संवाददाता.पटना.एक ओर केन्द्र सरकार नई शिक्षा नीति लाकर देश की शिक्षा व्यवस्था को व्यहारिक व वैज्ञानिक तरीके से कारगर बनाने की कोशिश कर रही है।कोरोना के कारण लॉकडाउन में पटरी से उतरी शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है तो दूसरी ओर बिहार के कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा परीक्षा परिणाम को लटका कर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है.
मगध विश्वविद्यालय(बोध गया) का उदाहरण लें तो स्नातकोत्तर की 2017-19 की परीक्षा एक तो विलम्ब से फरवरी 2020 तक ली गई.6 महीने से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी परीक्षाफल का प्रकाशन नहीं किया गया है.जबकि 2020-22 सत्र में नामाकंन और 2018-20 की परीक्षा की तैयारी चल रही है.जानकारों का मानना है कि नामाकंन और परीक्षा जैसे कोरोना काल में जोखिम भरे काम किए जा रहे हैं लेकिन परीक्षाफल प्रकाशन जो बिना जोखिम उठाए किए जा सकते हैं उसे लटकाया जा रहा है.
परीक्षाफल का इंतजार कर रहे मगध विश्वविद्यालय के आक्रोशित छात्रों का कहना है कि जो छात्र रिसर्च, आगे की पढाई या नौकरी की चाहत रखते हैं उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है.इन छात्रों ने राज्य के कुलाधिपति(राज्यपाल) से मांग की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन पर परिक्षाफल के शीघ्र प्रकाशन के आदेश दिए जाएं.