जिला व अनुमंडलीय अस्पतालों में अब ‘दीदी की रसोई’ का खाना-मंगल पांडेय

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संवाददाता.पटना.स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग राज्य के लोगों को सुलभ और सुदृढ़ स्वास्थ्य सेवाएं सहित मरीजों को शुद्ध भोजन उपलब्ध कराने की दिशा में अग्रसर है। श्री पांडेय ने कहा कि अब राज्य के सभी जिला एवं अनुमंडलीय अस्पताल के इन-डोर पेसेंट को उपचार अवधि के दौरान ‘दीदी की रसोई’ का शुद्ध एवं पोषक खाना मिलेगा। इसके लिए राज्य स्वास्थ्य समिति और बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन समिति (जीविका) के बीच करार किया जायेगा।
श्री पांडेय ने कहा कि वर्तमान में बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन समिति (जीविका) द्वारा संपोषित सामुदायिक संगठन ‘दीदी की रसोई’ और राज्य स्वास्थ्य समिति की अनूठी पहल के तहत सूबे के क्रमशः सात जिले बक्सर, शिवहर, सहरसा, गया (मानपुर), शेखपुरा, पूर्णिया और वैशाली अंतर्गत सदर अस्पतालों तथा गया (शेरघाटी) अनुमंडलीय अस्पताल में इन-डोर पेसेंट को उपचार अवधि के दौरान रोगियों को स्वच्छ, पौष्टिक एवं गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इस पहल के सकारात्मक परिणाम परिलक्षित हुए हैं। इस कारण जहां एक ओर रोगियों को शुद्ध एवं पोषक भोजन की उपलब्धता हो रहा है, वहीं जीविका दीदीयों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है। इसी को ध्यान में रख कर राज्य के सभी जिला एवं अनुमंडनलीय अस्पतालों में यह व्यवस्था की गई है।
उन्होंने कहा कि इन-डोर पेसेंट के लिए प्रति मरीज भोजन की दर 150 रुपये प्रस्तावित है, जिसमें हर वर्ष संभावित मूल्यवृद्धि के तहत 5 फीसदी बढ़ोतरी किया जायेगा। भुगतान हेतु केंद्रीकृत व्यवस्था की जायेगी। इस कार्य हेतु जीविका द्वारा विनिर्दिष्ट ‘दीदी की रसोई’ हेतु संबंधित जिला एवं अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में उपयुक्त स्थान, बिजली, पानी तथा शौचालय की व्यवस्था के साथ स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध करायेगा। बिजली बिल का भुगतान संबंधित ‘दीदी की रसोई’ के द्वारा किया जायेगा।

अनुबंध अवधि में जिला एवं अनुमंडलीय अस्पतालों के परिसर में कोई अन्य कैंटिन संचालित नहीं किया जायेगा। आउट-डोर रोगियों के परिचर तथा अस्पताल के डाॅक्टर समेत अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के लिए विनर्दिष्ट ‘दीदी की रसोई’ ही कैंटिन की सुविधा उपलब्ध करायेगी। दर का निर्धारण संबंधित ‘दीदी की रसोई’ के द्वारा जिला स्वास्थ्य समिति के साथ परामर्श से किया जायेगा। राज्य स्वास्थ्य समिति एवं जीविका के द्वारा इस व्यवस्था का सतत अनुश्रवण तथा मूल्यांकन किया जायेगा। 5 वर्षों के उपरांत मूल्यांकन के आधार पर अनुबंध का विस्तार अगले 5-5 वर्षों के लिए किया जायेगा।

 

 

 

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