मैं ससुराल कब जाऊंगी ?

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निशिकांत सिंह.

जी हां… मैं ससुराल कब जाऊंगी ?…यह सवाल बिहार की हजारों वैसी विवाहित शिक्षिकाओं के मन में है जो नियोजित शिक्षिका के रूप में काम कर रही हैं. क्योंकि उनकी नियुक्ति में राज्य सरकार ने ट्रांसफर का नियम नहीं बनाया.अब हजारों शादीशुदा लड़कियां अपने नैहर में रहकर पढ़ाने पर मजबूर है तो कई इस इंतजार में है कि उनके ट्रांसफर की कोई उम्मीद बने और ससुराल जाने का रास्ता साफ हो.कई कुंवारी शिक्षिका के सामने शादी की समस्या है कि शादी के बाद वह नौकरी करेगी या शादी के बाद पति के साथ ससुराल में रहेगी.

राज्य सरकार ने टीईटी परीक्षा लेकर शिक्षकों की नियुक्ति उनके गृह क्षेत्र में बड़े पैमाने पर की. सरकार ने नियुक्ति में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की थी. जब महिलाओं के लिए आरक्षण था तो स्वाभाविक था कि कई महिलाओं में कुंवारी लड़कियां थी जिन्होंने टीईटी परीक्षा अच्छे नंबर से पास की और उन्हें अपने पंचायत में नियुक्ति भी आसानी से हो गई. लेकिन नौकरी के बाद शादी होने लगी. शादी के बाद इन शिक्षिकाओं को मुश्किल होने लगा. क्योंकि न तो ये अपने पति को खुश कर पा रहीं है न ही ससुराल को. पति सुख से वंचित कई शिक्षिकाएं तो भारी पश्चाताप कर रहीं है कि कहां से फंस गए.

सैकड़ो शिक्षिकाएं ऐसी भी है जो शादी के बाद बच्चों की मां बन गई लेकिन उनका बच्चा अपना घर का मुंह तक नहीं देखा. क्योंकि जब छुट्टी होती है तो कोई जरूरी नहीं कि वो शुभ दिन ही हो. दिन देखाकर ही अपने घर में जा पाएंगी. सरकार ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि इस संबंध में नियमावली बन रहा है लेकिन अभी तक न नियमावली बनी न ही किसी के लिए ट्रांसफर का रास्ता साफ हुआ. ऐसी राज्य की हजारों शिक्षिकाएं है जो पति-सुख से वंचित और पारिवारिक जिम्मेदारी से कट गई हैं.कई कुंवारी शिक्षिकाएं इस डर से शादी नहीं कर पा रहीं है कि जब ससुराल जा ही नहीं पाएगी तो फिर शादी से क्या फायदा.

अब यह एक बड़ी सामाजिक समस्या सामने आने लगी है. कोई भी लड़की की शादी होती है तो उसके मां बाप घर परिवार चाहता है कि वो अपने ससुराल में बस जाए. लेकिन ट्रांसफर नियमावली के कारण कईयों का घर बसा ही नहीं. वो अपने ससुराल में आज भी अतिथि के तौर पर जाती है. शादी के बाद भी ससुराल नहीं जाने के कारण कईयों के तो अपने ससुराल में रिश्ते खराब होने लगे हैं.

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