सहम गया है सीवान..एक ही चर्चा..अब किसकी बारी ?

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अमर चन्द्र सोनू.सीवान.शहाबुद्दीन के जेल से रिहा होने से बिहार की राजनीति गरमानी तो तय ही थी. इसमें कुछ भी नया नहीं है…. नया है सीवान का बदला माहौल…सीवान डर गया…सहम गया….भय और खौफ से साहेब का भव्य स्वागत भी किया….. खुली जुबान से कोई कुछ नहीं कहता. लेकिन सीवान के सभी गली-मुहल्ले, चौक-चौराहे पर बस एक ही चर्चा है…अब किसकी बारी है….

करीब डेढ़ दशकों से फलते-फूलते-लहलहाते सीवान की फिज़ा में मानो मनहूसियत छा गई है जो आसानी से महसूस की जा सकती है…4 दिन पहले तक लोग बे-खौफ रात 11 बजे तक दुकानदार अपनी दूकान बंद करते थे और स्टेशन से यात्री 12-2 बजे भी स्टेशन से अपने गंतव्य की ओर रवाना हो जाते थे…और सकुशल घर पहुंचे भी जाते थे…..लेकिन बीते चार दिनों में सब कुछ बदल सा गया है….अब शाम 9 बजे तक बाजार के साथ साथ शहर भी वीरान हो जा रहा है….ऐसा नहीं है कि साहेब ने अभी कुछ किया हो…कोई फरमान दिया हो….कोई वारदात कराई हो….लेकिन लोगों के दिल में जो डर है….उसे साफ महसूस किया जा सकता है.

सीवान के व्यवसाईयों में सबसे ज्यादा खौफ स्वर्णकारों में है…..खौफज़दा है….चंदाबाबू का परिवार….सकते में राजदेव रंजन (हिन्दुसान पत्रकार, जिनकी बीते दिनों हत्या हुई थी) का परिवार…डरे हुए और भी कई लोग…जिन्होंने कभी न कभी साहेब से बेअदबी की…साहेब के फरमान की तामील नहीं की….शहाबुद्दीन के खिलाफ आवाज उठाई…चाहे वे राजनीतिक हों या गैरराजनीतिक.सूत्रों की माने तो साहेब का नाम लिए बगैर दर्जनों लोगों ने पुलिस से सुरक्षा की मांग भी कर चुके हैं…सीवान को आज देखकर लगता है कि वो एक बार फिर 20-22 साल पीछे चला गया…या यूं कहे 11 साल के दिन के बाद 22 साल पहले की रात शुरू हो गई…

प्रतापपुर अब फिर से गुलजार हो गया है…साहेब के आलीशान बंगले में शागिर्दों की उपस्थित होने लगी है…जो कभी किसी कोने के दुबके पड़े थे…उनके पर निकल आए है…हालांकि साहेब अभी प्रतापपुर में नहीं है…वे बेतिया दौरे पर गए हैं…लेकिन उनके गुर्गे साहेब का दरबार फिर से लगाने की जुगत में है…ताकि साहेब का एक बार फिर से सीवान पर राज चले…

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