जमीन खरीद पर भाजपा का मौन व गुमराह करने की कोशिश-जदयू

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निशिकांत सिंह.पटना.बीजेपी नेताओं के लगातार मौन और गुमराह करने की कोशिशों से जमीन खरीद को लेकर हमारे सभी आरोप पुष्ट होते हैं कि इन्होंने नोटबंदी से पहले बड़े पैमाने पर जमीन खरीदकर कोई बहुत बड़ा खेल खेला है.यह आरोप जदयू ने लगाया है.

जदयू प्रवक्ताओं ने आज संयुक्त रूप से भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए. पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रवक्तागण संजय सिंह, नीरज कुमार व राजीव रंजन प्रसाद ने भाजपा द्वारा नोटबंदी से पहले बड़े पैमाने पर जमीन खरीद के मामले में जदयू के सवालों पर बीजेपी नेताओं की चुप्पी पर नए तरीके से प्रहार किए.

जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि नोटबंदी से पहले बड़े पैमाने पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा देशभर में जमीन की खरीददारी पूरे देश के लिए आश्चर्य और सन्देह का विषय बनी हुई है. इनमें से बिहार में इनके द्वारा की गई 31 जमीन खरीद मामलों की हमलोगों ने पड़ताल की और इनको लेकर हमने कई सवाल उठाए, मगर भाजपा नेताओं ने उनके जवाब में एक शब्द तक नहीं कहा.

कभी भाजपा नेताओं ने मुंह खोला भी तो किसी सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दिया. केवल इधर-उधर की और उल-जलूल बात करके देश और जनता को गुमराह करने का प्रयास किया.

बीजेपी नेताओं के लगातार मौन और गुमराह करने की कोशिशों से जमीन खरीद को लेकर हमारे सभी आरोप पुष्ट होते हैं कि इन्होंने नोटबंदी से पहले बड़े पैमाने पर जमीन खरीदकर कोई बहुत बड़ा खेल खेला है.

जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि गड़बड़ी और भ्रष्टाचार भाजपा सरकारों का आधार मंत्र है. देश के गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू पर पनबिजली परियोजना में भ्रष्टाचार और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के आरोप इसके शर्मनाक उदाहरण हैं.

जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि जमीन खरीद में हमलोगों ने एक-एक तथ्य सामने रखते हुए बीजेपी के षड्यंत्र की पोल खोली. केंद्र की नोटबंदी संबन्धी प्लानिंग की एकदम शुरू से जानकारी के आधार पर बीजेपी द्वारा जमीन खरीद में बेहिसाब नकद भुगतान, वाजिब से काफी कम कीमत का जिक्र, कई गुप्त भुगतान, ब्यौराविहीन आरटीजीएस भुगतान, पार्टी की खरीद में निजी पैन का इस्तेमाल, निजी नाम से खरीद जैसे तथ्यों के आधार पर इनके पूरे जमीन खरीद अभियान को कालाधन को सफेद करने की साजिश साबित किया. जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि जनता दल (यूनाइटेड) का स्टैंड बिलकुल स्पष्ट है- हम नोटबंदी को सही कदम मानते हैं, मगर इसके क्रियान्वयन में भारी चूक या गड़बड़ी रही है, जिसे सही किया जाना चाहिए था. जैसा कि हमारे नेता, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और  बिहार के नीतीश कुमार ने भी कहा है, अकेले नोटबंदी से कालाधन पर लगाम नहीं लगेगी. बेनामी संपत्ति पर अटैक और शराबबंदी के बगैर कालाधन को रोकना संभव नहीं है.

जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि यह जांच और समझने की जरूरत है कि कालाधन पर लगाम के नाम पर की गई नोटबंदी के पीछे कहीं इनकी मंशा कालाधन को खपाने की तो नहीं रही है. लगातार सामने आ रहे कई ऐसे तथ्य हैं, जो इसी बात की ओर इशारा करते हैं-बीजेपी द्वारा देशभर में बड़े पैमाने पर जमीन की खरीददारी, एक ताजा खबर के अनुसार बीजेपी द्वारा यूपी में 248 मोटरसाइकिलों की खरीद, बड़ी संख्या में देशभर में बीजेपी नेताओं के पास से बिना हिसाब वाली नकदी की बरामदगी, बेहिसाब बरामद नकदी में भारी मात्रा में नए नोट का होना, एटीएम से भी नए नकली नोटों का निकलना, बैंकों पर छापों में बड़ी मात्रा में नोट बदली में घपले का पकड़ा जाना.

जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि रिजर्व बैंक की तरफ से पहले से बताया जा चुका है कि नोट बंद होने से पहले 15.44 लाख करोड़ रुपए के 500-1000 रुपए के नोट चलन में थे. 14 दिसंबर को आरबीआई ने बताया कि नोटबंदी के बाद 10 दिसंबर तक 500 और 1000 रुपए के नोटों में 12.44 लाख करोड़ रुपए बैंकों में वापस आ चुके हैं. 10 दिसंबर के बाद अबतक लाख-डेढ़ लाख के नोट और आ चुके होंगे. इस प्रकार, अधिकांश नोट आ गए. मुश्किल से डेढ़-दो लाख करोड़ रुपए आने बाकी हैं. फिर कहाँ गया कालाधन?

जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि बीजेपी ने नोटबंदी का दुरूपयोग करके कालाधन को सफेद करने का काम किया है. इसीलिए जमीन खरीद समेत विभिन्न गड़बड़ियों को लेकर लगातार स्पष्ट आरोपों के बावजूद बीजेपी नेता मौन धारण किये हुए हैं. क्यों नहीं इसे ‘‘मौन धारणम् स्वीकार लक्षणम्’’ समझा जाए? जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि हम अब बीजेपी की ओर से अपने आरोपों के जवाब के लिए केवल एक दिन इंतजार करेंगे. उसके बाद आयकर अधिनियम की धारा 133 के तहत बिहार में बीजेपी की जमीन खरीद का उपलब्ध ब्यौरा देते हुए आयकर विभाग से इनसे जमीन में लगाए गए रुपयों का स्रोत पूछने के लिए आवेदन करेंगे.

 

 

 

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