ज्योति में महिला का चरित्र शक्तिशाली है,मंहगे आभूषण-साड़ी वाली से अलग-स्नेहा

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मुंबई. सास बहू ड्रामा के प्रदर्शन वाले अधिकांश सिरियल में बहुत कम कहानियाँ ऐसी हैं जो बताती हैं कि महिलाएँ कितनी सक्षम और स्वतंत्र हो सकती हैं। ऐसी ही एक कहानी है ज्योति की,जो करीब 11 साल पहले बनी थी। यह इतनी प्रभावशाली थी और परिवार की रोजमर्रा की समस्याओं को इतनी खूबसूरती से दर्शाया गया था कि यह आज भी सामयिक लगता है।इसलिए दंगल टीवी पर यह धारावाहिक को आज भी बेहद पसंद किया जा रहा है।

ज्योति के मजबूत चरित्र और प्रासंगिकता के बारे में बात करते हुए स्नेहा वाघ कहती हैं,शुरू में मैंने कभी अलग तरीके से इस शो के बारे में नहीं सोचा था। मैंने इसे मात्र एक अवसर के रूप में स्वीकार किया लेकिन जैसे-जैसे शो आगे बढ़ता गया मैंने महसूस किया कि महिलाओं को शक्तिशाली पात्रों में चित्रित करना कितना महत्वपूर्ण है। वास्तविक रोजमर्रा की कहानियों को साझा करने के बजाय केवल अमीर परिवारों को दिखाया जाता है जो हमेशा अच्छे कपड़े और भारी आभूषण के साथ अलंकृत होते हैं। हमे ऐसे शो की ज़रूरत है जहां महिलाओं का किरदार शक्तिशाली हो। हमारे पास एक पितृसत्तात्मक समाज है और जब तक हम अपनी मानसिकता नहीं बदलते हैं तब तक यह जारी रहेगा।

वह कहती हैं, ज्योति करने के बाद मैंने जानबूझकर ऐसी भूमिकाएं कीं जिन्होंने कहानी में सिर्फ एक अन्य चरित्र के बजाय बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां तक कि जब मुझे माताओं की भूमिकाएं निभाने की पेशकश की गई तो मैंने यह सुनिश्चित किया कि पात्र का नायक के जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव हो। मुझे लगता है कि यह महिलाओं को बताने का मेरा तरीका था कि वे भी मजबूत और शकतिशाली है।

ज्योति के लेखक पूर्णेंदु शेखर ने कहा ज्योति एक ऐसे व्यक्तित्व से प्रेरित है जो मेरे बहुत करीब थी। वह मुझे राखी बांधती थी। तो वो मेरी बहन की तरह ही थी। जब निर्माताओं ने मुझे एक कहानी लिखने के लिए कहा तो मैं उसकी कहानी सुनाने के लिए उत्सुक था। और कहानी में वास्तविकता बनाए रखना भी आसान था।

 

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