संवाददाता.पटना.बड़े नोटों की बंदी से हुई कठिनाइयां कम करने के लिए जब सरकार ने किसानों से लेकर सरकारी कर्मचारियों तक को बड़ी राहत की घोषणा कर दी, तब कांग्रेस-राजद जैसे दलों का विरोध मायने नहीं रखता है.यह कहना है भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का.इनका मानना है कि इन नेताओं को जनता की कठिनाई से ज्यादा अपने कालाधन बचाने की चिंता है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने कालेधन के खिलाफ केंद्र के कदम का समर्थन किया, लेकिन वे अपने प्रवक्ताओं से नोट बंदी के विरुद्ध बयान दिलवा रहे हैं. वे बतायें कि जब जद-यू नोटबंदी के पक्ष में है, तब पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्य सभा में सरकार का विरोध क्यों कर रहे थे?
प्रधानमंत्री की पहल पर सरकार ने शादी-विवाह वाले घरों को एक खाते से ढाई लाख रुपये तक निकालने की छूट दे दी है. रबी की बोआई को देखते हुए किसानों को हर सप्ताह 25 हजार रुपये निकालने की छूट मिली और फसल बीमा का प्रीमियम देने की अंतिम तारीख 15 दिन बढ़ा दी गई. किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण लेने की सीमा भी बढ़ा दी गई.
उन्होंने कहा कि सब्जी के थोक व्यापारियों को हर सप्ताह 50 हजार रुपये तक निकालने की रियायत और सरकारी कर्मचारियों को नकद सैलरी एडवांस लेने की अनुमति देकर सरकार ने बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ाने की ओर बढ़ा कदम उठाया है. क्या किसानों और नौकरीपेशा लोगों के हित में लिए गए फैसले का लालू प्रसाद को समर्थन नहीं करना चाहिए? नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते आने वाले करोड़ों रुपये के नकली नोट से बिहार के गरीब, किसान और भोले-भाले मजदूर ही सबसे ज्यादा तबाह होते थे. 900 करोड़ के चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद को अगर गरीबों की चिंता होती, तो वे नोट बंदी के फैसले पर बेतुके सवाल नहीं उठाते. कालेधन पर सर्जिकल स्टाइक से कर चोरी रुकेगी, सरकार के पास राजस्व बढ़ने से गरीबों को फायदा होगा और बैंकों की मजबूती से आम आदमी को सस्ते कर्ज मिल सकेंगे.