनाई न हो, इसके लिये मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना के अंतर्गत दस करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। रांची के हरमू मैदान में रविवार को आयोजित चंद्रवंशी सम्मेलन के मौके पर मुख्यमंत्री रघुवर दास उपस्थित जनजमूह को संबोधित कर रहे थे।

श्री दास ने कहा झारखंड को देश का सर्वाधिक विकसित प्रदेश बनाएंगें । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी सभी के सहयोग से स्वतंत्रता आंदोलन को जनआंदोलन का रुप दिया था। महात्मा गांधी का समरस-समभाव समाज स्थापित करने का सपना था। हम उनके सपनों को साकार करने के लिये सेवक की तरह कार्य करेंगे। कहा -समय के साथ बदलाव आता है। इस तकनीकि एवं ज्ञान विज्ञान के युग में दुनिया तेजी से बदल रही है। अपने हित के लिये सोच में बदलाव भी जरुरी है नहीं तो विकास की दौड़ में पीछे रह जायेंगे। उन्होंने कहा कि नशा भी एक कोढ है। इसकी समाप्ति के लिये सामाजिक जागरुकता जरुरी है। जो गांव नशा मुक्त होगा उसे एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जायेगा। जीवन में नशा हो तो अध्यात्म और शिक्षा का नशा हो । शिक्षा के साथ हुनर भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दहेज भी समाज के लिये अभिशाप है। दहेज के रुप में लिये हुए पैसे से परिवार की तरक्की नहीं होगी। हम अपनी शक्ति,  ऊर्जा का उपयोग सामाजिक बुराड़ाइयों को दूर करने में करें। हम शपथ लें कि नशा नहीं करेंगे, दहेज नहीं लेंगे, बेटा-बेटी में फर्क नहीं करेंगें, शिक्षित होंगे, हुनरमंद होंगे।

सम्मेलन में नगर विकास मंत्री  सीपीसिंह, स्वास्थ मंत्री  रामचंद्र चंद्रवंशी, ईश्वर सागर चंद्रवंशी,  रवीन्द्र वर्मा, बजरंग वर्मा एवं अन्य प्रमुख लोगों ने भी अपने विचार रखे।

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