दियारा का दर्द,कभी बाढ तो कभी आग

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निशिकांत सिंह.पटना.पटना, सारण एवं वैशाली जिला में बहुत ज्यादा घनी अबादी दियारा क्षेत्र की है. दियारा के लोगों पर हर वर्ष आपदाऐं आती है. लेकिन फिर भी जीना यहां,मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां- वाली तर्ज पर वे रहने पर विवश है. वे हमेशा कष्ट में रहते है. विभीषिकाओं से लड़ते रहते है. कभी बाढ़ तो कभी अग्निकांड का दंश झेलते है.

वैसे बाढ़ आने पर दियारा वासी खुश भी होते है. क्योंकि बाढ़ के पानी के बाद उनके खेतों में हरियाली आ जाती है. लेकिन दर्द भी कम नहीं है. बरसात के मौसम में बाढ का खतरा तो गर्मी के मौसम में आग लगने का खतरा. पक्का घर बहुत कम बनाते है दियारा वासी. इस लिए बाढ औऱ आग का खतरा हमेशा बना रहता है.

इस बार गंगा 72 के रिकार्ड को पार कर गई इसलिए दियारा में रहने वाले  असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उनके अशियाना में पानी आ गया जिसके कारण उन्हें अपना घर रहते हुए भी बेघर होना पड़ा और राहत शिविर में आना पड़ा. वैसे रिलिफ कैंप में रहने वाले दियारा वासी अपना सबकुछ घर द्वार छोड़कर आए हैं. बच्चे, बुढ़े, महिलाओं को ज्यादा दिक्कत है राहत कैंप में. उन्हे खाने का और टेंट में रहने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. राहत कैंप में खाना भी समय पर सब को नहीं मिल पा रहा है. ऐसी कई लोगों ने शिकायत भी की. अभी भी पटना राहत कैंप में लोग पहुंच रहें है.

राहत और बचाव कार्य का आलम यह है कि कल राघोपुर दियारा में एक नाव पर पैंतालिस लोग सवार थे. नाव पर सवारी कर रहे थे स्कूल के बच्चे और शिक्षक नाव बीच मजधार में बंद हो गया. भला कहिए एक टीवी पत्रकार शशिजी का अपने न्यूज चैनल पर न्यूज तो चलाए ही. लेकिन कोई परिणाम नहीं दिखने पर वो खुद बार बार सीएम से लेकर आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों और मंत्रियों तक गुहार लगाते दिखे. वाट्सप पर अपना संदेश तो दिए ही साथ ही मंत्री के निजी मोबाइल पर फोन किए तो कोई जबाब नहीं मिला. अंत में बार बार आग्रह करने पर रात को एक बजे बच्चों को एसडीआरएफ की टीम सब को सुरक्षित निकाल पाया.

लेकिन सरकार दावा करती है कि सब कुछ सही तरीके से राहत व बचाव कार्य जारी है. पटना में जो लोग शरण भी लिए है उनमें अधिकतर अपनी व्यवस्था से पटना पहुंचे हैं. लेकिन सरकार दावा कर रही है कि लोगों को निकालकर लाए है. खैर, जो हो दियारा वासी विभिषिकाओं को झेलने के लिए आदी हो चुके है. आग और बाढ़ से खेलना उनकी नियति हो गई है.

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