ब्रांडिंग के लिए केजरीवाल की काली हरकत

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आलोक नंदन शर्मा.

नई दिल्ली.दिल्ली में लोकपाल क्रांति के मसीहा अरविंद केजरीवाल पूरी ईमानदारी के साथ सरकार को पार्दशिता के साथ     चला रहे हैं। उप राज्यपाल नजीब जंग को जो लेटर वो एक मुख्यमंत्री की हैसियत से लिखते हैं उसे सभी अखबारों में फूल पेज विज्ञापन के तौर पर छपवाते हैं।

चिट्ठी पत्री लिखना तो एक मुख्यमंत्री का रूटीन काम है। अब हर खत को अखबार में विज्ञापन के तौर पर दिया जाये तो खजाना किसका खाली होगा ये सोचने वाली बात है।वैसे केजरीवाल अखबार वालों को औकात में रखना जानते हैं। एक भी खबर दिल्ली सरकार के खिलाफ छपी तो बस सीधे विज्ञापन बंद कर देते हैं। अखबारों से रिपोटरों को भी चलता करवाने से नहीं हिचकते हैं।

अभी हाल में ही देश के नंबर वन अखबार बनने का दावा करने वाले एक अखबार के चीफ रिपोर्टर जब चमड़े की करेंसी का उदाहरण देते हुये केजरीवाल सरकारी की फिजूल खर्चियों पर तंज किया तो उस अखबार के आठ करोड़ रुपये का मासिक विज्ञापन पर रोक लगा दी गई। अखबार ने चीफ रिपोर्टर को माफी मांगने को कहा और उसे बलात छुट्टी पर भेज दिया।

उप राज्यपाल को पत्र लिखने के बाद उसे अखबारों में विज्ञापन के तौर पर छपवाना निसंदेह एक सूझबूझ वाली सरकार का काम नहीं हो सकता, जो अल्प व्ययता की बात करके शासन में आई हो।

 

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