जहां भूत-प्रेत व शैतानी आत्माएं किए जाते हैं कैद

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दुर्गेश किशोर तिवारी.बिक्रमगंज(रोहतास). बिहार में एक मेला ऐसा भी लगता है जहां भूत-प्रेत और शैतानी आत्माओं को बुलाकर उन्हें कैद किया जाता है.जी हां- हम बात कर रहे हैं शाहाबाद के प्रसिद्ध देवस्थान घिंन्हु ब्रह्म के मेला का जहां भूत-प्रेत व झाड-फूंक आदि भौतिक बाधाओं व शैतानी आत्माओं से छुटकारा दिलाने तथा उसे कैद करने के लिए एक सप्ताह तक  ब्रह्ममेला लगता है.इस मेले में  इनदिनों श्रद्धालुओं का रेला लगा है.जहाँ दर्जनों तांत्रिक- ओझागुनी अपनी करिश्माई करतूते के बदौलत अंधविश्वासी पुरूषों व महिलाओं का आर्थिक एवं मानसिक शोषण कर रहे है.

वर्ष में दो बार इस मेले में दर्शनार्थ राज्य के विभिन्न हिस्सों सहित पड़ोसी राज्यो से भी श्रद्धालुओं की भीड़ रामनवमी एवं दशहरा के समय आती है.पूजा अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों की आड़ में तथाकथित ओझाओं द्वारा अपने प्रपंची मोह जाल में फंसाकर अवैध एवं गैरकानूनी तरीके से शिक्षित-अशिक्षित पुरुष-महिलाओ व गरीबों का शारीरिक मानसिक व आर्थिक दोहन जारी है. लोगो को तरह तरह से बहकाना फुसलाना ही मुख्य ब्यवसाय बना हुआ है.
यह प्रसिद्ध देव स्थान रोहतास जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर तथा सांझोली प्रखड क्षेत्र के खैरा भूतहा ग्राम के समीप सुनसान वगीचे में करीब दो तीन बीघे जमीन में फैला हुआ है.यह क्षेत्र वर्तमान में धार्मिक आस्था से ओत प्रोत घिंन्हु बाबा के प्रति लोगो के आपार स
श्रदा एव विश्वास को परिलक्षित करता है.किन्तु भौतिकवादी इस युग में कथित ओझागुणी इस मेले की आध्यात्मिक प्रांसगिकता पर सवालिया निशान भी लगा रहे है.
मेले के भ्रमण के दौरान शैतानी आत्माओ को अपने वश में करने की प्रवति से ओझाओं द्वारा औरतों को रुलाते-हँसाते जैसे भयानक परिदृश्य देखनो को मिल रहा है.कहा जाता है कि इस देव स्थान पर महिलाएं-युवती एवं पुरुष के आते ही उनपर सवार भूत खेलने लगते है.जिसे ओझाओं द्वारा अनेक प्रकार के अनुष्ठान कर वही शैतानी आत्मा को बांध दिया जाता है.भूत प्रेत के ठीकेदार ओझा असाध्य बीमारियों, जटिल से जटिल समस्या , भूत-प्रेत , मनोकुल इच्छाओ को पूरा कराने से लेकर बच्चा पैदा कराने तक की जिम्मेवारी अपने नाम ले लेते है. ऐसे में सैकड़ों लोग अन्धविश्वास के काले छाये से ग्रसित होकर अपने बीमार परिजनों के साथ इस प्रसिद्ध देव स्थान पर आकर ओझाओं के करिश्माई करतूतो के समक्ष घुटने टेकते नजर आ रहे है.इसी अंधविश्वास का नजायज फायदा उठाकर ओझागुणी बीमार एवं मजबूर औरतो एव पुरूषो को अपना शिकार बनाकर उनका आर्थिक दोहन भी करते है तथा झाड फूंक को प्रत्येक वर्ष यहां अपना ब्यवसाय बनाते है.अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित महिलाओ पर भूत प्रेत खेलते हुए तथा उनको नचाते ओझा इस मेले में मुख्य आकषर्क का केंद्र है.इस कार्य को अंजाम देने वाले दर्जनों ओझा गुणी एवं तांत्रिक इस ब्यवसाय से सालो भर अपना रोजी रोटी चलाते है.मेले में आए लोगो ने बताया की अन्नायओ के इच्छापूर्ति के लिए पहले देशी शराब चढ़ाई जाती थी ,लेकिन देशी व् विदेशी शराब पर प्रतिबध लगने से अब वगैर शराब के केवल मुर्गा ही चढ़ाई जा रही है जो उच्ची कीमत पर बिक रहा है.बताया जाता है कि प्रत्येक वर्ष इस मेले में करीब पांच से सात हजार जानवरों को बली दी जाती है.

प्रसिद्ध घिंन्हु ब्रह्म मेले में राज्य सहित अन्य राज्यो से आए श्रद्धालुओं को सुबिधा के नाम पर कुछ भी नही मिलता ,जबकि यहां पहुचे श्रद्धालुओं से कर की वसूली की जाती है.प्रशासन द्वारा पानी ,बिजली,स्वास्थ्य,तथा सुरक्षा इंतजामो के कमी के कारण दूर दूर से आए श्रद्धालु रात के अंधेरे में खुले अकाश के नीचे रहने को विवश है.
पुत्र प्राप्ति के नाम पर ओझाओं द्वारा महिलाओं को इलाज करने के बहाने उन्हें ले जाकर उनका शारीरिक एवं मानसिक दोहन भी करते है.ऐसे मामले तब प्रकाश में आते है जब वे लोग पूरी तरह से लूट लिए जाते है. अंधविश्वास के दलदल में फंसे औरतों और पुरूषों को आकर्षित करने हेतू ये ओझा कई तरह के कारनामे यहां दिखा रहे है,जो माथे पर भभूत ,बेढंगा वस्त्र के साथ साथ लोगो से बात करने के दौरान वाणी में बदलाव लाना शामिल है,जिसे देखकर निरक्षर व अंधविश्वासी ही नही बल्कि आशावादी भी उनके चंगुल में फंस जा रहे है.
इस चर्चित देव स्थान घिंन्हु ब्रह्म के सबंध अनेक प्रकार की गथाएं भी है. जिसमे एक चर्चा यह है कि घिंन्हु ब्रह्म निकट के माधोपर गांव के निवासी थे,अपने ससुराल खिरोधर पुर जाने के क्रम में पवनी ग्राम की एक डायन ने उन्हें उक्त स्थल पर मार डाला ,बताया जाता है कि मरते वक़्त बाबा ने पानी की मांग की. पवनी गांव की किसी ब्यक्ति ने उनका प्यास नही बुझाया. उसी रास्ते से जा रही रौनी गांव की एक महिला ने उनको पानी पिलाया.अपनी प्यास बुझने के साथ ही बाबा पवनी की क्षय और रौनी की जय कहकर प्राण त्याग दिये.ग्रमीणों के अनुसार तब से पवनी ग्राम का विनाश होने लगा.जब यह खबर बाबा के ससुराल पहुची तो उनकी पत्नी भी चिता जलकर सती हो गई.उक्त समय से ही बाबा ब्रह्म के रूप में और पत्नी सती के रूप में स्थापित हो गये.जिनके नाम से मन्दिर का निर्माण भी कर दिया गया.यह घटना सैकड़ो वर्ष पुरानी बताई जाती है.लोगो का कहना है कि पवनी ग्राम की विनाश की प्राथमिकता इस बात से सिद्ध होती है कि आज भी वहा कुँआ की खुदाई करने पर गृहोपयोगी वस्तुओं के अवशेष मिलते है.घिंन्हु ब्रह्म के अतरिक्त दर्जनों की संख्या में अन्य छोटे छोटे देव स्थान स्थापित किये गये है.इस सबंध में लोगो का कहना है कि यहां कई ताकतवर आत्माओ को ओझा गुणी द्वारा यहां बांध दिया जाता है.
राज्य के अलग अलग हिस्सों से आए लोगों का कहना है कि सुशासन की सरकार में भी कई सुविधाओं से महरूम है.इसके आलावा सुरक्षा के लिहाज से ऐतियात के तौर पर कोई ब्यवस्था नही की गई है और न ही रात्रि समय पुलिस  की गश्ती की जाती है,जिससे खतरा होने की आशंका हमेशा बनी रहती है.आज भी समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा तंत्र मंत्र, जादू टोना, भूत प्रेत जैसे चक्करो में उलझा हुआ है.ऐसे लोगो में गरीब और अनपढ़ की संख्या ज्यादा है.सदियो पुरानी अंधविश्वासी प्रथाए यहां किस तरह से लोगो के दिलो दिमाग में छाई है ,इस देव स्थान पर देखा जा सकता है.

 

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