फरक्का बांध पर समीक्षा करे केंद्र,बाढ पर नेशनल पॉलिसी बने-नीतीश कुमार

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निशिकांत सिंह.पटना.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ की भयावहता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान उन्होंने प्रधानंत्री से आग्रह किया कि बाढ़ की भयावहता को देखने के लिए विशेषज्ञों की टीम को बिहार भेजने का आग्रह किया. नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री से बाढ़ राहत कार्य में सहायता मांगी है. उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि जब तक गंगा में सिल्टेशन की समस्या का हल नहीं निकलेगा तब तक बिहार को बार बार ऐसे संकटों का सामना करना पड़ेगा.

दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि फरक्का बांध और गंगा में हो रहे सिल्टेशन का मुद्दा उठाया है. फरक्का बैराज की उपयोगिता की समीक्षा होनी चाहिए यह देखा जाना चाहिए कि इस बांध से फायदा अधिक हो रहा है या नुकसान. नीतीश कुमार ने कहा कि जब से फरक्का बांध का निर्माण हुआ है गंगा में सिल्टेशन हो रहा है. गाद के चलते नदी छिछली होती जा रही है. जिसके चलते नदी फैल रही है. गर्मी के दिनों में गंगा में बहुत कम पानी रहता है और बरसात में अधिक पानी आने पर बाढ़ आ जाती है. नदी की जलग्रहण क्षमता कम होती जा रहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि फरक्का बैराज बन गया है तो तोड़ना मुश्किल है. इस स्तर का फैसला आसानी से नहीं लिया जा सकता है लेकिन गंगा में सिल्टेशन मैनेजमेंट के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे यहां बाढ़ का तीसरा खेप है. सबसे पहले नेपाल में हुई बारिश के कारण सीमांचल की नदियों में बाढ़ आ गई. उसके बाद झारखंड में बारिश हुई तो फल्गू नदी में बाढ़ आ गई. मध्यप्रदेश में बारिश हुई तो सोन नदी में बाढ़ आ गई. उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश में बारिश का कहर बिहार को झेलना पड़ता है. उन्होंने कहा कि यह सही मौका है केन्द्र एक्सपर्ट को भेजे और खुले मस्तिष्क से इस पर विचार करें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार दस वर्षों में मात्र दो वर्ष ही एक हजार एमएम से ज्यादा वर्षा हुई है. जबकि बिहार का औसत वर्षापात 1,200 एमएम का है. इस बार भी बिहार में अब तक पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है. अभी भी बिहार में 14 प्रतिशत वर्षा की कमी है. फिर भी बाढ़ की स्थिति है. नदियां सिल्टेशन के कारण छिछली हो गई है. साथ ही मॉनसून ट्रफ दक्षिण की तरफ बढ़ता चला जा रहा है. फरक्का डैम के कारण जो समस्याएं  उत्पन्न हुई है उनका समाधान निकाला जाए. गंगा नदी का जल रिटेंशन की क्षमता काफी घट गई है.बाढ पर नेशनल पॉलिसी बनाई जानी चाहिए.

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