संवाददाता.पटना. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने डीआरडीओ की ओर से विकसित की गई कोविड-19 रोधी दवा 2-डीजी को कोरोना से जारी लड़ाई में गेम चेंजर बताते हुए कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ शुरूआत से ही भारत के स्वाभिमान की पहचान रही है.पूर्व राष्ट्रपति व ‘भारत रत्न’ स्वर्गीय अब्दुल कलाम ने इस संस्था को व्यापक विस्तार दिया था और प्रधानमन्त्री मोदी जी ने इसे इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है कि इसकी उपलब्धियों पर प्रत्येक भारतीय का सीना फक्र से चौड़ा हो जाता है.
उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए विकसित यह दवा, इसी का प्रतिफल है. इसके लिए प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और डीआरडीओ के समस्त वैज्ञानिकों को कोटि कोटि धन्यवाद देते हुए कहा कि कोरोना संकट के इस काल में डीआरडीओ के हमारे वैज्ञानिक देश के लिए ढाल बन कर उभरे हैं. एक हजार लीटर प्रति मिनट के ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता के प्लांट अस्पताल में लगाने से लेकर, कोरोना की पहली दवा के अविष्कार तक इन्होंने अपनी अद्भुत मेधा और अद्वितीय कार्यक्षमता का परिचय दिया है.
दवा के बारे में बताते हुए डॉ जायसवाल ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन द्वारा कल लांच की गयी 2डी ऑक्सी डी-ग्लूकोज यानी 2-डीजी पहली दवाई है, जिसका आविष्कार ख़ास कोरोना के लिए हुआ है. अभी तक जो भी दवाइयां थी वह दूसरी बीमारियों के लिए बनी थी और उनका करोना पर फायदा आज तक संदेहास्पद है.
उन्होंने बताया कि 2DG हमारी पुरानी कहावत ‘बेईमानों से बेईमानी करने में कोई बुराई नहीं है’ पर आधारित है. यह दवा दरअसल एक तरह का संवर्धित ग्लूकोज ही है. यह सर्वविदित है कि प्रत्येक जीव को जीवित रहने के लिए ग्लूकोज चाहिए. वायरस भी एक जीव ही होता है और उसे भी इसकी जरूरत होती है. जब यह दवा शरीर में जाती है तो करोना वायरस इसको ग्लूकोज समझ कर अपने शरीर में ले लेता है, लेकिन उसके भीतर यह ग्लूकोज एनर्जी में परिवर्तित नहीं होता और ना ही वायरस इस ग्लूकोज के कारण और ग्लूकोज को ले पाता है. इसलिए वह नष्ट होना शुरू हो जाता है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इसके जांच परिणामों के मुताबिक यह दवा अस्पताल का समय भी घटाती है और ऑक्सीजन की जरूरत को कम करती है. हालांकि यह ऐसी दवा नहीं है जिसे खाने के साथ ही लोग ठीक होने लग जायें, लेकिन शरीर में वायरस के प्रसार रोकने में इससे काफी मदद मिलती दिख रही है. लेकिन इसके बावजूद उपचार से हमेशा ही बचाव बेहतर रहता है, अभी भी कोरोना का शर्तिया इलाज मास्क और 2 गज दूरी ही है. इसीलिए सावधानियों का पालन निरंतर करते रहें.