प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान 29 जनवरी को त्रिवेणी संगम स्नान के समय मची भगदड़ में कम से कम 38 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई, जबकि 90 से अधिक घायल हो गए। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, यह घटना बुधवार तड़के ब्रह्म मुहूर्त से पहले हुई, जब भारी भीड़ जमा होने के कारण बैरिकेडिंग टूट गई और अफरा-तफरी मच गई।
घटना का विवरण
महाकुंभ मेले के डीआईजी वैभव कृष्ण के अनुसार, भगदड़ मुख्य रूप से संगम नोज क्षेत्र में हुई, जहां लाखों श्रद्धालु मौनी अमावस्या के पवित्र स्नान के लिए एकत्र हुए थे। जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई, एक तरफ के बैरिकेड टूट गए, और श्रद्धालु अनियंत्रित रूप से दूसरी ओर बढ़ने लगे। इस अफरा-तफरी में कई श्रद्धालु कुचल गए। प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया और 90 घायलों को अस्पताल पहुंचाया। इनमें से 36 का अभी भी प्रयागराज मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है।
सीएम योगी हुए भावुक, मुआवजे का ऐलान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों को ₹25 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अधिकांश घायल श्रद्धालु उपचार के बाद अपने घर लौट चुके हैं। मुख्यमंत्री ने हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं और जस्टिस हर्ष कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है, जिसमें पूर्व डीजी वीके गुप्ता और रिटायर्ड आईएएस वीके सिंह को भी शामिल किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुर्घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और प्रशासन को त्वरित राहत एवं बचाव कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ जैसे भव्य आयोजनों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए और सरकार इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएगी।
बेहतर प्रबंधन के लिए पुराने अधिकारियों की तैनाती
भगदड़ की इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मेला क्षेत्र में प्रशासनिक और सुरक्षा प्रबंधन को और अधिक मजबूत करने का निर्णय लिया है। कुंभ 2019 के दौरान प्रयागराज में तैनात वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों आशीष गोयल और भानु गोस्वामी को फिर से महाकुंभ स्थल पर नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, विशेष सचिव स्तर के पांच अधिकारियों और पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों को भी मेले की व्यवस्था सुधारने के लिए तैनात किया जाएगा।
महाकुंभ में भगदड़ की घटनाएं: एक इतिहास
महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजनों में भगदड़ की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।
1954 कुंभ मेला, इलाहाबाद – इस भगदड़ में 800 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी, जिसके बाद सुरक्षा उपायों में सुधार किए गए।
2013 कुंभ मेला, इलाहाबाद – रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 36 लोगों की मौत हुई थी।
2015 गोधावरी पुष्करम, आंध्र प्रदेश – भीड़ नियंत्रण में नाकामी के कारण 27 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।
प्रशासन के लिए सबक और भविष्य की तैयारियां
इस घटना के बाद प्रशासन पर भीड़ प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन के बावजूद सुरक्षा उपाय पर्याप्त नहीं थे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित उपायों पर जोर दिया जाना चाहिए:
भीड़ नियंत्रण के लिए तकनीकी निगरानी – ड्रोन कैमरे और AI आधारित ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जाए।
सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई जाए – अतिरिक्त पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें लगाई जाएं।
रूट मैपिंग और डिजिटल गाइडेंस – श्रद्धालुओं को भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से दूर रखने के लिए डिजिटल सूचना प्रणाली विकसित की जाए।
प्रवेश और निकासी व्यवस्था में सुधार – बैरिकेडिंग को मजबूत किया जाए और स्नान के लिए नए घाट तैयार किए जाएं।
हेल्पलाइन नंबर जारी
मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर 1920 जारी किया है। मृतकों और घायलों की जानकारी के लिए श्रद्धालु इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 में हुई यह दुखद घटना धार्मिक आयोजनों में भीड़ नियंत्रण की विफलता को दर्शाती है। यह आवश्यक हो गया है कि भविष्य में प्रशासन और अधिक सख्त सुरक्षा उपाय अपनाए, ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।