रोजगार से जोड़ा गया कृषि स्नातक के पाठ्यक्रमों को-राधा मोहन सिंह

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नई दिल्ली. केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि कृषि स्नातक तक के पाठयक्रमों को रोजगार से जोड़ कर पेशेवर बना दिया गया है जिससे अब छात्र -छात्राओँ को अपनी आजीविका कमाने में भारी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष पांचवी डीन समिति की रिपोर्ट देश भर के कृषि विश्वविद्यालयों में लागू कर दी गयी है और यह इसी शैक्षणिक सत्र 2016-17 से लागू हो जाएगी। कृषि मंत्री ने यह बात आज नई दिल्ली के एनएएससी परिसर में आयोजित राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं परिषद संस्थानों के निदेशकों के सम्मेलन में कही।

कृषि मंत्री ने कहा कि युवा राष्ट्र की धरोहर हैं और कृषि की बेहतरी के लिए जरूरी है कि हम अपने युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करें। इसमें  कृषि विश्व विद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों की अहम भूमिका है। इस दिशा में आईसीएआर द्वारा ‘स्टूडेंट रेडी’ योजना चलाई जा रही है जिसमें वर्ष 2016-17 में सभी छात्रों की फेलोशिप को एक हजार रूपये से बढ़ाकर तीन हजार रूपये किया गया है। इसके अलावा एक अन्य योजना ‘आर्या’  भी सफलता से चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में कृषि शिक्षा को बढावा देने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना प्रारंभ की गई जिसमें 5.35 करोड़ रूपये के बजट के साथ 100 केन्द्र खोले जाने हैं।

कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि देश में नए विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों के माध्यम से कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई हैं जैसे कि राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार के रूप में अपग्रेड किया गया है, साथ ही इसके तहत चार नए कॉलेज खोले गए हैं। मोतिहारी में एकीकृत कृषि प्रणाली पर एक राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया गया। सीएयू इम्फाल में छ: नए कॉलेज खोले गये हैं जिससे वहां कॉलेजों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है।  रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्व विद्यालय, झांसी, बुन्देलखंड में चार नए कॉलेज खोले गए हैं जिनमें दो उत्तर प्रदेश में और दो कॉलेज मध्य प्रदेश में हैं।

उन्होंने कहा कि आईएआरआई-झारखंड की स्थापना की जा चुकी है और वहां के छात्र विभिन्न पाठयक्रमों में शिक्षा  ग्रहण कर रहे हैं। देश के उत्तर- पूर्वी राज्यों में कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए असम में आईएआरआई के लिए जमीन की पहचान कर ली गई है और जल्द ही आईएआरआई-असम की आधारशिला रखी जाएगी। आन्ध्र प्रदेश में आचार्य एन.जी.रंगा कृषि विश्वविद्यालय तथा तेलंगाना में SKTLSHU दोनों को अलग – अलग 122.5 करोड़ रूपये जारी कर दिए गये हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि अंतराष्ट्री्य सहयोग बढ़ाने की दिशा में भारत का विदेशी सरकारों, विदेशी विश्वविद्यालयों और अंतर्राष्ट्रीय बॉडीज के साथ लगातार मजबूत हुआ है। कृषि मंत्री ने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन से PSP यानी उत्पादकता (Productivity) –टिकाऊपन (Sustainability) – लाभप्रदता (Profitability) में सुधार होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ‘लैब टू लैण्ड’ कार्यक्रम आगे बढ़ाने की जरूरत है और इसमें कृषि विज्ञान केन्द्रों की खास भूमिका है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आईसीएआर के सभी संस्थानों को आर्थिक रूप से व्यावहारिक मॉडल विकसित करने पर बल देना चाहिए।

इस मौके पर माननीय कृषि व किसान कल्याण राज्य मंत्री परशोत्तम रूपाला, डेयर के सचिव एवं आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र और कृषि विश्वविद्यालयों के माननीय कुलपति उपस्थित थे।

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