तम्बाकू के कुप्रभाव से समाज को अवगत कराने में मीडिया करे सहयोग

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संवाददाता.पटना.समाज को तम्बाकू सेवन के कुप्रभाव से अवगत कराने में मीडिया सहयोग करें। उक्त बातें आज सूचना भवन स्थित ‘‘संवाद’’ कक्ष में आयोजित कार्यशाला में जितेन्द्र श्रीवास्तव, सचिव स्वास्थ्य-सह-कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार ने कही।

उन्होंने बताया है कि विश्व में मुँह से संबंधित कैंसर के रोगियों की संख्या सर्वाधिक भारत में है, जिनमें 90 प्रतिशत मुँह के कैंसर तम्बाकू सेवन के कारण होते हैं। बिहार में 53.5 प्रतिशत लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं, जिसमें 66.2 प्रतिशत पुरूष तथा 40.1 प्रतिशत महिलाएं हैं। धुम्रपान 5.9 प्रतिशत तथा सुघंने या चबाने वाले तम्बाकू  48.7 प्रतिशत और दोनो का सेवन 10 प्रतिशत लोग करते हैं।

सचिव ने बताया कि तम्बाकू सेवन से मुख, गला, फेफड़े, कंठ, खाद्यनली, मूत्राशय, गुर्दा आदि स्थानों में कैंसर पैदा कर सकता है। इसके सेवन से हृदय और रक्त संबंधी बीमारियां भी तेजी से बढ़ती है, जिससे अधिकतर मौतें दिल का दौरा पड़ने से होता है।उन्होंने बताया कि भारतीय तंबाकू नियंत्रण कानून की विभिन्न धाराओं के तहत इसके सेवन, बिक्री एवं उत्पादन पर दण्ड निर्धारित है। उक्त कानून के धारा-4 के तहत सार्वजनिक स्थानों जैसे सरकारी भवन, सार्वजनिक परिवहन, होटल, रेस्टोरेन्ट, पार्क, अस्पताल, विद्यालय इत्यादि पर धुम्रपान निषेध है। इन स्थानों पर धारा का उल्लंघन करते हुए पकड़े जाने पर 200 रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। इसी प्रकार धारा-5 के तहत तम्बाकू उत्पादों के सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापनों पर प्रतिबंध है। इसका उल्लंघन होने पर 1 से 5 साल की कैद व 1000 से 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। धारा-6 के तहत 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को तम्बाकू बेचना या उनके द्वारा तम्बाकू उत्पादों के बेचे जाने पर तथा किसी भी शिक्षण संस्थान के 100 गज के दायरे में तम्बाकू बचेने पर प्रतिबंध है। इसके उल्लंधन पर भी 200 रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है। धारा-7 के तहत सभी तम्बाकू उत्पादों पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी है। इसके उल्लंघन पर 1 से 5 साल की कैद व 1000 से 10000 रुपये का जुर्माना किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि मद्य निषेध के तहत अबतक 3 हजार लोग पकड़े गए है और उन्हें फाईन किया गया। मद्य निषेध से बचाव के लिए समाज के लोगों में जागरूकता लाना है और कानून के सहयोग से जागरूकता लायी जा रही है। इसके लिए विभिन्न स्थलों पर पोस्टर के माध्यम से, श्लोगन के माध्यम से लोगों को धुम्रपान नहीं करने की सलाह दी जा रही है और लोग सजग भी हो रहे हैं।

उक्त अवसर पर डाॅ0 एम0केसिंह, राज्य नोडल पदाधिकारी, तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम, बिहार ने कहा कि तंबाकू नियंत्रण पर काूनन मई, 2003 में ही बना, पर इसे 05 अप्रैल से कृत संकल्पित रूप से बिक्री एवं सेवन पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है। उन्होंने इसके सेवन से होने वाले हानि की जानकारी विस्तृत रूप से दिया।

कार्यशाला को विपिन कुमार सिंह, निदेशक, सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग, बिहार ने सम्बोधित करते हुए हुए कहा कि बुद्धिजीवियों एवं मीडिया का मद्य निषेध/तम्बाकू नियंत्रण में अहम भूमिका है। मीडिया के माध्यम से जन-जन तक बात पहुँचाना है। उन्होंने अपने अनुभव की चर्चा करते हुए लोगों से तम्बाकू छोड़ने के लिए प्रोरित किया और बताया कि सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग डेकोमेंट्री भी बनायेगा।धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विदुभूषण प्रसाद, उप निदेशक (प्रेस) ने बताया कि बहुत ही अल्प सूचना पर आज की कार्यशाला आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि सक्रिय चर्चा, सक्रिय भूमिका और अभियान चलाकर इसकी मुक्ति के लिए कार्य करना होगा। इसके लिए संकल्प लेने की आवश्यकता है।

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