शुरू हुई दीघा-पहलेजा महासेतु पर रेलयात्रा,पहले दिन पहलेजा स्टेशन नाम विवाद आया सामने

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सुधीर मधुकर.

पटना. उतर और दक्षिण बिहार को जोड़ने के लिए बुधवार को जब दीघा गंगा रेल पुल पर पहली सवारी गाड़ी दौड़ी तो इस यात्रा के गवाह बने यात्रियों के जयश्रीराम और बाबा हरिहर की जयकारा से गूंजने लगा | इस यात्रा के पहले दिन कुल ६९६ यात्री एतिहासिक यात्रा के गवाह बने |जहाँ से भी यह ट्रेन गुजरी आसपास के खड़े गॉव के लोगों ने हाथ हिला कर इसक अभिवादन किया |इस के शुरू होने से पटना से हाजीपुर,सोनपुर,छपरा, समस्तीपुर,मुजफ्फरपुर,गोरखपुर सहित उतरी बिहार के शहरों की दुरी काफी कम हो गई | इस यात्रा के गवाह बने दीघा के यात्री आरएन सिंह का कहना था कि ५२ साल का सपना पूरा हुआ है |इस एतिहसिक पल के हम गवाह बने हैं | पहले स्टीमर ,फिर गाँधी सेतु अब ट्रेन की यात्रा सुखद अनुभव है |पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी ने इसका शिलान्यास किया था | जिसे वर्तमान प्रधान मंत्री ने पूरा कर बिहार वासियों को तोह्फा दिया है | इस सब उनको बधाई  देते हैं |

एलएम झा मुख्य प्रशासनिक अधिकारी निर्माण का कहना है कि इस एतिहासिक छन मेरे लिए काफी अहम् इसलिए है कि मेरे कार्यकाल में पूरा यह सब हुआ है |अगर बजट में डबलिंग के लिए स्वीकृति मिली तो ,इसे समय सीमा पर पूरा किया जायेगा |संभावना है मुंगेर में आगामी मार्च में गंगा नदी पर बने पुल पर ट्रेन चलने लगेगी |अरविन्द राजक मुख्यजनसंपर्क अधिकारी का कहना है कि पहले दिन कुछ विवादों के बाबजूद यह एतिहासिक यात्रा पूरी हुई है | यह बिहार की जनता के लिए बरदान है |जिला प्रशासन को स्टेशन के नाम को बदलने के विरोध के बारे में पहले से ही जानकारी थी तो इस मसले को समाधान कर लेना चाहिए था |

पाटलिपुत्र स्टेशन से उतरी बिहार की पहली इतिहासिक पाटलिपुत्र -बरौनी सवारी गाड़ी ( ७५२१६) जैसे ही अपने निर्धारित समय ८ बज कर ५५ मिनट पर रवाना हुई , इस में सवार यात्रियों ने ख़ुशी से झूमते हुए जयश्रीराम और  बाबा हर हर महादेव के नारे लगाये |गंगा रेल पुल को पार कर यह ट्रेन जैसे ही पहलेजा घाट स्टेशन पहुंची स्थानीय नागरिकों ने पहलेजा घाट स्टेशन का नाम बदल कर भरपूरा करने का एक सूत्री मांग को लेकर  मुर्दाबाद नारों और बैनर लगा रेललाईन पर प्रदर्शन करने लगे |प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना था कि जब तक रेलप्रशासन के जीएम और स्थानीय डीएम लिख कर नहीं देंगेगे कि पहलेजा घाट का नाम भरपूर किया जायेगा | हमलोग किसी भी कीमत पर ट्रेन को यहाँ से गुजरने नहीं देंगे | अगर रेल चलेगी तो हमलोगों की लाश पर ही चलेगी |प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले स्थानीय भरपुरा के पूर्व मुखिया बिरेन्द्र प्रसाद वर्मा का कहना  है कि यह मसला कोई नया नहीं है ,करीब दो साल से रेलप्रशासन और राज्य सरकार को पत्र लिखा गया कि यहाँ की लोगों की जमीन पर यह स्टेशन और यार्ड बना है | २५० मकान भी टूटा,गॉव तीन भाग में बटने से हमलोग एक दूसरे से आपस में बिछुड़ गए |नौकड़ी भी नहीं मिली |इस भरपूरा पंचायत की जनसंख्या करीब १० हजार है | दो पंचायत समिति है |बस एक सूत्री मांग है कि ,भरपूरा की पहचान बनी रहे | यहाँ से पहलेजा छह किलोमीटर दूर है |स्टेशन नाम का भी जो बोर्ड है , इस पर पहले पहलेजा जंक्शन लिखायाउसे  मिटा कर पहलेजा धाम लिखाया ,फिर उसे मिटा कर छह  दिन पहले पहलेजा घाट किया गया है |अन्दर सब गड़बड़ चल रहा है |रेलवे वाले राज्य सरकार पर और राज्य सरकार रेलवे का मामला बता कर फेका फेकी सिर्फ कर रहे हैं |कर कुछ नहीं रहे हैं |धरना स्थल पर दानापुर रेल मंडल आरपीएफ कमान्डेंट संतोष एन चन्दन के आलवा स्थानीय एसडीओ मदन कुमार,एसडीपीओ मो.अली अंसारी,डीसीएलआर उपेन्द्र कुमार पाल ,बीडीओ प्रशांत कुमार और एसडीपीओ वंदना पाण्डेय ने पहुँच कर प्रदर्शनकारियों को बहुत समझा बुझा कर गाड़ी को चलाने देने बात किये पर माने नहीं | इस के बाद स्थानीय विधान पार्षद सच्चिदानंद प्रदर्शनकारियों को समझाने पहुंचे तो प्रदर्शनकारियों ने नेतागिरी नहीं चलेगी वापस जाओ ,वापस जाओ के नारे लगा कर विरोध करने लगा |इस के बाद इस ट्रेन में सवार भाजपा के नेता सुशील मोदी,नंदकिशोर यादव,मंगल पाण्डेय,प्रेम कुमार,आशा सिन्हा,नितिन नवीन,संजीव कुमार चौरसिया भी निराश होकर ट्रेन से उतर कर अपने वाहन से सोनपुर चले गए | करीब १२ बज कर ५५ मिनट पर सोनपुर के डीआरएम एमके अग्रवाल पहुंचे | इस के बाद १ बज कर ५ मिनट पर पहलेजा घाट से गाड़ी को सोनपुर के लिए रवाना किया गया |जैसे ही गाड़ी पटरी पर बैठे  प्रदर्शनकारियों के पास पहुंची प्रदर्शनकारी और भी काफी होकर नारे लगा कर विरोध करने लगा | प्रदर्शनकारी गाड़ी के इंजन के सामने लेट गया कि मेरी लाश से गुजरेगी | अन्तः प्रदर्शनकारियों के भारी विरोध के बाद फिर गाड़ी को पहलेजाघाट वापस करना पड़ा |इस के बाद करीब १ बज कर ४० मिनट पर काफी समझाने बुझाने और स्थानीय डीएम के इस आश्वाशन के बाद कि रेलप्रशासन को पहलेजा घाट स्टेशन का नाम बदल कर  भरपूरा किये जाने का प्रस्ताव भेजा जायेगा ,फिर से पहलेजा घाट से ट्रेन सोनपुर के लिए रवाना हुई |इस विरोध प्रदर्शन के बाद यह इतिहासिक पहली यात्री  ट्रेन पाटलिपुत्र से सोनपुर स्टेशन की दूरी पांच घंटे में पूरी की है |इस बीच यात्रियों ,स्थानीय गंगाजल और पहलेजा घाट के लोगों की अलग अलग राय आने लगी | कुछ लोगों का कहना था कि स्टेशन का नाम दोनों गॉव के  नाम को मिला कर “पहलेजा भरपूरा ” कर दिया जाय | फिर सुझाव आया दो ही क्यों तीसरा गॉव “गंगाजल “भी है |इस में गंगाजल को भी जोड़ा जाय | वहीं सब से अलग सुझाव आया की अच्छा होगा इन दोनों गॉव के झगड़ा में यहाँ से स्टेशन को हटा ही दिया जाय | ठहराव ही नहीं दिया जाय | इधर गाड़ी को रोक कर विरोध किये जाने के सवाल पर ट्रेन में यात्रा करने वाले भाजपा के नेता नंदकिशोर यादव,मंगल पाण्डेय आदि का कहना था कि जब राज्य सरकार को स्थानीय लोगों की मांगों और विरोध के बारे में पहले ही जानकारी थी तो इसका समाधान पहले कर लेना था |समाधान किये बिना ट्रेन चलाये जाने से इस में सफ़र करने वाले यात्रियों सब को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है |गह्न्तों से राज्य प्रशासन मूकदर्शक बनी है |जो ठीक नहीं है |

 

पाटलिपुत्र स्टेशन से चलने वाली इतिहासिक ट्रेन को पहलेजा स्टेशन के पास घंटों रोक कर विरोध किये जाने से इस में सफ़र करने वाले यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है | ट्रेन में सवार मसौढ़ी के यात्री रामकिशोर कुमार, दीघा के डॉ.विमल ,हाजीपुर के महेंद्र राम आदि का कहना था कि यह एक इतिहासिक छन है मेरे लिए इस ट्रेन में यात्रा करना| लेकिन पहले दिन ही कचरा  हो गया | अपने बीमार और बूढ़े पिता के साथ सफ़र करने वाले सोनपुर के राजाराम सिंह का कहना था कि सोंचा था की घंटों का सफ़र मिनटों में हो जाएगा |पर फंस गए पहले दिन ही | इस मामला को राज्य और रेल प्रशासन को पहले ही समाधान कर लेना चाहिए था |पहलेजा से कब ट्रेन खुलेगी या नहीं कोई बताने बाला नहीं हैं | डीआरएम साहब आये तो यात्रियों की चिंता किये बिना अपने गाड़ी से चलते बने |जब कि रेलवे का ही कहना है अगर ऐसी परेशानी होने पर यात्रियों को गंतव्य स्थान तक पहुंचाने और खाने पानी की व्यवस्था करती है | पर येसा यहाँ कुछ भी नहीं दिखा | स्टेशन के आसपास तक बाहर भी कुछ भी खाने पीने का पानी तक भी नहीं मिल रहा है | ऑफिस भी छूट गया | वहीं दूसरी ओर देखा गया की इस ट्रेन में साथ यात्रा करने वाले नेता लोग भी यात्रियों को बीच मझधार में साथ छोड़ कर चलते बने |

 

दूसरी ओर  दीघा गंगा रेल पुल पर चलने वाली पहली ट्रेन में सफ़र करने वाले यात्रियों के ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था | इस ट्रेन में सैकड़ो यात्री ऐसे थे जो ,सिर्फ इस पहली इतिहासिक यात्रा का गवाह बनना चाहते थे | रामनारायण सिंह और ज्योति का कहना है कि वाजपेयी जी के सपनों को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा कर बिहारी वासियों को जो तोहफा दिया है | इस के लिए हम उसे बधाई देते हैं |करीब ८५ वर्षीय दीघा के यात्री आरएन सिंह का कहना है कि हम ने पाटलिपुत्र से सोनपुर आने जाने का एक साथ का टिकट कटा कर इस ट्रेन में यात्रा कर इस इतिहासिक छन गवाह बने |  ख़ुशी है की हम बिहारी वासियों को ५२ वर्ष के बाद स्टीमर और फिर गाँधीसेतु का एक विकल्प मार्ग मिला है |इस से यात्रा आसन और कम समय में पूरी होगी | गाँधी सेतु पर से दवाब भी कम होगा | स्थानीय ही नहीं पूरे उतरी और दक्षिण बिहार में विकास की धारा  बहेगी और आर्थिक विकास भी होगा |

बिहार वासियों को उम्मीद है आगामी रेल बजट में पाटलिपुत्र-सोनपुर रेलखंड  डबलिंग के लिए स्वीकृति जरुर मिलेगी | इस सम्बन्ध में हाजीपुर जोन के मुख्यप्रशासनिक अधिकारी निर्माण ( दक्षिण ) एलएम झा का कहना है कि डबलिंग की स्वीकृति मिलने पर इस काम को भी प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा |श्री झा से जब पूछा गया  कि इस गंगा रेल पुल के कार्य को पूरा करा कर इस पर रेल गाड़ी को चलाने में आप का काफी योगदान रहा है | आज जब इस रेलखंड  पर सवारी गाड़ी को चलते देख रहे हैं तो आप को कैसा लग रहा है | उहोंने कहा कि बिहार बासियों के साथ मेरे लिए भी एक इतिहासिक छन जैसा है | घर में एक बेटा पैदा होने से जो ख़ुशी होती है,उसे भी अधिक ख़ुशी इस खंड पर ट्रेन चलने से हो रही है |उहोंने कहा  कि संभावना है की आगामी मार्च तक मुंगेर रेल पुल पर भी ट्रेन चलना शुरू हो जाएगा |मालूम हो कि इस दीघा गंगा रेल पुल का शिलान्यास वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने किया था | ४.५६६ किलोमीटर लम्बा इस इस गंगा रेल पुल के निर्माण पर कारी २९२१ लाख खर्च हुआ है |इस में कुल ३९ पिलर है | १८ इंतजार के बाद बिहार वासियों का सपना साकार हुआ है |पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद ने अपने कार्यकाल में रेल पुल के साथ सड़क भी बनाने के लिए स्वीकृति दी थी | गंगा रेल पुल पर सड़क भी बन कर तैयार है | अभी पहुँच पथ का निर्माण  बांकी है |

 

 

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