निशिकांत सिंह.पटना. बिहार विधानपरिषद् में उठा दलितों के छात्रवृति घोटाला का मामला. भारतीय जनता पार्टी के लालबाबू प्रसाद ने आज दलित छात्रों के छात्रवृति मामले पर हुए घोटाले पर कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया. उन्होंने मामला को गंभीर बताते हुए इसकी जांच की मांग कर डाली औऱ इस मामले पर सरकार का वक्तब्य जानना चाहा. लेकिन प्रश्नोत्तर काल के बाद मामले को शुन्यकाल में उठाने की स्वीकृति देते हुए सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कार्यस्थगन प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया.
कार्यस्थगन नामंजूर होने से नाराज भाजपा सदस्य अपनी सीटों पर खड़े हो गए और जांच की मांग करने लगे.लेकिन सदन में प्रश्नोत्तरकाल चलता रहा. इस मुद्दे पर जानकारी देते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री और विधानमंडल में भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मैट्रिक के बाद तकनीकी कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को राज्य सरकार छात्रवृति देती है. औऱ राज्य सरकार द्वारा छात्रवृति का लाभ वैसे फर्जी कॉलेज उठा रहें है जिसका न कोई नाम है न ही पता. एक स्थान पर एक-दो कमरे में कॉलेज चल रहा है. और उसमें बिहार के 404 बच्चों का एडमिशन है. यह तो जांच का विषय है.
सुशील मोदी ने कहा कि पिछले साल राज्य सरकार ने नामांकन मेला लगाया था, उस मेले में कोई बढ़ियां कॉलेज तो आया नहीं, और उसी मेले में राज्य के कई दलित छात्रों का नामांकन हो गया राज्य सरकार के छात्रवृति योजना से मिलने वाले पैसे साठ से 70 हजार तक राज्यकोष से फर्जी कॉलेजों को जा रहा है. लेकिन उसमें बच्चे पढ नहीं रहें है. औऱ पैसा कहां जा रहा है. इस मामले को जांच करने की जरूरत है.
लाल बाबू प्रसाद का कार्यस्थगन था कि अतिपिछड़ा वर्ग के छात्रों को मिलने वाली पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति का भुगतान लगभग दो तीन वर्षों से नहीं हुआ. वहीं कई फर्जी संस्थानों को छात्रवृति की राशि का भुगतान किया गया है, जिससे इस छात्रवृति घोटाला उजागर हुआ है. साथ ही प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं होने के कारण इसमें गंभीर अनियमितताएं हुई है. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति का भुगतान नहीं होने के कारण उड़ीसा, राजस्थान, एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में पढ़ने वाले बिहार के गरीब छात्रों को संस्थान से निकालने की नौबत आ गई है.