विधान परिषद में मोकामा टाल क्षेत्र के जल प्रबंधन पर मंत्री का आश्वासन

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Mokama Tall

संवाददाता.पटना.मोकामा टाल क्षेत्र में गंगा के बैक वाटर को प्रवेश से रोकने, जल प्रवाह को नियंत्रित करने एवं बेहतर जल प्रबंधन के लिए बाद प्रबंधन योजना के तहत 199.50 करोड़ रूपये लागत से कई योजनाओं का कार्यान्वयन किया जा रहा है। जिसमें हरोहर नदी में लखीसराय जिला के लखीसराय प्रखंड के अन्तर्गत बालगूदर ग्राम के पास एण्टी फ्लड स्लूईस सह रेगूलेटर का निर्माण कार्य प्रगति पर है एवं पटना जिला के घोसवरी प्रखंड अन्तर्गत डुमना सोता, खनुआ सोता गायघाट सोता एवं लँगडी सोता में एण्टी फ्लड स्लूईस का निर्माण कार्य पूर्ण करा लिया गया है।यह लिखित आश्वासन विधान परिषद में जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने दिया।
गुरूवार को विधान परिषद में नीरज कुमार के इससे संबंधित ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिखित उत्तर में कहा कि दिनांक-08.09.2020 के मंत्रिपरिषद की बैठक में रू0 1178.50 करोड़ की लागत से टाल विकास योजना की स्वीकृति प्रदान की गयी । इस योजना अंतर्गत कुल 74 अदद पईनों का तल सफाई कार्य इन पईनों पर कुल 101 अदद पार पथ का निर्माण कार्य, 43 अदद चेकडैम/ वीयर का निर्माण कार्य, 04 अदद एण्टी फ्लड स्लूईस का निर्माण हरोहर नदी के बाँये किनारे पर 71 कि०मी० की लम्बाई में तटबंध का निर्माण कार्य तथा दक्षिणी छोर पर 37 कि०मी० की लंबाई में तटबंध का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
उपर्युक्त योजनाओं के पूर्ण होने के उपरांत टाल क्षेत्र में नियंत्रित रूप से जल का प्रवेश होगा और जल निकासी भी शीघ्रता से हो सकेगी । जिससे किसानों को जल जमाव संबंधित समस्या से काफी हद तक निजात निल सकेगी। साथ ही पईनों का तल सफाई कार्य तथा चेकडैम/वीयर का निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरांत सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध होगी ।
जल संसाधन मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि वस्तुस्थिति यह है कि मोकामा बड़हिया टाल क्षेत्र सहित सम्पूर्ण । टाल क्षेत्र (क्षेत्रफल 106200 हेक्टेयर) में मानसून अवधि में वर्षा का पानी, दक्षिण बिहार के नदियों का पानी एवं गंगा नदी के बाढ का पानी (बैक वाटर) टाल क्षेत्र से भर जाता है। गंगा के जलस्तर में कमी होने पर टाल का पानी हरोहर नदी के माध्यम से किउल नदी होते हुए गंगा में जाता है। बरसात के दिनों में गंगा नदी के बाढ़ का पानी एवं दक्षिण पश्चिम से आने 1 वाली नदियाँ के पानी से टाल क्षेत्र सामान्यतः डूबा रहता है। इस कारण टाल क्षेत्र के अधिकांश भू-भाग में खरीफ की खेती नही हो पाती है। परन्तु रब्बी की बुआई के पूर्व जल निकासी हो जाने के पश्चात् टाल क्षेत्र में चना, मसूर, मटर अरहर इत्यादि दलहनों की अच्छी पैदावार होती है।
विगत वर्षो के उपलब्ध आकडो के अनुसार 15 अक्टूबर तक सामान्यतः गंगा नदी का जलस्तर टाल क्षेत्र के न्यूनतम बेड लेवल से भी अधिक पाया गया। पटना जिला के मोकामा अंचल के अंतर्गत राजस्व ग्राम चिन्तामणीचक औटा, मुरारपुर, दरियापुर धरमपुर, हाथीदह खुर्द एवं मराँची ग्राम अवस्थित है। यह भाग टाल क्षेत्र के गहरे भू-भाग के अंतर्गत आता है। इस प्रभाग में जमा पानी प्राकृतिक रूप से सुख कर एवं अन्य कृषकों द्वारा सिंचाई हेतु इस पानी के उपयोग के उपरान्त यह पानी समाप्त होता है, तत्पश्चात् किसानों द्वारा बुआई का कार्य किया जाता है।
विधान पार्षद नीरज कुमार ने अपने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से मोकामा टाल क्षेत्र में जल प्रबंधन की व्यापक व्यवस्था करने एवं उपरोक्त राजस्व ग्रामों की भूमि से जल निकासी हेतु सरकार से स्पष्ट वक्तव्य की माँग की।उन्होंने बताया कि दाल का कटोरा कहा जाने वाला मोकामा टाल रकबा 1 लाख 6 हजार 200 हेक्टेयर है, जिसकी लगभग लंबाई 110 किलोमीटर और चौड़ाई 6 से 15 किलोमीटर है। एक फसला भूमि होने के कारण किसानों की आजीविका का एकमात्र सहारा है। टाल क्षेत्र से जल निकासी के उपरान्त फसल के सिंचाई की कोई व्यवस्था अभी तक नही है जिसके कारण किसानों के फसल की भूमि अनुपयोगी हो जाती है तथा किसान अर्थिक संकट में पड़ जाते है। मोकामा पूर्वी टाल क्षेत्र 1 के राजस्व ग्राम चिंतामणीचक, टोंटा मरारपर दरियापुर, धरमपुर, हाथीदह खुर्द एवं मराची में प्रत्येक वर्ष जल जमाव की स्थिति रहने से किसानों को दलहन की बुआई नही कर पाते है। उक्त गाँवों के आजिविका का एकमात्र साधन भूमि है। इन राजस्व ग्रामों में जल निकासी की व्यवस्था किये जाने की आवश्यकता है।

 

 

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