कोरोना-काल में एकांतवास:परेशान हैं तो पढें…यह कहानी

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पटना.कोरोना के बढते संक्रमण से देशभर में भय का माहौल है।जबकि डॉक्टरों व विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान समय में सकारात्मक सोच जरूरी है।ऐसे माहौल में   प्रेरणा देने वाली एक कहानी सोशल मीडिया में भी चर्चित है। इसे महान लेखक टालस्टाय की कहानी “शर्त” बताया जा रहा है।

इस कहानी में दो मित्रों में आपस मे शर्त लगती है कि  यदि उसने 1 माह एकांत में बिना किसी से मिले, बातचीत किये एक कमरे में बिता देता है, तो उसे 10 लाख नकद वो देगा।इस बीच, यदि वो शर्त पूरी नहीं करता तो वो हार जाएगा।

पहला मित्र ये शर्त स्वीकार कर लेता है।उसे दूर एक खाली मकान में बंद करके रख दिया जाता है। बस दो जून का भोजन और कुछ किताबें उसे दी गई ।उसने जब वहां अकेले रहना शुरू किया तो 1 दिन 2 दिन किताबो से मन बहल गया फिर वो खीझने लगा। उसे बताया गया था कि थोड़ा भी बर्दाश्त से बाहर हो तो वो घण्टी बजा के संकेत दे सकता है और उसे वहां से निकाल लिया जाएगा ।

जैसे जैसे दिन बीतने लगे उसे एक एक घण्टे युगों से लगने लगे। वो चीखता, चिल्लाता लेकिन शर्त का खयाल कर बाहर किसी को नही बुलाता। वो अपने बाल नोचता, रोता, गालियां देता तड़फ जाता,मतलब अकेलेपन की पीड़ा उसे भयानक लगने लगी पर वो शर्त की याद कर अपने को रोक लेता।

कुछ दिन और बीते तो धीरे धीरे उसके भीतर एक अजीब शांति घटित होने लगी।अब उसे किसी की आवश्यकता का अनुभव नही होने लगा। वो बस मौन बैठा रहता। एकदम शांत उसका चीखना चिल्लाना बंद हो गया।इधर, उसके दोस्त को चिंता होने लगी कि एक माह के दिन पर दिन बीत रहे हैं पर उसका दोस्त है कि बाहर ही नही आ रहा है।

माह के अब अंतिम दो दिन शेष थे।इधर उस दोस्त का व्यापार चौपट हो गया वो दिवालिया हो गया। उसे अब चिंता होने लगी कि यदि उसके मित्र ने शर्त जीत ली तो इतने पैसे वो उसे कहाँ से देगा।वो उसे गोली मारने की योजना बनाता है और उसे मारने के लिये जाता है।

जब वो वहां पहुँचता है तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नही रहता।वो दोस्त शर्त के एक माह के ठीक एक दिन पहले वहां से चला जाता है और एक खत अपने दोस्त के नाम छोड़ जाता है।खत में लिखा होता है-प्यारे दोस्त इन एक महीनों में मैंने वो चीज पा ली है जिसका कोई मोल नही चुका सकता। मैंने अकेले मे रहकर असीम शांति का सुख पा लिया है और मैं ये भी जान चुका हूं कि जितनी जरूरतें हमारी कम होती जाती हैं उतना हमें असीम आनंद और शांति मिलती है।मैंने इन दिनों परमात्मा के असीम प्यार को जान लिया है।इसीलिए मैं अपनी ओर से यह शर्त तोड़ रहा हूँ अब मुझे तुम्हारे शर्त के पैसे की कोई जरूरत नही।

इस कहानी से समझें कि कोरोना के इस परीक्षा की घड़ी में खुद को झुंझलाहट, चिंता और भय में न डालें,उस परमात्मा की निकटता को महसूस करें और जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने का प्रयत्न कीजिये। इसमे भी कोई अच्छाई होगी यह मानकर सब कुछ भगवान को समर्पण कर दें।विश्वास मानिए अच्छा ही होगा।घर में रहें भले ही एकांत मिले। स्वयं सुरक्षित रहें,परिवार,समाज और राष्ट्र को सुरक्षित रखें।

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