निशिकांत सिंह.पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि मछुआरा समुदाय नई तकनीक का प्रयोग करते हुये मछली की उत्पादकता को और बेहतर बनाये और इसके लिए वे संकल्प लें. उन्होंने कहा कि हम इन्द्रधनुषी क्रांति लाना चाहते है जो हमारी आमदनी को बढ़ायेगा, जो लोगों को बेहतर जीविका प्रदान करेगा, लोगों को गरीबी रेखा से उपर उठायेगा और देश और राज्य की आमदनी में वृद्धि करेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज अधिवेशन भवन में विशेष मछुआरा दिवस समारोह सह सेमिनार उद्घाटन के बाद बोल रहे थे. उन्होंने मछुआरा दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि मत्स्य वैज्ञानिक डा. हीरा लाल चौधरी ने मछली उत्पादन के क्षेत्र में जो योगदान दिया उसके कारण इससे जुड़े लोगों की आमदनी बढ़ी. उन्हीं के सम्मान में यह मछुआरा दिवस मनाया जाता है.
उन्होंने कहा कि इंद्रधनुषी क्रांति लाने हेतु राज्य सरकार ने कार्य योजना बनाई और उसका नाम कृषि रोड मैप रखा था. 2008 में खाका तैयार हुआ और इसके बाद कृषि क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ी. कई मामलों में हम नेशनल एवरेज से आगे बढ़ गये. धान के उत्पादन में बिहार ने दुनिया का रिकॉर्ड तोड़ दिया. बेहतर बीज, वर्मी कम्पोस्ट को बढ़ावा देकर उत्पादकता को बढ़ाया गया और बिहार कृषि के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ गया. कृषि रोड मैप किसानों, पशुपालकों, मछुआरों, वैज्ञानिकों एवं इस क्षेत्र में अनुभवी लोगों से परामर्श लेकर तैयार किया गया था और इसका बहुत बड़ा फायदा हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी 100 में 76 लोग कृषि पर निर्भर है. उन्होने कहा कि जब हम कृषि की बात करते है तो उसमें पशुपालन, मत्स्य और हेचरी सभी शामिल है. उन्होंने कहा कि 76 प्रतिशत की आमदनी जब तक हम नहीं बढ़ायेंगे तब तक खुशहाली नहीं आयेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2004-05 में बिहार में मछली का उत्पादन मात्र 2 लाख 68 हजार मिट्रिक टन था. आंध्र प्रदेश से यहां मछली आती थी और अपने यहां आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं होता थां इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया कि मछली का उत्पादन कैसे बढ़ाया जाये क्योंकि उत्पादन बढ़ाने की ओर जागृति नहीं थी. उन्होंने कहा कि कृषि रोड मैप के कारण मत्स्य जीवियों को प्रशिक्षण के लिए सरकार के खर्चे पर राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में बाहर भेजा गया और तालाब के जीर्णोद्धार, मत्स्य बीज की ओर एक साथ ध्यान दिया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि कृषि रोड मैप 2012-17 में हमारा लक्ष्य 8 लाख मिट्रिक टन है और आज उत्पादकता 5.7 मिट्रिक टन है. पिछले वर्षो में जो काम हुआ उसके कारण बिहार मीठे जल में सबसे ज्यादा मछली उत्पादन करने वाले चार राज्यों में से एक राज्य में शमिल हो गया. उन्होंने कहा कि अगले दो वर्षो में हमे और अधिक काम करना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर मछुआरा भाई-बहन तैयार हो जाये और संकल्प ले ले तो हम अपनी आत्मनिर्भरता के पश्चात दूसरे राज्यों में मछली भेज सकते है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना में नया पशु विज्ञान विश्वविद्यालय खोला जायेगा, जहां मत्स्य विज्ञान के क्षेत्र में भी काम होगा। पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में जहां जरूरत होगी महाविद्यालय और शोध केन्द्र खोले जायेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि मछुआरा समुदाय के कल्याण के लिए सरकार पूरी तरह तत्पर है और उनसे संबंधित समस्याओं के लिए मछुआरा आयोग है, जिसका पुनर्गठन किया जा रहा है। आयोग को पर्याप्त अधिकार दिये गये है. उन्होंने कहा कि सरकार मछुआरा समाज के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए लगातार कार्य कर रही है.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मत्स्य पालन में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु पांच मत्स्य पालकों को सम्मानित किया। साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा विकसित उन्नत नस्ल की मछली की प्रजाति ‘‘ जयंती रोहू‘‘ के बीज का वितरण मुख्यमंत्री ने चयनित मत्स्य कृषकों के बीच किया ताकि इसके पालन से मछुआरे मत्स्य उत्पादन में वृद्धि प्राप्त कर आर्थिक रूप से लाभांवित हो सके। मुख्यमंत्री द्वारा मछुआरों के लिए सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना अंतर्गत दुर्घटना में मृतक के 9 आश्रितों को दो-दो लाख रूपये का चेक भी प्रदान किया गया.
विशेष मछुआरा दिवस सह सेमिनार को पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री अवधेश कुमार सिंह, कृषि मंत्री राम विचार राय, सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता, खाद्य उपभोक्ता एवं संरक्षण मंत्री मदन सहनी ने भी संबोधित किया.
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