संवाददाता.पटना. वीडियो कॉंन्फ्रेसिंग के माध्यम से मीडिया के साथ संवाद में सचिव पशु एवं मत्स्य संसाधन एन0 सरवन कुमार ने कोरोना को लेकर बताया कि लॉकडाउन के दौरान अफवाह फैल गई थी कि मीट, मछली और चिकेन खाने से कोरोना फैलता है। इसके कारण मत्स्य पालकों और पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होने का अंदेशा था, जिसको लेकर विभाग ने विभिन्न माध्यमों से इस अफवाह को दूर करने का कार्य किया।
लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को मदद करने को लेकर 552 मत्स्य पालन हेतु तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया। इससे 1 लाख 28 हजार मानव दिवसों का सृजन किया गया। उन्होंने बताया कि कम्फेड के माध्यम से लॉकडाउन के पहले लगभग 20 लाख लीटर दूध का संग्रहण और 16 लाख लीटर दूध का विपणन होता था। लॉकडाउन के दौरान आंगनवाड़ी केंद्र बंद रहने के कारण राज्य सरकार ने बच्चों को घर पर सुधा दूध पाउडर पहुंचाने का निर्णय लिया। आई0सी0डी0एस0 के हर बच्चे को हर महीने 200 ग्राम पोषक सुधा पाउडर का एक पैकेट दिया गया है। इस दौरान लगभग 2100 मीट्रिक टन दूध पाउडर आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों को घर-घर पहुंचाया गया। इसकी लागत 70 करोड़ से ज्यादा है।
श्री कुमार ने बताया कि कोविड से पीड़ित मजदूरों को मदद करने को लेकर कुछ योजनाएं भी विभाग के द्वारा शुरु की गई है। जीविका के माध्यम से चूजा और बकरी वितरण का कार्य किया जा रहा है। 1 लाख से ज्यादा ग्रामीण परिवारों के बीच काम किया जा रहा है। निःशुल्क रुप से बकरी वितरण और अनुदानित दर पर चूजा वितरण का कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसके अलावा दूध देने वाले पशुओं के वितरण का कार्य लगभग 6 हजार परिवारों के बीच शुरु किया गया है। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित जिलों में पशु और मत्स्य का काफी नुकसान देखा जा रहा है। अभी तक की जानकारी के अनुसार जिलों में 51 जगहों पर पशु शिविर कार्यरत है। कई जगहों पर बाढ़ से प्रभावित पशुओं का इलाज और पशुचारे का वितरण कराया जा रहा है। 192 डॉक्टर और 300 से ज्यादा कर्मी राहत कार्य में लगे हैं। अभी तक लगभग 1231 क्विंटल पशु चारे का वितरण किया गया है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के विशेष निर्देश पर पशु क्षति की नुकसान भरपाई को लेकर तेजी से काम चल रहा है। अभी तक 7 जिलों से 47 पशुओं के मौत की सूचना है। 6 पशुओं की नुकसान भरपाई की जा चुकी है। शेष मामलों में काफी तेजी से काम चल रहा है। लगभग 2.5 हजार हेक्टेयर में मत्स्य पालन तालाब और 800 हेक्टेयर में हेचरीज की क्षति होने की सूचना है। आपदा प्रबंधन के प्रावधान के तहत इसकी भी नुकसान भरपाई की जायेगी। आपदा की स्थिति में पशुपालक और मत्स्य पालकों के नुकसान की भरपाई को लेकर त्वरित सर्वे करने का काम चल रहा है।