प्रमोद दत्त.
पटना.नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार एक माह भी नहीं हुए कि राजद ने नीतीश कुमार को घेरना शुरू कर दिया है।नीतीश सरकार के बहुचर्चित शिक्षा मॉडल को राजद के शिक्षा मंत्री ने कटघरे में खड़ा कर दिया है।उन्होंने बिहार की वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा में नए मॉडल की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में 2005 से जबसे एनडीए की सरकार है लगातार शिक्षा मंत्री जदयू के ही रहे हैं।नीतीश कुमार ने अपने पहले मुख्यमंत्रित्वकाल में स्कूली छात्राओं के लिए साइकिल योजना की शुरूआत की।इस योजना की व्यापक चर्चा हुई।इससे नीतीश कुमार की ख्याति बढी तो छात्रों के लिए भी यह योजना लाई गई।इसके अलावा स्कूलों में छात्रवृति योजना,पोशाक योजना,किशोरी स्वास्थ्य योजना,इंटर पास करने वाली अविवाहित छात्राओं व स्नातक पास करने वाली सभी छात्राओं के लिए पुरस्कार योजना आदि पहले से चलाई जा रही है।
नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में सबसे आधिक फोकस शिक्षा के स्तर को सुधारने में लगाया। लगातार शिक्षा बजट की राशि में बढोतरी की गई। प्राथमिक,माध्यमिक से लेकर उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा में किए गए कार्यों को सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में सामने रखा जाता रहा।नए-नए विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थान खोले गए।जब भी विपक्ष ने नीतीश सरकार पर सुस्त औद्योगिकीकरण को लेकर घेरने की कोशिश की तब नीतीश कुमार ने मानव संसाधन (शिक्षा विभाग) में किए गए विकास की चर्चा करते हुए इसे ही असली विकास बताया।
इसके बावजूद राजद कोटे से शिक्षा मंत्री बने चन्द्रशेखर ने उपरोक्त सभी उपलब्धियों को नजरअंदाज करते हुए मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि बिहार में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था संतोषजनक नहीं है।शिक्षा के दिल्ली मॉडल की च्रर्चा करते हुए उसका अध्ययन करने की बात की।उन्होंने शिक्षा व्यवस्था का नया मॉडल जरूरी बताया। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा व्यवस्था में सामाजिक न्याय भी दिखनी चाहिए।
राजद के शिक्षा मंत्री ने एक साथ नीतीश कुमार के शिक्षा मॉडल को न सिर्फ कटघरे में खड़ा कर दिया है बल्कि दिल्ली के शिक्षा मॉडल की बात कर नीतीश कुमार के अगले प्लान पर भी पानी फेर दिया है।प्रधानमंत्री की दावेदारी में नीतीश कुमार के सामने विपक्ष की ओर से अरविंद केजरीवाल की चुनौती अभी से मिलने लगी है।ऐसी स्थिति में शिक्षा क्षेत्र में केजरीवाल मॉडल को नीतीश मॉडल से बेहतर बताना किस बात की ओर इशारा करता है।
इसके साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था में सामाजिक न्याय दिखाने की चाहत यह बताता है कि राजद अपने एजेंडा पर आगे बढ रहा है। लेकिन साथ ही इससे नीतीश कुमार को सामाजिक न्याय विरोधी बताने की कोशिश की गई है।जबकि नीतीश सरकार में पिछड़ा,अत्यन्त पिछड़ा,अल्पसंख्यक- तीनो वर्गों के लिए शिक्षा विभाग व कल्याण विभाग द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है।अलग-अलग छात्रावासों की व्यवस्था,UPSC व BPSC की तैयारी कर रहे इस वर्ग के छात्रों के लिए आर्थिक सहयोग आदि कई ऐसी योजनाएं चलाई जा रही है जिसकी चर्चा नीतीश कुमार अपने हर प्रमुख भाषणों में चर्चा करतो रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार के शिक्षा मॉडल पर विपक्ष के बजाए उनके मातहत काम कर रहे राजद के शिक्षा मंत्री ही सवाल उठाने लगे हैं।