राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित रहे पं दीनदयाल उपाध्याय-संजय जायसवाल

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Pt Deendayal Upadhyay

संवाददाता.पटना. भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर भाजपा प्रदेश मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी. इस दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि बहुमुखी और विलक्षण प्रतिभा के धनी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी एक ऐसे राजनेता थे, जिनके चिंतन में सत्ता नहीं बल्कि समाज बसता था.
उन्होंने कहा कि आज भाजपा जिस मजबूत वैचारिक और सांगठनिक आधार पर खड़ी है उसके वास्तविक शिल्पी पंडित दीनदयाल जी ही थे. यह उन्हीं जैसे साधकों की साधना का प्रतिफल है कि आज भाजपा इतना विशाल वटवृक्ष बन चुका है.पण्डित दीनदयाल उपाध्याय अद्वितीय संगठनकर्ता होने के साथ-साथ एक महान चिंतक भी थे. उन्होंने ही भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानव दर्शन जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी. उन्होंने अपनी पुस्तक एकात्म मानववाद में मानव जाति की मूलभूत आवश्यकताओं और बनाए कानूनों के अनुरुप राजनीतिक कार्रवाई के लिए एक वैकल्पिक सन्दर्भ दिया. उनका मानना था कि हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति हैं.
डॉ जायसवाल ने कहा कि दीनदयाल जी का मानना था कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों के लिए योजनाएं बननी चाहिए, जिसके लिए उन्होंने अंत्योदय की संकल्पना दी. आज उनका यह विचार वर्तमान केंद्र सरकार का मूल मन्त्र बन गया है. आज केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा रही मुद्रा, जनधन, उज्ज्वला, गरीब कल्याण, सौभाग्य जैसी अनेकों योजनाओं में दीनदयाल जी के विचारों की छाप स्पष्ट देखी जा सकती है. उन्हीं से प्रभावित होकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में उनकी जयंती को ‘अंत्योदय दिवस’ के रूप में समर्पित किया था, जिसे हर साल आज ही के दिन मनाया जाता है. गरीब कल्याण के उनके दिखाए मार्ग पर आज मोदी सरकार पूरे वेग से दौड़ रही है.
भाजपा कार्यकर्ताओं से दीनदयाल जी के विचारों का अधिक से अधिक प्रसार करने की अपील करते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी उमंग और उत्साह से भरी हुई पार्टी है, जिसके कार्यकर्ताओं के रोम-रोम में राष्ट्रवाद बसता है. हमें समाज के निचले वर्ग का विकास करना है, हमारी विकास यात्रा में कोई पीछे नहीं रह सकता. इसके लिए दीनदयाल जी द्वारा बताये मार्ग से बेहतर कुछ और नहीं हो सकता. हमारे कार्यकर्ता जानते हैं कि दलित, शोषित, वंचित, किसान हमारे लिए राजनीतिक नारे नहीं बल्कि इनका विकास ही हमारा लक्ष्य है. इसीलिए मेरी सभी कार्यकर्ताओं से अपील है कि दीनदयाल जी के विचारों व संकल्पों से जन-जन को अवगत करायें, जिससे लोगों में ‘सबका साथ, सबका विकास’ का संकल्प पूर्ण हो सके.

 

 

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