जीएसटी बिल को बिहार विधानमंडल की मिली स्वीकृति

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निशिकांत सिंह.पटना.बिहार विधानमंडल ने जीएसटी बिल पर सहमति की मुहर लगा दी.इसी के साथ बिहार, जीएसटी बिल पर मुहर लगाने वाला पहला गैर भाजपा शासित राज्य बन गया. मानसून सत्र की विस्तारित बैठक में राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर तमाम दलों ने मुहर लगा दी. सिर्फ भाकपा माले ने वाकआऊट किया.

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने संसद में पारित 122वें संविधान संशोधन की जानकारी दी. वाणिज्यकर मंत्री विजेंद्र यादव ने सदन में जीएसटी बिल का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि राष्ट्रहित में पहली बार राज्य और केंद्र सरकार साथ मिलकर किसी प्रस्ताव पर सहमति देने जा रहे है.यह ऐतिहासिक कदम है. चर्चा के बाद जीएससटी के पक्ष में राजकीय संकल्प लिया गया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी बिल से पारदर्शिता आएगी और दो नंबर के कारोबार पर रोक लगेगी. केंद्र में चाहे यूपीए की सरकार हो या एनडीए की, बिहार शुरू से जीएसटी का समर्थक रहा है. हमारी कोशिश है कि जीएसटी कानून जल्द लागू हो जाए इससे बिहार को फायदा होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों में तरह तरह की डर है. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए की केंद्र के लोग राज्य में बैठ जाएं. जीएसटी से फायदे होंगे कि अब सेवाकर में भी राज्य की भूमिका होगी. माल कहा से जा रहा है किस राज्य में गया- उसी के आधार पर टैक्स कट जाएगा. दो नंबर के कारोबार है, उसपर लगाम लगेगा. पारदर्शिता का कंसेप्ट्स है .

राजद के विधायक ललित यादव ने कहा कि जीएसटी पर सर्वसम्मति स्वागत योग्य कदम है और देशहित के मुद्दों पर ऐसे ही सभी को एकजुट रहना चाहिए. कांग्रेस के सदानंद सिंह ने कहा कि यह प्रस्ताव यूपीए सरकार के समय ही लाया गया था. तब भाजपा ही पीछे हट गई थी. गैर एनडीए शासित राज्यों में बिहार पहला राज्य है जो इस बिल के साथ है.

विधानपरिषद में इस पर चर्चा के दौरान सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है. जब कोई भी कानून बनता है तो लोगों में भय होता है कि इसका प्रभाव क्या पड़ेगा. जब राजीव गांधी के समय कंम्यूटर आया था तो लोगों में भय था, आज सबकी जरूरत है. उसी प्रकार नरसिंहा राव जी के समय में देश प्रगति किया मुद्रास्फिति में , जब वैट आया तो भी लोगों को लगा था लेकिन इन सब का असर तत्काल तो नहीं लेकिन बाद में दिखायी देना शुरू हो जाता है. यह बहुत ही बढ़िया विधेयक केंद्र सरकार का है. इसपर सर्वसम्मति बन पाया और संसद के दोनो सदनों में पारित होने के बाद अब राज्यों के विधानसभा में पारित होना जरूरी हो जाता है. और बिहार दूसरा राज्य बना जो इस विधेयक पर अपना मुहर लगा दी.

 

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