भारत का इतिहास बिहार की कीर्ति-गाथाओं से गौरवान्वित रहा हैःराज्यपाल

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निशिकांत सिंह.पटना. तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिख सम्मेलन के समापन के दिन राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहा कि  सिखों के दसवें गुरू श्री गुरू गोविन्द सिंह जी के 350वें जन्मोत्सव को ‘प्रकाशपर्व’ के रूप में आयोजित करना राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती और एक सुअवसर-दोनों है. ‘प्रकाशपर्व’ को भव्य, आकर्षक एवं सुव्यवस्थित रूप में आयोजित करना राज्य सरकार के लिए यद्यपि बहुत चुनौतीपूर्ण है, तथापि यह एक ऐसा अवसर भी है- जिसके माध्यम से बिहार की एक आकर्षक छवि विश्व-पटल पर अंकित होगी.

राज्यपाल श्री कोविन्द ने कहा कि भारत का इतिहास बिहार की कीर्ति-गाथाओं से गौरवान्वित रहा है. सिख, बौद्ध और जैन धर्मों के प्रार्दुभाव बिहार में ही हुये. सिख धर्म के दसवें गुरू श्री गुरू गोविन्द सिंह जी की जन्मस्थली भी बिहार की ही धरती है. राज्यपाल ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह जी के उपदेश, उनकी वीरता और समाज-सेवा अनुकरणीय हैं. राष्ट्रीय एकता और सद्भावना के प्रति समर्पित उनका व्यक्तित्व और कृतित्व समाज के उपेक्षित और अभिवंचित वर्ग के लिए भी बराबर सहयोगी और प्रेरणादायी रहा है. उनकी कवित्व-क्षमता, भक्ति, मुक्ति और राष्ट्रीयता की मिशाल है. काम, क्रोध, लोभ, हठ, मोह, अहंकार आदि से विमुख रहते हुए प्रेम और भाईचारा के पथ पर चलने का उनका संदेश ‘भौतिकतावाद’ से त्रस्त आधुनिक मानव के लिए भी अनुपम वरदान है .

श्री कोविन्द ने भारत के इतिहास एवं विकास में सिखों के अद्वितीय योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति सद्भावना और सामाजिक समरसता की संस्कृति रही है. राज्यपाल ने ‘अन्तर्राष्ट्रीय सिख-सम्मेलन’ के सफल आयोजन के लिए पर्यटन विभाग को बधाई दी तथा सम्मेलन में आये प्रतिनिधियों से यह आग्रह किया कि वे अपने परिवार, बंधु-बांधवों और मित्रों के साथ गुरू गोविन्द सिंह जी के 350वें जन्मोत्सव-‘प्रकाशपर्व’ के पुनित अवसर पर निश्चित रूप से पुनः पटना आने का कार्यक्रम बनायें.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य की पर्यटन मंत्री अनिता देवी ने कहा कि राज्य सरकार सफलतापूर्वक गुरू गोविन्द सिंह जी के ‘350वें प्रकाशपर्व’ को आयोजित करेगी.  कार्यक्रम में बोलते हुए बिहार के पूर्व मुख्य सचिव  जी॰एस॰ कंग ने कहा कि सिख- धर्म त्याग और वीरता पर आधारित है. राज्य की विभागीय आयुक्त डा॰ अमिता पाल ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह जी केवल सिख बिरादरी ही नही, बल्कि वे एक महान भारतीय विभूति थे. कार्यक्रम में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह भी उपस्थित थे. स्वागत-भाषण पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव हरजोत कौर ने किया, जबकि धन्यवाद-ज्ञापन विभाग के निदेशक ने किया. कार्यक्रम के अन्त में जम्मू-कश्मीर राज्य के ऊड़ी में हुई भारतीय सैनिको की शहादत का स्मरण करते हुए सामूहिक मौन भी रखा गया

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