पटना.राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी एवं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने अपनी अमेरिका यात्रा के 7वें दिन एटलांटा शहर में स्वयंसेवी संस्था केयर इंडिया तथा संक्रमण बीमारियों के अध्ययन हेतु विश्व की सबसे बड़ी संस्था Centre for Disease control (CDC) के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय में संबंधित अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 2020 तक कालाजार तथा 2025 तक टी.बी. को समूल समाप्त करने के लक्ष्य को लेकर बिहार सरकार काम कर रही है।
श्री मोदी ने बताया कि कालाजार के मरीज 2010 में 23,084 से 2018 अक्टूबर तक घटकर 3012 रह गए हैं तथा मात्र 21 प्रखण्ड इससे प्रभावित है जिसमें सारण प्रमण्डल के 3 जिलों के ही 21 प्रखण्ड कालाजार से सर्वाधिक आक्रांत हैं। राज्य सरकार वर्ष में 2 बार दवा का छिड़काव कर रही है तथा प्रत्येक मरीज को मुफ्त दवा के अतिरिक्त 7100 रूपए की सहायता दी जा रही है। ज्ञातव्य है कि भारत में कालाजार के मरीजों में 80-90 प्रतिशत बिहार के 29 प्रखण्डों में सीमित है। बिहार से कालाजार की समाप्ति का अर्थ है विश्व से कालाजार का उन्मूलन।
बिहार के मुजफ्फरपुर में दो वर्ष पूर्व एनकेफेलाइटिस की सम्भावित बीमारी से बड़ी संख्या में बच्चों की मृत्यु के बाद अमेरिका से CDC की टीम बिहार आई थी। CDC के सहयोग से भारत में संचालित National Disease Control Centre की पहल पर बिहार में संक्रामक बीमारियों के अध्ययन हेतु बिहार सरकार ने नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर में 2 एकड़ जमीन उपलबध कराई है जहां State Disease Control Centre स्थापित किया जाएगा।
इसी प्रकार टी.बी. उन्मूलन हेतु देश में पहली बार बिहार में निजी क्षेत्र के चिकित्सकों को टी.बी. मरीजों की पहचान, इलाज में शामिल करने के कारण 4 गुणा ज्यादा टी.बी. मरीजों की पहचान की जा सकी है। निजी चिकित्सकों द्वारा टी.बी. मरीजों की पहचान करने पर उन्हें एक हजार रुपया प्रोत्साहन राशि तथा मरीजों को मुफ्त दवा दी जाती है। निजी भागीदारी का यह बिहार माडल पूरे देश के लिए नजीर बना है।
सुशील मोदी और मंगल पाण्डेय ने समय सीमा में कालाजार तथा टी.बी. से बिहार को मुक्त करने का संकल्प व्यक्त किया।