अब रोजगार के लिए भटकने को बाध्य नहीं होंगें यहां के मजदूर-राजीव

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संवाददाता.पटना.जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि सदियों से पलायन का दंश झेल रहे बिहार को एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा प्रवासियों को राज्य में ही उनके हुनर के आधार पर रोज़गार देने के असाधारण निर्णय ने एक ऐसा सौग़ात दे दिया है,जिससे न केवल काफ़ी हद तक भविष्य में रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में भटकने के लिए बाध्य नहीं होंगे, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को पर भी लग सकते हैं।

श्री प्रसाद ने कहा कि इस सम्बंध में नीतीश कुमार द्वारा स्किल मैपिंग के माध्यम से प्रवासी मज़दूरों की हुनर की पहचान के बाद उद्योग विभाग को राज्य में उन्हें रोज़गार दिए जाने के निर्देश भी दिए जा चुके हैं।

श्री प्रसाद ने कहा कि राज्य में निवेश के लिए वातावरण बन चुका है।उद्यमियों को नए उद्योग लगाने के लिए राज्य सरकार आमंत्रित कर रही है।इसीलिए यह कहा जा सकता है कि एक बार फिर मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार ने वैश्विक आपदा की चुनौती को अवसर में बदलने की ठान ली है।

श्री प्रसाद ने कहा कि 1953 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने भाड़ा समानीकरण की नीति के ज़रिए खनिज एवं वन सम्पदा से परिपूर्ण बिहार में उद्योग लगने की सम्भावनाओं को पूरी तरह से ग्रहण लगा दिया ।जब केंद्र सरकार ने 1992 में इस पॉलिसी को ख़त्म करने का निर्णय लिया ,तबतक राज्य में  लालू प्रसाद सत्तारूढ़ हो चुके थे,जिनकी प्राथमिकता औद्योगिक विस्तार थी ही नहीं।बल्कि राज्य के हालात बिगड़ते गए परिणामस्वरूप पलायन की रफ़्तार और तेज हो गयी ।बची खुची आस राज्य के विभाजन ने समाप्त कर दी ।क्योंकि ज़्यादातर उद्योग झारखंड में चले गए।लेकिन 2005 में नीतीश जी द्वारा सत्ता सम्भालने के बाद पलायन उत्तरोत्तर कम होता गया है।

 

 

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