केन्द्र की बिजली नीति बननी चाहिए यानि वन नेशन,वन रेट हो- मुख्यमंत्री

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संवाददाता.पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित जो तीन एक्ट लाया गया है, वह किसानों के हित में है।यह किसानों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री को सुझाव देते हुए कहा कि केंद्र सरकार के प्लांटों के माध्यम से जो बिजली मिलती है उसका अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रेट है। इसके लिये वन नेशन, वन रेट नीति बननी चाहिए। हमलोगों को बिजली काफी महँगी मिलती है, जिससे लोगों को राज्य सरकार की तरफ से ज्यादा अनुदान देना पड़ता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की छठी बैठक में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्री सहित केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल/प्रशासक भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े रहे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संबोधन में कहा कि इस बार नीति आयोग ने बैठक के पूर्व ही राज्यों के साथ पूरी चर्चा की है, जिसमें राज्यों ने भी अपनी बातें रखी हैं। नीति आयोग की पहले की बैठकों में भी हमने राज्य से संबंधित जरुरी बातें रखी है, चाहे वह विशेष राज्य के दर्जा से संबंधित हो या राज्य के हित से संबंधित अन्य मसले हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों को बढावा देने के लिए अपनी पॉलिसी बनायी है ताकि राज्य में उद्योग को बढ़ावा मिले। बिहार एक लैंडलॉक्ड स्टेट है। इसके चलते कई प्रकार की दिक्कतें होती हैं। हमलोगों ने वर्ष 2011 से ही कहा है कि उड़ीसा में एक अलग बंदरगाह की सुविधा उपलब्ध करा दी जाए तो बिहार से किसी चीज को भेजने में सहूलियत होगी। इस प्रस्ताव को हमने पिछले 10 वर्षों में कई बार रखा है। इस पर ध्यान दिया जाए तो काफी अच्छा होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का क्रेडिट डिपाजिट रेशियो बहुत ही कम 36.1 प्रतिशत है। यहां से डिपॉजिट 3.75 लाख करोड़ रुपये रहता है लेकिन बैंको से 1.35 लाख करोड़ रुपये का ही ऋण दिया जाता है। इसके बारे में हमलोग हमेशा कहते रहे हैं। देश भर में सीडी रेशियों का औसत 76.5 प्रतिशत है, कुछ राज्यों का तो 100 प्रतिशत है। यह भी देख लिया जाए कि बिहार जैसे राज्यों का जो पैसा बैंकों में जमा होता है वह विकसित राज्यों में चला जाता है। यहां का पैसा राज्य को ही देने का प्रावधान किया जाय। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पंचायत में बैंक की एक शाखा खोली जाय, इसके लिये हमलोग पंचायत सरकार भवन की बिल्डिंग देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप पूरे देश में उद्योग को बढ़ावा देना चाहते हैं तो इन बुनियादी चीजों पर ध्यान देना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे बहुत ही अच्छा लगा है कि एथेनॉल के उत्पादन की बात हो गई है। हमलोगों ने वर्ष 2007 में ही एथेनॉल के उत्पादन के लिए ऐक्ट में अमेंडमेंट करके केंद्र सरकार को भेजा था। तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसको स्वीकार नहीं किया था लेकिन अब पूरी बात हो गई है। अब गन्ना के रस से भी एथेनॉल का उत्पादन होगा। एथेनॉल के उत्पादन से वैकल्पिक ईंधन मिलेगा। इससे पेट्रॉल और डीजल पर निर्भरता कम होगी और सहूलियत मिलेगी। ये काम शुरु करने का निर्णय ले लिया गया है, ये बहुत अच्छी बात है। हमें याद है कि एक बाहर के व्यक्ति ने राज्य में एथेनाल के उत्पादन के संबंध में लगभग 21 हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था लेकिन उस समय की केंद्र सरकार ने अनुमति नहीं दी अन्यथा बिहार में काफी पहले से ही एथेनॉल का उत्पादन शुरु हो जाता। अब इसकी शुरुआत हो रही है, यह अच्छी बात है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2008 से ही कृषि रोडमैप बनाकर कृषि के क्षेत्र में हमलोग कई काम कर रहे हैं। धान, गेंहू, मक्का, सब्जी, फलों समेत सभी चीजों का उत्पादन बढ़ा है। अब हमलोग जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं। बिहार में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ी है। गंगा नदी के किनारे अवस्थित कुल 13 जिलों में जैविक खेती के लिए कृषि इनपुट अनुदान दिया जा रहा है। हमलोग जैविक खेती के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। जलवायु में परिवर्तन को देखते हुए फसल उत्पादन के लिए मौसम अनुकूल कृषि कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। पर्यावरण संतुलन को लेकर जल-जीवन-हरियाली अभियान भी चल रहा है। मौसम के अनुकूल कृषि अभियान को 8 जिलों से शुरुआत करके अब सभी जिलों में इसे लागू कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले भी नीति आयोग की बैठक में एपीएमसी एक्ट में संशोधन करने को लेकर जो प्रस्ताव आया था तो हमने कहा था कि बिहार में तो एपीएमसी एक्ट हमलोगों ने वर्ष 2006 में ही बंद कर दिया है। पहले लोगों को अपना सामान बेचने में दिक्कत होती थी। जब हमलोगों ने एपीएमसी एक्ट को समाप्त कर दिया तो सामान बेचने में किसानों को किसी प्रकार की समस्या नहीं होने लगी। पहले प्रोक्योरमेंट भी यहां नहीं होता था। उसके लिए भी हमलोगों ने काम शुरू किया और अब तो काफी प्रोक्योरमेंट हो रहा है। एक बार प्रोक्योरमेंट 24 लाख मीट्रिक टन हुआ था, पिछले वर्ष 20 लाख मीट्रिक टन और इस बार हमलोगों ने और तेजी से काम करवाया है। कल तक करीब-करीब 32.89 लाख मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति हो चुकी है। हमलोगों ने पैक्स को विकसित किया। प्रखण्ड स्तर पर व्यापार मंडल और पंचायत स्तर पर पैक्स के माध्यम से बड़े पैमाने पर भी प्रोक्योरमेंट का काम चल रहा है। केन्द्र के द्वारा जो नीति बनेगी उससे सहयोग मिलेगा, इससे हमलोगों को और बढ़ावा मिलेगा, इसमें कोई शक नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में हमलोगों ने कई काम बिहार में शुरु किये। हर घर बिजली पहुंचाने की योजना बनाई और वो पहुँच गयी और तब तक केंद्र सरकार की भी योजना बन गई तो उनका भी सहयोग मिला। वर्ष 2018 के अक्टूबर महीने में ही हर घर बिजली हमलोगों ने पहुंचा दी है। जब हमलोगों को वर्ष 2005 में काम करने का मौका मिला, उस समय यहां बिजली की खपत 700 मेगावाट थी और जून 2020 के आकंड़ों के अनुसार कुल खपत 5,932 मेगावाट तक पहुँच गयी है। प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाना हमलोगों ने शुरू कर दिया है। अब केंद्र सरकार भी इसे लागू कर रही है, इससे काफी फायदा होगा। प्री-पेड स्मार्ट मीटर के लागू होने से बिजली का दुरूपयोग नहीं होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव संसाधन के विकास के लिए हमलोगों ने काफी काम किया है। केन्द्र की तरफ से जो प्रस्ताव आया है, वह ठीक है। जो नई नीति आई है जब उस पर भी बैठक हुई है, जिसमें राज्य सरकार की तरफ से अपनी बात कही गयी है और बाद में भी हमलोगों ने एक पत्र भेजा है। अच्छी बात है कि पूरे तौर पर शिक्षा का विकास होना चाहिए।पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों को टीचर नियुक्ति का जो अधिकार मिला हुआ है, इसको देखते हुये जो नई पॉलिसी लायी जा रही है उसमें यह काम बेहतर ढंग से हो, यह ध्यान रखने की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि तीन लाख से भी ज्यादा टीचर का रिक्यूरमेंट हमलोगों ने करवाया, उन्हें वेतन दिया जा रहा है। समग्र शिक्षा कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार के तहत शिक्षकों के वेतन में जो राशि मिलती है वह राशि ससमय अगर मिल जाए तो राज्य सरकार को सुविधा होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण की चपेट में पूरी दुनिया आई। अभी भी देश के कुछ राज्यों में कोरोना का प्रकोप है। हमलोगों के राज्य में तो बहुत घट गया है। हमलोग पूरी तरह से सतर्क हैं और टेस्ट भी करा रहे हैं। देष में ही वैक्सीन का विकास किया गया और पूरे देष में वैक्सीनेशन का काम तेजी से हो रहा है। हम इसके लिए प्रधानमंत्री जी को बधाई देते हैं। बिहार में अगले चरण के टीकाकरण में पचास साल से अधिक उम्र वाले लोगों और पचास साल से कम उम्र वाले व्यक्ति जो अन्य बीमारी से भी ग्रस्त हैं उनके लिए भी उपलब्ध हो जाएगा। हम आश्वस्त करते हैं कि इस मामले में हमलोग पूरे तौर पर सहयोग करेंगे और केन्द्र की जो गाइडलाइन होगी उसका पालन करेंगे।

मुख्यमंत्री ने राज्य के स्वास्थ्य प्रक्षेत्र के संबंध में जानकारी देते हुये बताया कि बिहार में वर्ष 2005-06 में शिशु मृत्यु दर प्रति एक हजार पर 61 थी, अब वह घटकर 32 हो गयी है। बिहार में 2005-06 में सामान्य टीकाकरण 18 प्रतिशत था, अब वह बढ़कर 86 प्रतिशत हो गया है। मातृ मृत्यु दर एक लाख की आबादी पर 312 थी अब वह घटकर 149 हो गयी है। बिहार का प्रजनन दर 4.3 थी, वह अब घटकर 3.2 हो गयी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग सोलर एनर्जी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं । इसके साथ-साथ हर जगह हाइड्रोपॉवर प्लांट के लिए भी काम होना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमलोगों ने हरियाली को बढ़ावा देने के लिए काम करना शुरू किया। बिहार-झारखंड के बंटवारे के पश्चात बिहार में हरित आवरण 9 प्रतिशत ही था। उसके बाद हमलोगों ने वृक्षारोपण के अलावा अन्य कई काम शुरू किये जिसका परिणाम है कि अब वह बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है। इस प्रकार हमलोग जल-जीवन-हरियाली, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने, मौसम के अनुकूल कृषि के विकास, जैविक खेती और वृक्षारोपण के लिए काम कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को विकसित देश बनाना है, आत्मनिर्भर देश बनाना है और बिहार को विकसित राज्य बनाना है। उन्होंने कहा कि हमलोगों ने विकसित बिहार के लिए सात निश्चय-2 तय कर उस पर काम शुरू कर दिया है। हमलोग इस पर तेजी से काम करेंगे ताकि बिहार विकसित राज्य बन सके।

 

 

 

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