बाबू कुंवर सिंह के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता- मुख्यमंत्री

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Babu Kunwar Singh

संवाददाता.पटना. बाबू कुंवर सिंह के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इस देश में 1857 में आजादी की लड़ाई सबसे पहले उन्हीं के नेतृत्व में लड़ी गयी थी।  आजादी की लड़ाई लड़ने के दौरान बाबू वीर कुंवर सिंह देश के कई हिस्सों में गये। उस समय देश की सेना में योगदान दे रहे कई लोगों ने विद्रोह किया था और उन सबने इस लड़ाई में बाबू कुंवर सिहं का साथ दिया था।यह कहना है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का। वे बाबू वीर कुंवर सिंह की याद में विजयोत्सव समारोह को संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बाबू वीर कुंवर सिंह की याद में विजयोत्सव समारोह का आयोजन किया जाता है। बिहार में बहुत पहले से इस अवसर पर समारोह का आयोजन किया जाता रहा है जिसमें हमलोग शामिल होते रहे हैं। कोरोना के दौर से पहले बिहार में बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव के अवसर पर कई समारोह का आयोजन किया गया था। दो साल से कोरोना के दौर के बाद आज मुझे इस कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला है। आज इस कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे खुशी हुई है।
उन्होंने कहा कि हमलोगों ने बाबू कुंवर सिंह से संबंधित ऐतिहासिक बातों को लेकर कई कार्यक्रम का आयोजन बिहार में किया है। इस पार्क में बाबू कुंवर सिंह की प्रतिमा को हनलोगों ने स्थापित किया एवं इस पार्क का नामाकरण भी उनके ही नाम पर कर दिया। इस पार्क का काफी विकास किया गया है ताकि यहां आनेवाली नई पीढ़ी के लोगों को इनके योगदान के विषय में जानकारी मिल सके। देश की आजादी में इनकी भूमिका को हमलोगों ने स्कूलों के सिलेबस में भी शामिल किया है ताकि सबको जानकारी मिले कि बाबू कुंवर सिंह जी का इस देश के लिए कितना महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी इच्छा शुरु से रही है कि बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव का आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए। बाबू वीर कुंवर सिंह ने आजादी की लड़ाई सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि देश के कई प्रदेशों में जाकर लड़ी थी। हम इस बात को काफी पहले से कह रहे हैं कि बाबू वीर कुंवर सिंह की याद में राष्ट्रीय स्तर पर समारोह का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि आजादी की लड़ाई में इनकी भूमिका के विषय में सबको जानकारी मिल सके। 80 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जख्मी होने के बाद भी वे लड़ते रहे, उन्होंने जीत हासिल की और देश के लिए अपना बलिदान दे दिया।
उन्होंने कहा कि बाबू वीर कुंवर सिंह समाज के सभी तबकों को जोड़कर चलते थे। अगड़ी जाति, पिछड़ी जाति, दलित समाज, हिन्दू-मुस्लिम सभी को जोड़कर वे चलते थे, इस बस चीजों को लोगों को याद रखनी चाहिए। बाबू वीर कुंवर सिंह की याद में यूनिवर्सिटी का निर्माण पहले ही कर दिया गया था। हमलोगों ने उनकी याद में कई कार्य किये हैं। गंगा नदी में पुल का नामकरण भी उनके नाम पर किया गया है। कृषि महाविद्यालय का भी नामकरण उनके नाम पर किया गया। बाबू कुंवर सिंह के जन्मस्थान जगदीशपुर को विकसित किया गया है। जगदीशपुर में हमलोग जाते रहे हैं। इस अवसर यहां आने का मौका मिलने पर मुझे अंदर से काफी खुशी मिलती है। हमलोग बचपन से ही इनके विषय में सुनते और जानते रहे हैं।
राजद के इफ्तार पार्टी में शामिल होने को लेकर पत्रकारों के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका पॉलिटिक्स से कोई मतलब नहीं है। इस तरह की इफ्तार पार्टी में सबको आमंत्रित किया जाता है। सरकार की तरफ से भी हम शुरु से इफ्तार पार्टी का आयोजन कराते रहे हैं। उसमें सभी पार्टी के लोगों को बुलाते हैं। इसी तरह दूसरी पार्टी के लोग भी इफ्तार पार्टी का आयोजन करते हैं तो सभी पार्टी वालों को बुलाते हैं। कोई अगर मुझे बुलाता है तो हम जाते ही हैं। उन्होंने मुझे आमंत्रित किया था तो मैं वहां गया था।

 

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