जब मौत हुआ सामना…बन गए ऑक्सीजन मैन

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प्रमोद दत्त.

पटना.पटना के गौरव राय कोरोना काल में “ऑक्सीजन मैन “ के नाम से चर्चित हो गए हैं.वैसे तो इन्हें बचपन से ही समाज सेवा का जुनून रहा है.ब्लड डोनेशन से लेकर अन्य सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं.लेकिन जब जुलाई 2020 में खुद कोरोनाग्रस्त हुए,अस्पतालों की जर्जर व्यवस्था में जिंदगी और मौत का संघर्ष कठिन लगने लगा तो घर पर ही ऑक्सीजन की व्य़वस्था कर विपरित परिस्थितियों में अपनी जान बचाई.इस घटना के बाद उन्होंने अपनी पत्नी अरूणा भारद्वाज से इच्छा व्यक्त की कि क्यों न ऑक्सीजन बैंक बनाकर जरूरतमंद लोगों की जान बचाई जाए.पत्नी सहयोग के लिए तैयार हुईं और गौरव राय बन गए बिहार के “ऑक्सीजन मैन“.

गौरव राय बताते हैं कि उनकी पत्नी अरूणा उनकी जान बचाने के लिए पहले ही तीन सिलेंडर खरीद चुकी थी.इसके बाद अमेरिका में रह रहे उनके एक दोस्त ने तीन सिलेंडर से सहयोग किया.धीरे-धीरे उनके पास 54 ऑक्सीजन सिलेंडर हो गया.इसी बीच बिहार फाउंडेशन की तरफ से उन्हें 200 ऑक्सीजन सिलेंडर दिया गया.इसके बाद गौरव राय ने पटना के अलावा 21 जिलों में नेटवर्क का विस्तार कर लिया.कोरोना के गंभीर मरीजों के घर-घर फ्री में ऑक्सीजन पहुंचाने लगे.

राजधानी पटना में हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट बनाने वाली कंपनी में मैनेजर पद पर कार्यरत गौरव राय से जब उनके इस जुनून के बारे में पूछा तो कहते हैं,”मेरी जिंदगी तीन घंटे की ऑक्सीजन सप्लाई से बची है.इसलिए मेरा प्रयास है कि कोई ऑक्सीजन की कमी से ना मरे.जो जरूरतमंद जहां बुलाता है,अपनी कार से सके ठिकाने पर ऑक्सीजन लेकर पहुंच जाता हूं.बहुत से लोग मेरे ऑफिस में आ जाते हैं और अपनी गाड़ी से ऑक्सीजन ले जाते हैं.ऑफिस के काम से जो समय मिलता है वह लोगों की सेवा में लगा देता हूं.मेरे इस काम में मेरी पत्नी और ऑफिस के सहयोगी भरपूर साथ देते हैं.“

बताते चलें कि गौरव राय द्वारा कोरोना की पहली लहर में 1103 लोगों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाया गया.इसमें 166 लोग अस्पताल गए और 32 लोगों की मृत्यु हो गई.इसके अलावा सभी लोगों की जान बच गई.कोरोना की दूसरी लहर में अबतक 400 से अधिक लोगों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा चुके हैं.इसमें 200 से ज्यादा ठीक हुए लेकिन 14 लोगों को नहीं बचाया जा सका.शेष लोग अभी भी इलाजरत हैं.

जिन लोगों को गौरव राय का ऑक्सीजन नहीं बचा पाया उनके प्रति वे श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं और जिन लोगों को ऑक्सीजन ने बचा लिया उसे ईश्वर की कृपा और मानव सेवा के प्रति अपना समर्पण मानते हैं.वे कहते हैं,ठीक होने वाले या उनके परिजन जब उनसे मिलने आते हैं तो केक काटकर सेलिब्रेट करते है.ऐसे मौके पर उन्हें यह अहसास होता है कि किसी की जिंदगी बचाने से बड़ा काम इस दुनियां में कुछ भी नहीं है.

हालांकि कोरोना की दूसरी लहर में जरूरतमंद लोगों की बढती संख्या,सीमित संसाधन और आर्थिक संकट से गौरव राय को जूझना भी पड़ा है.लेकिन “मन में है विश्वास,हम होंगे कामयाब “ की तर्ज पर विभिन्न संस्थाओं से पुरस्कृत ऑक्सीजन मैन, गौरव राय कठिन परिस्थितियों में भी लगातार लोगों की जान बचाने की मुहिम में जुटे हैं.

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