यूपीएससी की सफलता का मंत्र है दृढ संकल्प और कड़ी मेहनत-अरूण कुमार सिंह

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अरवल के एएसपी अरूण कुमार सिंह की पोस्टिंग अब तक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ज्यादा हुई.इसलिए कम समय में इस मामले में खासा अनुभव रखते हैं.बिहार के ही छपरा जिले के निवासी अरूण कुमार सिंह एक साधारण परिवार से आते हैं.स्वाभाविक तौर पर आम आदमी की समस्याओं को करीब से जानते हैं.कुछ उनके निजी और कुछ नक्सली समस्याओं पर बातचीत की हमारे संवाददाता विकास कुमार ने.प्रस्तुत है इस खास बातचीत का महत्वपूर्ण अंश.

आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि कैसी रही है?

– मैं एक साधारण परिवार से आता हूं. मेरे पिताजी एक किसान थे. हमारी पढाई-लिखाई भी साधारण ढ़ंग से हुई. लेकिन कैरियर बनाने की जो जिद थी वह इस जॉब में ले आया.

यूपीएससी की परीक्षा में सफल होने के लिए सबसे जरूरी चीज क्या है?

-यूपीएससी की परीक्षा में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है. यदि आप दृढ़ संकल्पित हैं और कड़ी मेहनत करते है तो आपको सफलता जरूर मिलेगी.

इसमें आर्थिक तंगी भी आड़े आती है क्या?

-थोड़ी आर्थिक परेशानी आती क्योंकि ज्यादातर बच्चे दिल्ली जैसे शहरों में तैयारी करते है. लेकिन यह धारणा गलत है कि बड़े शहरों में रह कर ही कम्पीटीशन की तैयारी की जा सकती है. आप पटना जैसे शहरो में रह कर भी कम्पीटीशन की तैयारी कर सकते है और कड़ी मेहनत कर सफलता प्राप्त कर सकते है.दृढ इच्छाशक्ति व कड़ी मेहनत सफलता के कई रास्ते खोल देते है. मैंने भी पटना में ही रह कर कम्पीटीशन की तैयारी की और यूपीएससी की परीक्षा में चयनित हुआ.

आप अब तक किन-किन जगहों पर रहे और कैसा अनुभव रहा?

-मेरी पोस्टिंग ज्यादातर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ही हुई.केंद्र में प्रतिनियुक्ति के वक्त छत्तीसगढ़,उडीसा,झारखंड जैसे राज्यो में भी मैने काम किया है. और अब बिहार में काम कर रहा हूं.फरवरी 2015 में मेरी पोस्टिंग अरवल जिले में हुई. इससे पहले मै बांका जिला में पदस्थापित था.

विभिन्न जगहों के कुछ अनुभव बताएं?

-छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में मैने जो काम किया है उसे मै अपने जीवन का अब तक का सबसे अच्छा काम मानता हूं. और इसके लिए मुझे पुलिस मेडल पर गेलेंट् भी मिला है.

नक्सल-समस्या को आप किस तरह से देखते है?

-नक्सल समस्या एक सामाजिक और आर्थिक समस्या है. अशिक्षा और गरीबी के कारण कुछ लोग भटक जाते है. लेकिन कुछ दिन उनके साथ बिताने के बाद उन्हें भी समझ में आ जाता है कि सिर्फ पैसे की उगाही के लिए अनैतिक काम किए जाते हैं.यही कारण है कि बहुत सारे लोग जोश में तो गिरोह में शामिल हो जाते हैं लेकिन बहुत जल्दी उन्हें वास्तविकता का ज्ञान होता है और वे वापस भी आ जाते हैं.

अथक प्रयास के बावजूद भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन नहीं हो पा रहा है?

-भ्रष्टाचार एक सामाजिक बुराई है और अगर समाज के लोग ठान लें की इस सामाजिक बुराई को दूर करना है तो निश्चित तौर पर इसे दूर किया जा सकता है. और समाज में फैले भ्रष्टाचार से निजात पा सकते हैं.

अरवल की कोई घटना जिसमें आपको बेहतर काम अनुभव हुआ हो?

-फरवरी 2015 में जब मैं अरवल आया था तो उस समय इस क्षेत्र में नक्सलियों का काफी प्रभाव और फैलाव था. लगभग सभी ईंट-भटठो से, पेट्रोल पंप से, बिल्डरों से लेवी लिया जा रहा था. तब पुलिस ने इस गतिविधियों में संलिप्त लगभग 40 नक्सलियों एवं उनके समर्थकों को पकड़ कर जेल भेजा था. इस दौरान भारी मात्रा में हथियार भी बरामद किये गए थे जिसमें पुलिस से लुटे गए राईफल भी शामिल थे. इस गिरफ्तारी के बाद स्थिति काफी बदल गई. आज यहां का माहौल शांतिपूर्ण है. लेवी वसूलने की कोई खबर नही आती और अगर बीच में कभी-कभी छोटी-मोटी घटनायें सामने आती भी है तो हमलोग तुरन्त कार्रवाई शुरू कर देते हैं.

 

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