सुपौल में लोकगायिका डॉ नीतू नवगीत की शानदार प्रस्तुति

1011
0
SHARE

संवाददाता.सुपौल.लोरिक धाम के हरदी दुर्गास्थान परिसर में आयोजित वीर लोरिक महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत और उनके साथियों ने बिहार के पारंपरिक लोकगीतों की शानदार प्रस्तुति करके लोगों का दिल जीत लिया ।     लोक गायिका नीतू नवगीत ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना मंगल के दाता भगवान बिगड़ी बनाई जी से की । फिर देवी मां की महिमा गान करते हुए नीतू नवगीत ने लाली चुनरिया शोभे हो शोभे लाली टिकुलिया मैया के शोभे लाल रंगवा हो शोभे लाली चुनरिया गीत पेश किया ।

उन्होंने पिपरा के पतवा फुनुगिया डोले रे ननदी, वैसे डोले जियरा हमार, हमरा आम अमरैया बड़ा नीक लागेला, सैया तोहरी मड़ईया बड़ा नीक लागेला, कौने रंगे वृंदा हो बनवा, कौने रंगे यमुना, कौने रंग बृजबाला कन्हैया खेलत हो अंगना जैसे पारंपरिक लोकगीतों को सुना कर माहौल में मस्ती का रस घोल दिया । फिर होली गीतों का दौर शुरू हुआ । नीतू नवगीत ने अपने नए एल्बम से एक होली गीत नाहीं अइले सजनवा फागुन में पेश किया जिसे लोगों ने खूब पसंद किया । फिर उन्होंने गोरिया बूटीदार कहवां रंगबले चुनरिया फागुन में गीत पेश किया जिस पर लोग झूम उठे ।

कार्यक्रम के दौरान नीतू नवगीत ने कहा कि वीर लोरिक एक दिव्य व्यक्तित्व के स्वामी रहे हैं जिन्होंने मानव जीवन की गरिमा को स्थापित करने तथा शोषण और दमन पर आधारित राज व्यवस्था की समाप्ति के लिए अपनी शक्ति का उपयोग किया । लोक गाथाओं में वीर लोरिक और मंजरी का प्रेम एक ऐसा दृष्टांत है जिस पर जितना लिखा जाए,जितने गीत गाए गए कम हैं ।

नवगीतिका लोक रसधार के कलाकारों खुशबू, निधि, श्रीपर्णा, अरुण कुमार, देव कुमार, मुन्ना जी और सुनील ने जट जटिन नृत्य, मोरंग नृत्य और पारंपरिक झिझिया नृत्य पेश करके लोगों को रिझाया । कार्यक्रम से पहले पत्रकारों से बात करते हुए नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि बिहार के पारंपरिक लोकगीतों को गाकर उन्हें सुकून मिलता है । अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है ।

अपने नए एलबम के बारे में उन्होंने कहा कि उनके द्वारा गाया गया होली गीत नहीं अईले सजनवा फगुआ में यूट्यूब और फेसबुक पर काफी लोकप्रिय हो रहा है । टी-सीरीज के हमार भोजपुरी चैनल से जारी इस गीत को फेसबुक पर ढाई लाख से अधिक लोग देख चुके हैं । यह गीत यूट्यूब पर भी लोकप्रिय हो गया है और 20000 से अधिक लोगों ने उसे वहां देखा है । गीत के वीडियो का निर्देशन प्रसिद्ध निर्देशक दीपश्रेष्ठ ने किया है । इस गीत को लिखा है बिरेंद्र पांडे ने और संगीत से सजाया है राजेश केसरी ने । गायिका नीतू कुमारी नवगीत में बताया कि पिछले साल होली में उन्होंने दो गीत कान्हा मारे गुलाल से रंग बरसे राधा के गाल से और कान्हा होलिया में रंग बरसईब कि ना,कान्हा ऊँगली पकड़ कर नचईब कि ना रिलीज किए थे जिसे श्रोताओं ने काफी पसंद किया था । वीर लोरिक महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद सुपौल के जिलाधिकारी महेंद्र कुमार ने लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया ।

 

 

LEAVE A REPLY